इंदौरी शराब ठेकेदारों की वर्चस्व लड़ाई अब गुजरात तक पहुंची
एक दूसरे की गाडिय़ां पकड़ाने और एफआईआर कराने में लगे, टकराव में कई बड़े अधिकारी भी आए चपेट में

इंदौर। नई आबकारी नीति के बाद कई शराब ठेकेदार निर्धारित मूल्य पर मदिरा नहीं बेच रहे थे। उनके खिलाफ विभाग ने कार्रवाई शुरू की थी, इसी बीच सिंडीकेट को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। धार जिले से शुरू हुई यह लड़ाई अब गुजरात तक पहुंच गई है। इसके चलते नए-पुराने ठेकेदार गाडिय़ां पकड़वाने में जुट गए हैं। वर्चस्व की लड़ाई में आईएएस, आईपीएस और विभागीय अधिकारी भी चपेट में हैं। हालत यह हो गई है कि एक-दूसरे की गुजरात में जा रही गाडिय़ों की सूचना लीक होने लगी है और इन्हें पकड़वाने के साथ ही अब ठेकेदारों के नाम भी एफआईआर में जुड़वाने की कोशिश की जा रही है।
धार जिले की दो डिस्टलरी भी निशाने पर हैं। इनसे कई गाडिय़ां गुजरात जा रही हैं। एक डिस्टलरी की जांच तो तत्कालीन पीएस दीपाली रस्तोगी ने तत्कालीन संभागायुक्त पवन शर्मा के जरिए कराई थी, लेकिन फिर शराब ठेकेदारों की लॉबी ने इस जांच को ही ठंडे बस्ते में डालवा दिया। कांग्रेस लगातार शराब की अधिक कीमतों और घोटालों को लेकर सरकार पर हमला बोल रही है।
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हाईकोर्ट ने भी इस मामले में नोटिस देकर जवाब मांगा है। शराब सिंडिकेट और ठेकेदारों के साथ आईपीएस अधिकारियों के नाम और विभागीय अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। आयकर विभाग ने कुछ शराब ठेकेदारों पर बड़े छापे मारे थे। इसमें लैपटॉप पर और रजिस्टर में यहां तक हिसाब किताब था कि किस अधिकारी को महीने में कितनी राशि पहुंचाई जा रही है। गुजरात लाइन चलाने के लिए धार रुट सबसे अहम होता है।
ठेकेदार सूरज रजक ने साल 2024-25 का ठेका उठाकर सबको चौंका दिया था। इस साल जब राजस्व नीति में आया कि ठेके 20 प्रतिशत अधिक बढ़ाकर दिए जाएंगे तो रजक, राय ये सभी दूर रहे। नए कारोबारी से कारोबार संभल नहीं पाया और ऊपर से विकास जायसवाल को बाहर कर दिया गया। वहीं पुटाने ठेकेदार, जो धार और गुजरात लाइन से बाहर हो चुके थे, उन्होंने पूरी गुजरात लाइन को ठप कर दिया और जो भी गाडय़िां गुजरात की ओर जातीं, उनकी शिकायते कर-करके पकड़वाना शुरु कर दिया। धार जिले की दो डिस्टलरी के संचालकों-ठेकेदारों ने नए सिरे से लॉबी के साथ विभागीय अधिकारियों से जमावट की और धड़ल्ले से माल गुजरात भेजना शुरू कर दिया। ट में