गुस्ताखी माफ़- ताई की मांद में पत्थर कौन फेंककर आया …

सूटकेस बांधकर रखना...

ताई की मांद में पत्थर कौन फेंककर आया …

इ स समय शहर का आम नागरिक यह नहीं समझा पा रहा है कि जो वह इस समय शहर में जो देख रहा है, वह विकास के नाम पर भूखों के खाने की व्यवस्था हो रही है या अधिकारियों के ब्रह्म भोज की। विकास की रोशनी आंखों पर इस कदर पड़ रही है कि चौंधियाया शहर का नागरिक जब वापस अपनी आंखें खोलेगा तो उसे चार्तुदिक अंधेरा छाया दिखाई देगा।

sumitra mahajan

स्मार्ट सिटी और विकास के नाम पर तोड़-फोड़ हो रही हो या पुराने अधिकारियों के बेतुके फैसले जो इस शहर को भोगना पड़ रहे हैं। ऐसे में शहर के नागरिक और भाजपा कार्यकर्ता यह मानने लगे है कि अब किसी की सुनवाई होना संभव नहीं हो रहा है।

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शहर के सांसद को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, तो वहीं 60 दिन में शहर की यातायात व्यवस्था सहित कई चुनावी एलान अब जुमले हो गए है और महापौर मजाक हो गए है। दूसरी तरफ विधायक महेंद्र हार्डिया से लेकर मालिनी गौड़ बोलना बंद कर चुके है, तो दूसरी ओर आर.के. स्टुडियों के निर्माता-निर्देशक, भिया और दादा अब सुनवाई न होने के चलते नेपथ्य में चले गए है तो फिर इस शहर में आवाज कौन उठाएगा? बिना किसी निर्णय के जब शास्त्री पुल तोड़ने को लेकर चर्चा हो सकती है तो फिर किसी न किसी को आवाज उठानी होगी।

शहर के ज्ञानवान अधिकारियों की समझ में यह नहीं आ रहा है कि ताई की मांद में कौन पत्थर फेंक आया है। पिछले 20 दिनों में ताई ने विकास को लेकर थोपे जा रहे बेतुके निर्णयों को लेकर जो आवाज उठाई है वह दिल्ली तक पहुंच गई है। भोपाल में भी इस बात की चर्चा है कि विजन वाले नेता की जरूरत अभी भी है। जोड़ जुगाड़ की सरकार में फैसलों के पहले कैसी चर्चा होती है यह भी दिखाई दे गया है। भाजपा के बड़़े नेता हो या कार्यकर्ता वे मान रहे हैं कि यह परिषद उमा शशि शर्मा के कार्यकाल से ज्यादा फ्लाप रहेगी, क्योकि नियंत्रण खत्म हो चुका है।

निर्णय लेने की क्षमता नहीं है तो इधर फिर एक ताजा फरमान मेें कहा गया है कि पार्षद केवल अपने ही क्षेत्र के अतिक्रमण और कार्यों को लेकर शिकायत कर सकते हैं। किसी ओर क्षेत्र के बारे में वे नहीं बोल पाएंगे। इससे कई नेताओं की हवा निकल गई। दूसरा 4 अधिकारियों के बारे में स्पष्ट कर दिया गया है कि उनके बारे शिकायत नहीं सुनी जाएगी। तो फिर शहर पर फिर ताई का यह उपकार रहेगा कि उन्होंने स्मार्ट सिटी के बाद एक बार फिर मेट्रो के नाम पर होने वाली बड़ी खुदाई को कुछ समय के लिए रोक दिया है, वरना जिस खुदा को आप तलाश रहे थे घर-घर वह हर घर के सामने मिलने के लिए उधार बैठा रहता।

सूटकेस बांधकर रखना…

पि छले दिनों इंदौर के भाजपा के वरिष्ठ नेता जो निगम मंडल में भी अध्यक्ष पद पर काबिज रहे। दिल्ली दौरे पर थे। कई नेताओं से हुई मुलाकात के बाद उनकी मुलाकात मंत्री नरेद्रसिंह तोमर से हुई। इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश में भाजपा के भविष्य को तो बता ही दिया साथ ही यह भी बता दिया कि कार्यकर्ताओं के मन में अब पार्टी के प्रति आस्था क्यों समाप्त हो रही है। राजा-रजवाड़ों के चक्कर में पार्टी के दिग्गज नेता अब केवल कार्यकर्ता का उपयोग सरकार बनाने के लिए ही कर रहे हैं। इसका खामियाजा भुगतने के लिए भी पार्टी को तैयार रहना होगा।

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