गुस्ताखी माफ -मूंछें हो तो… और डर हो तो…आदर्श से ज्यादा अच्छा ज्ञान बगारना…नए नाम…
मूंछें हो तो... और डर हो तो...
कुछ भी हो, मूंछें और डर एक जैसे हो सकते हैं। कहावत है-मूंछें हो तो नत्थूलाल जैसी और डर हो तो मनीषसिंह जैसा। तीन दिन पूर्व कोरोना महामारी के बाद कर्फ्यू की अवधि में भोपाल का संदेश आया कि अवधि अब रात्रि 11 बजे…
Read More...
Read More...