अरुण गोयल ने गोपुर कॉलोनी में रजिस्ट्रियां करने के बाद भी जालसाजी से दूसरा नक्शा पास करवा लिया

करतार गृहनिर्माण संस्था के कर्ताधर्ताओं के काले कारनामें सामने आये

Arun Goyal got second map passed by forgery even after registering in Gopur Colony
Arun Goyal got second map passed by forgery even after registering in Gopur Colony

इंदौर। शहर के इज्जतदार, सफेद पोश भूमाफियाओं के काले कारनामों से उनके चेहरे किस कदर काले है कि शहर के उन तमाम छोटे लोगों के आशियाने छीनकर अपने महल बना रहे हैं। जिन लोगों के आशियानों को लेकर दूसरी पीढ़ी अब संघर्ष शुरु कर रही है वे आज भी जिला प्रशासन के दरवाजे अपना हक मांगने के लिए भटक रहे हैं। बीस साल पहले करतार गृहनिर्माण सहकारी साख संस्था की कनाड़िया रोड़ पर दस एकड़ जमीन पर बनने वाली गोपुर कॉलोनी के प्लाट होल्डर आज भी लुटेरों के दरवाजों पर हाथ जोड़कर खड़े हैं।

इधर भूमाफिया उन्हें धमकाकर प्लाट सरैंडर कराने के लिए दबाव बना रहे हैं। गोपुर कॉलोनी की ड़ेढ़ लाख वर्गफीट जमीन सारे नियम और कानून की धज्जियां उड़ाकर कुख्यात भूमाफिया अरुण गोयल उर्फ अरुण मामा ने हड़प कर ली है। इस कार्य में करतार गृहनिर्माण सहकारी साख संस्था के संचालक मंडल में शामिल रहे और अध्यक्ष नटवर नागर की बड़ी भूमिका है। सहकारिता के विभाग के ऑडिट में भी कई आपत्तियां इस संस्था को लेकर भरी पड़ी है।

अरुण मामा ने यह जमीन शहर के कुख्यात भूमाफिया दीपक मद्दा से सांठगांठ कर अपनी कंपनी में डाल ली है। अरुण मामा ने तीनों जगहों से करोड़ों रुपये का खेल किया है। वे संस्था के संचालक भी थे, समता कंस्ट्रक्शन के मालिक भी थे और जमीन हड़पने वालों में भी शामिल थे। डेढ़ लाख वर्गफीट जमीन में से अरुण मामा ने २० हजार वर्गफीट जमीन शहर के भाजपा के एक ताकतवर विधायक को दी है।

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करतार गृहनिर्माण सहकारी साख संस्था के कर्ताधर्ताओं में से एक दीपक मद्दा इन दिनों ईडी की हिरासत में है और वह जहां शहर के माफियाओं की जानकारी ईडी को दे रहा है वहीं यह भी बता रहा है कि संस्थाओं की जमीनें कैसे कौढ़ियों के दाम माफियाओं ने खरीदी है। दो और तीन रुपये वर्गफीट की जमीनें खरीदकर उन्हें करोड़ों में खेला गया है। संस्थाओं के सदस्य अभी भी अपने भूखंडों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। सहकारिता विभाग के अनुसार करतार गृहनिर्माण सहकारी साख संस्था के द्वारा गोपुर कॉलोनी का निर्माण किया जाना था तब इस संस्था के संचालक मंडल में सत्यनारायण राठी, कैलाश मूंगड़, नटवर नागर, अरुण गोयल, पुखराज सोनी शामिल थे।

यहां पर पंद्रह सौ और अ_ारह सौ वर्गफीट के भूखंड सदस्यों को दिये गये थे और इनकी रजिस्ट्रियां भी करवा दी गई थी। इस बीच वर्ष २००५ में नटवर नागर और भूमाफिया अरुण मामा के मन में जालसाजी की भावना आने के बाद इन्होंने संस्था के सदस्यों के भूखंड न देते हुए संस्था की डेढ़ लाख वर्गफीट जमीन अपनी कंपनी समता कंस्ट्रक्शन में डाल ली। आश्चर्य की बात यह है कि जब यहां पर दिये गये भूखंडों की रजिस्ट्रियां हो चुकी थी तो फिर संस्था के जालसाजों ने गलत जानकारी देकर टीएनसी से नया नक्शा १ हजार स्के.फीट के हिसाब से बनवाकर पास करवा लिया। जबकि यह संभव ही नहीं था।

दूसरे को की गई रजिस्ट्री के बाद बिना सहमती यह कार्य पुराने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर किया गया। इसका बाद संस्था के सदस्यों को अलग अलग धमकाकर प्लाटों के हिस्से सरैंडर कराने का काम ताकतवर विधायक के दरवाजे बैठकर किया गया। यह कहना है जिन लोगों ने भूखंड सरैंडर किये हैं कि उन्हें विधायक के नाम पर घड़ी घड़ी भूमाफिया अरुण गोयल उर्फ अरुण मामा ने धमकाया। 

अभी भी पचास से अधिक प्लाट होल्डर अपने प्लाटों के लिए यहां चक्कर काट रहे हैं। कल इनमे से छह लोगों को जिनकी रजिस्ट्री थी उन्हें अरुण मामा ने अन्य कॉलोनी में दो हजार वर्गफीट के प्लाट देने के लिए आश्वासन दिया है। इस मामले में संस्था के एक सदस्य का कहना है कि जब भी नटवर नागर की शिकायत करते हैं तो उसे अरुण मामा आईसीयू में भर्ती करवा देते है।

इस कारण इससे पूछताछ नहीं हो पाती है। सहकारिता विभाग के सूत्रों का कहना है कि दीपक मद्दा द्वारा ईडी को दी गई जानकारी के बाद अब ईडी नेे करतार गृहनिर्माण को लेकर जानकारी चाही है। सहकारिता विभाग के सूत्रों ने यह भी कहा कि संस्था की आडिट रिपोर्ट में सभी आपत्तियां दर्ज है। ईडी अगर दीपक मद्दा और अरुण मामा उर्फ अरुण गोयल को आमने सामने बैठाकर इस मामले में पूछताछ करेगी तो सौ करोड़ से अधिक का मामला सामने आ सकता है।

कौन है अरुण मामा

शहर के जमीनों के सभी जालसाजों के साथ जमीनों के मामले में उनकी पाटर्नरशीप है। खासकर दीपक मद्दा, चंपू अजमेरा, हैप्पी धवन के साथ भी वे जमीनों की हिस्सेदारी में शामिल है। कहने को वे सियागंज में अगरबत्ती का कारोबार दिखाने के लिए करते हैं। मुख्य कामकाज जमीनों की जालसाजी और विवादास्पद जमीनों को खरीदने का काम है।

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