50 हजार हेक्टेयर सोयाबीन हो रही प्रभावित, किसानों पर दोहरी मार
महंगे बीज खेतों में ही सड़ने लगे, कई जगह दूसरी बार बोवनी की गई है
इंदौर। मानसून की बेरुखी से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। इंदौर के आस-पास के ज्यादातर किसानों पर दूसरी बार सोयाबीन बोने का खतरा मंडराने लगा है। इधर सोयाबीन का बीज की कीमत डबल हो गई, उधर मौसम की बेरुखी के चलते खेतों में पड़ा सडऩे लगा है। आम तौर पर किसान चार से पांच इंच बारिश होने पर सोयाबीन बोना शुरु कर देता है। इस बार प्री-मानसून अच्छा रहा जिससे खेतों में नमी बनी हुई थी, इसे मौसम के अच्छे संकेत मान कर किसानों ने बोवनी कर दी। मगर अब मानसून की बेरूखी से शहर के आस-पास के कई किसानों द्वारा दोबारा बोई गई सोयाबीन की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। शहर के आस-पास के गांवों के 50 हजार हेक्टेयर में बोई गई सोयाबीन प्रभावित हो रही है। इस बार सोयाबीन का बीज पंद्रह हजार रुपए क्वींटल मिल रहा है। फसल की लागत ३५ प्रतिशत तक बढ़ गई है।
सोयाबीन मध्यप्रदेश की प्रमुख फसल मानी जाती हैं। यह फसल चार से पांच इंच पानी गिरने के बाद ही बो दी जाती है। यही कारण हैं कि इस बार प्री-मानसून में हुई अच्छी बारिश के बाद ज्यादातर किसानों ने सोयाबीन बो दी थी। प्री-मानसून एक्टिविटी के दौरान हुई अच्छी बारिश के बाद जिन किसानों ने सोयाबीन की बोवनी कर दी थी उनकी परेशानी बढ़ गई है। मानसून की देरी से उनकी सोयाबीन की फसल प्रभावित होने लगी है। यदि पांच दिन में बारिश नहीं आई तो किसानों को लगभग 10 हजार हेक्टेयर में फिर से बोवनी करना पड़ सकती है। पिछले दिनों शहर के आसपास के कई गांवों में प्री-मानसून की जोरदार बारिश हुई थी, खेत से पानी बाहर निकल जाने के कारण कई किसानों ने सोयाबीन की बोवनी कर दी थी। अब मानसून में देरी से पिछले दिनों बोई गई सोयाबीन खराब होना शुरू हो गई है। शहर के आस-पास के ज्यादातर गांवो जैसे बनिया खेड़ी, खटोगिया, उजलिया, शाहपुरा, फुल कराडिया, नवगांव, जोशी गुराडिया, सोनवाय, जस्सा कराडिया, जैसे दर्जनों गांवों के किसानों ने बोवनी कर दी थी। मानसून में हो रही देरी के चलते बीज अंकुरित नही हो पाए, नतीजतन किसानों ने दूसरी बार बोवनी कर दी अगर दो चार दिन में बारिश नही हुई तो लगभग 50 हजार हेक्टेयर खेती पर बुरा असर पड़ रहा है। इन दिनों पड़ रही तेज गर्मी के चलते खेतों की मिट्टी सूख रही है। खेतों में पड़ा ज्यादातर बीज अंकुरित नहीं हो पा रहे, ऐसे में खेतों में ही बीजों का सडऩा किसानों की चिंता बड़ा रहा है।