देश को विचार धाराओं में नहीं विकास धाराओं में बांधिये…

देश कल अपनी आजादी के ७७ वर्ष पूरे कर ७८ वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। देश के सामने जहां कई चुनौतियां अभी भी खड़ी है तो दूसरी ओर यहां भी तय है कि देश राष्ट्रीयता की भावना के आधार पर आने वाली पीढिय़ों के लिए तैयार नही हो पाएगा। भविष्य की…
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उच्चतम न्यायालय के फैसले ने सरकारों को राजधर्म की याद दिलाई…

कल उच्चतम न्यायालय के एक फैसले ने जहां देश के संविधान पर आम लोगों का भरोसा कायम किया है। वहीं इससे यह भी तय हो गया है कि जिन लोगों ने देश के संविधान के पालन करने की शपथ ली थी वे अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए समय आने पर मौन धारण कर लेते…
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संपादकीय: चुनावी नतीजों से सवाल खड़े हो गए बहुसंख्यक राष्ट्रवाद पर

एक ओर जहां देश में इस बार भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत ना मिलने के कारण अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ रही है। वहीं भाजपा की इस नई सरकार के सामने जहां कई चुनौतियां खड़ी दिखाई दे रही है। क्योंकि जिस तरीके से प्रधानमंत्री…
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तमाशाबीनों ने मतदाता को तमाशा बना दिया…

इंदौर शहर का मतदाता राजनीति में छलनीति के चलते इस चुनाव में शायद खाली हाथ रह जाएगा। कांग्रेस और भाजपा के बीच जोड़-तोड़ की राजनीति ने इस शहर के 27 लाख मतदाताओं से उनके मत का अधिकार छीन लिया है। सवाल उठ रहा है कि इस छलकपट और जोड़-तोड़ की…
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जब न्याय होता दिखेगा तभी न्यायालयों पर आस्था बढ़ेगी…

कल एक बार फिर देश के उच्चतम न्यायालय ने सिद्ध कर दिया कि अभी भी इस देश के नागरिकों की जो न्याय व्यवस्था में आस्था है वह टूटी नहीं है। न्यायालय ने सबसे बड़े बैंक के खोखले तर्कों को उजागर कर दिया। खासकर ऐसे में ही लोकसभा चुनाव खत्म होने के…
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आपके प्यार और स्नेह के 42 वर्ष पूर्ण…

27 नवंबर 1980 को दैनिक दोपहर की प्रारंभ हुई पत्रकारिता की यात्रा आज भी निर्बाध जारी है। ना सिद्धांत बदले ना संस्कृति,हमने पत्रकारिता के सिद्धांतों का हमेशा सम्मान किया है। निश्चित रूप से इस यात्रा के बीच दैनिक दोपहर ने कई उतार-चढ़ाव भी…
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अब 15 अगस्त भी विशेष दिन नहीं त्यौहार हो गया है…

आजादी के 76 वर्ष पूरे होने के साथ ही अब देश कहां खड़ा है यह सबसे बड़ा प्रश्न है। देश की जनता भी जानना चाहती है कि तरक्की के जो मापदंड तय किए गए है। क्या उस पर गर्व कर सकते हैं। आज देश विश्व की पांचवी आर्थिक शक्ति बनने जा रही है। वहीं…
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आदमी पर मूतने लगा आदमी, यह सामाजिक पश्चाताप का समय है

अ गर हम देख पा रहे हैं तो हमारे जीवन की प्रत्येक गतिविधि में राजनीति का हस्तक्षेप इतना बढ़ गया है कि हर सामाजिक प्रश्न राजनीतिक बना दिया जाता है। आजकल की दलीय राजनीति अपने-अपने वोट बैंक की चिन्ता में डूबकर इतनी संकुचित हो गयी है कि वह…
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वाह मोदी जी वाह… भाजपा में करो तो रासलीला, विपक्ष में हो तो कैरेक्टर ढीला…

स ब सबकुछ जानने से पहले प्रधानमंत्री के उस वक्तव्य को समझ लेना बहुत जरूरी है जो नई राजनीति को लेकर बहुत कुछ संदेश दे रहा है। यह उद्बोधन उन्होंने भोपाल में पिछले दिनों देते हुए कहा था कि अगर 'उनकी घोटाले की ग्यारंटी है तो मोदी की भी…
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साहब बाबू कमिश्नरी नहीं पुलिस कमिश्नरी चाहिए…

कल मुख्यमंत्री के फरमान के बाद इंदौर पुलिस मैदान में उतर गई और अलग-अलग कलालियों के बाहर बैठकर शराब पी रहे 100 लोगों को पकड़ लिया, जो बता रहा है कि अब मुख्यमंत्री के बताने के बाद ही इंदौर पुलिस कार्रवाई शुरू कर रही है। चाहे ट्रेजर सिटी में…
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