गुस्ताखी माफ-अब क्या कांग्रेसी और क्या भाजपाई… संजय गांधी का तरीका गलत, भाजपा का टाइम गलत…

 

अब क्या कांग्रेसी और क्या भाजपाई…
अच्छा नेता वह नहीं होता, जो समाचारों में लिखा जाता है, बल्कि वह होता है, जो इतिहास में भी लिखा जाता है। इतिहास में ऐसे ही जगह नहीं मिलती। वैसे राजनीति की बगिया में रंग बदलते फूल का नाम ही नेता होता है। आजकल शहर की राजनीति में कांग्रेस और भाजपा एक ही परिवार के दो जुड़वा भाई दिखाई देते हैं। मुझे लगता है अब तो कांग्रेसयुक्त होने के बाद भाजपाइयों का डीएनए भी चेक करवा लें तो यह साबित हो जाएगा। संतरा बाहर से कितना भी अलग-अलग लगे, पर छिलके के अंदर तो एक जैसे ही हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार का मुंडन होते ही भाजपा की सरकार में भी मुंडन करवाने वाले शामिल हो गए। इस मामले में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने बड़ी अच्छी बात कही। उसने कहा अब तो दोनों दलों में अपने ही लोग हैं। संस्कृति और संस्कार भी दल बदलने से नहीं बदलते हैं। मैं नेताजी से जब मिला तो उन्होंने कहा तुम मेरे भाई हो, कभी भी कोई काम हो, सीधे घर चले आना। मैं उनको पहले से जानता था। पहले भी एक-दो काम कराए हैं, यानी दल बदलने से संस्कृति नहीं बदलती। पहले भी लेते थे और अभी भी ले रहे हैं। जो भी हो, उतना भाईचारा दोनों दलों के बीच पहले कभी नहीं रहा। दिन में कई नेता भाजपाइयों के साथ घूमते हैं तो रात में कांग्रेसियों के साथ बैठते हैं। बैठे भी क्यों नहीं, आज नहीं तो कल, बैठना तो पड़ेगा ही। हालांकि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के गिरते ही ऐसा लगा कि ईद के दिन मुहर्रम भी आ गया। भाजपा वालों की ईद हो गई और कांग्रेसियों के लिए मुहर्रम। राजस्थान में भाजपा की जीत ऐसी थी, जैसे बांझ औरत के गर्भवती होने की खबर मिले। मध्यप्रदेश की खुशी अलग थी, यहां नार्मल डिलेवरी के ही साथ रत्न प्राप्त हो गया था। अब बैठे-बिठाए सरकार गिरने का दर्द ऐसा था कि रत्न के बाद चार-चार लड़कियां पैदा हो गई हैं, परंतु अब परिवार एक ही हो गए हैं। आज सुख है तो कल दु:ख है। अगले कुछ दिनों बाद फिर इन्हीं के सहारे सुख आ जाए तो क्या बात है। आजकल सुख दुख एक साथ ही घूम रहे है।
संजय गांधी का तरीका गलत, भाजपा का टाइम गलत…
दो दिन पूर्व कांग्रेस के सांसद विवेक तन्खा और सांसद दिग्गी राजा इंदौर में ही थे। अलग अलग कार्यक्रमों में दर्शन दे रहे थे। एक कार्यक्रम में दिग्गी राजा ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी बाबा के जनसंख्या नियंत्रण को बताया कि यह बेरोजगारी और भुखमरी से ध्यान भटकाने के लिए लाया जा रहा है। दूसरी ओर विवेक तन्खा ने अपने उदबोधन में कहा कि राष्ट्रहित की राजनीति करनी चाहिए। हर साल देश में आस्ट्रेलिया के बराबर आबादी पैदा हो रही है। चीन में तीस साल नियंत्रण के बाद इसमे राहत दी। उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को सबसे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे संजय गांधी लाये थे यदि वह लागू हो गया होता तो आज देश की रफ्तार कुछ और होती परंतुउनका तरीका गलत था पर टाइम सही था। भाजपाइयों को इसका विरोध याद होगा। इधर भाजपा इस कानून को लेकर मैदान में है पर उनका टाइम सही नहीं है पर तरीका सही है। एक ही दल के दो राज्यसभा सदस्य के विचार बता रहे हैं अंदर क्याचल रहा है। पर ये तो टाइम टाइम की बात है जानी… -9826667063

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