गुस्ताखी माफ़-संगठन को छोड़ों निकाय चुनाव में क्या होगा…अब शराब ठेकेदार भी सक्रिय…आनंद राय और दिग्गी राजा के बीच हो गई…

संगठन को छोड़ों निकाय चुनाव में क्या होगा…
भाजपा संगठन के बड़े नेता अब यह मानने लगे है कि ज्योति बाबू का अंगदी पांव अब हर जगह दिखाई देने लगा है और इसी के चलते ग्वालियर से लेकर इंदौर तक जिले और शहर की इकाइयां उलझती जा रही है। संगठन ने भी अब भाजपा की इकाइयों को घोषित करने से अपने कदम पीछे हटाना शुरू कर दिए है। भाजपा के दूसरे और तीसरे क्रम के नेताओं का मानना है कि जब संगठन की स्थिति मोहताज हो गई है तो फिर निकाय चुनाव का तो भगवान ही मालिक होगा क्योंकि ज्योति बाबू चाहेंगे तो फिर वे अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार ही लेंगे। दूसरी ओर ज्योति बाबू के परचम के तले कई दिग्गज नेता खड़े होने को तैयार नहीं है। इसमें नरेन्द्रसिंह तोमर से लेकर कैलाश विजयवर्गीय और शेजवलकर से लेकर नरोत्तम मिश्रा तक है। संगठन के बड़े नेताओं का मानना है कि मामा का अब संगठन में कोई रुझान नहीं है। वे अपना कार्यकाल अब लगभग पूरा कर चुके है। परंतु आने वाले समय में यही स्थिति रही तो भाजपा के कार्यकर्ता ही ऐसा रायता फैलाएंगे कि समेटने में 10 साल लग जाएंगे।
अब शराब ठेकेदार भी सक्रिय…
शराबियों के पैसों से जहां सरकार का दाना पानी चल रहा है। वहीं शराब ठेकेदार भी संगठन के आभूषण होने जा रहे है। या यह कहा जाए कि वे आने वाले समय के संगठन भामाशाह भी हो सकते है। मामला ऐसा है कि युवा मोर्चा के अध्यक्ष को लेकर जोरदार खींचतान के बीच ऋषि खनुजा और एक अन्य का नाम इन दिनों शहर के दो बड़े शराब ठेकेदारों द्वारा चलाया जा रहा है। रिंकू भाटिया पहले भी ताई, भाई और भौजाई के करीबी भी रहे है। अब वे अपने चहेते को संगठन में स्थापित करना चाहते है। वहीं दूसरी ओर मोनू भाटिया भी टूटेजा के लिए लगे हुए है। जो भी हो अगर ऐसा सब होता है तो कार्यकर्ताओं को संगठन का काम करने के लिए जीवन आनंद पॉलिसी साथ में मिल जाएगी। अब यह वक्त बताएगा कि कौन इनकी जड़ों में दही डालने के लिए लगा हुआ है।
आनंद राय और दिग्गी राजा के बीच हो गई…
आदिवासियों की राजनीति कर रहे डॉ. आनंद राय और दिग्विजयसिंह के बीच अब तलखी और बढ़ गई है। पिछले दिनों जोबट में जयेश द्वारा एक निर्दलीय को समर्थन दिए जाने के बाद कांग्रेस की हार के बाद दिग्गी राजा ने जब आनंद राय को अपनी नाराजगी जाहिर की तो उन्होंने दो टूक कहा कि वे कांग्रेस की राजनीति नहीं करते है। जो भी हो पर अब आदिवासी क्षेत्रों में जयेश अपना आधार बढ़ाने में जुट गई है। जो कांग्रेस की जड़ों में दही डालने का काम करेगी।
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