गुस्ताखी माफ़-गुरु ने मंदिर को लेकर पटा बनेठी घुमाई…
जब शहर में गुरु गुड़ हो रहे हैं और चेले शकर, तब भी शहर को लेकर थोड़ी-बहुत संभावना पुराने गुरुओं से ही होती है। मामला कुछ ऐसा हुआ है कि स्मार्ट सिटी के तहत बड़ा गणपति मार्ग पर बने सौ साल पुराने एक गणेश मंदिर का द्वार तोड़ने के लिए नगर निगम ने फरमान जारी कर दिया। अभी तक यह मंदिर किबे परिवार द्वारा निजी सम्पत्ति बताई जा रही थी। यहां पर अच्छा-खासा किराया मंदिर के बाहर दुकानें बनाकर वसूला जा रहा था। जब पत्ते उधड़ना शुरू हुए तो पता लगा कि मंदिर सरकारी है। नगर निगम के अधिकारियों ने जाकर मंदिर के बाहर की दुकानें और पत्थर के बने हुए द्वार को तोड़ने के लिए फतवा जारी कर दिया। किबे परिवार अपने चेलों को लेकर सीधे बद्रीधाम यानी सत्तन गुरु के द्वार पहुंचा और दहाड़ मार-मारकर बताने लगा कि मंदिर में बैठे गणेश पर अत्याचार हो रहा है। गुरु हनुमान की तरह पूरी रामायण सुनते रहे, फिर उन्होंने किबे परिवार के खूब लत्ते बिखेरे और कहा कि तुमने मंदिर को धंधा बना लिया, सड़क तक दुकानें बना दीं, किराया सूतते रहे। मंदिर के लिए कुछ नहीं किया। आसपास की परिक्रमा भी खा गए। मैं तुम्हारे लिए नहीं, गणेश के लिए बना हूं और अब गुरु कल से नगर निगम के खिलाफ गणेशजी की खातिर मैदान में उतर रहे हैं। वे कल धरने पर बैठने जा रहे हैं। उनका कहना है कि वैसे भी मंदिर की दुकानें हटने के बाद वह सड़क को केवल स्पर्श कर रहा है। ऐसे में मंदिर का द्वार तोड़ा जाना उचित नहीं होगा। अब कोई चवन्नी-अठन्नी भाजपा नेता मैदान में होता तो नगर निगम चिंता नहीं करती, क्योंकि इस समय तो अधिकारी ही भाजपा के नेता बने हुए हैं और भाजपा के नेता हाथ जोड़े अधिकारी हो गए हैं। जो भी हो, यह मामला अगर नहीं सुलझाया तो उलटे बांस बरेली के होने में समय नहीं लगेगा।
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