आपके प्यार और स्नेह के 42 वर्ष पूर्ण…


27 नवंबर 1980 को दैनिक दोपहर की प्रारंभ हुई पत्रकारिता की यात्रा आज भी निर्बाध जारी है। ना सिद्धांत बदले ना संस्कृति,हमने पत्रकारिता के सिद्धांतों का हमेशा सम्मान किया है। निश्चित रूप से इस यात्रा के बीच दैनिक दोपहर ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे साथ ही सबसे ज्यादा मजबूत कड़ी में जो हमारे साथ खड़े थे वे थे इस अखबार के मजबूत पाठक, जिन्होंने हर संघर्ष में अखबार का दामन थामकर रखा और इसीलिए हम इस यात्रा को यहां तक ला पाये। जहां अब पत्रकारिता के केंद्रव्यवसायिक स्थल के रूप में बदलते जा रहे हैं वहीं अभी भी जनहित की पत्रकारिता का सम्मान बरकरार है। निश्चित रूप से इस पूरी यात्रा के बीच इस अखबार के संस्थापक विद्याधर शुक्ला का सानिध्य अब नहीं है पर उनके द्वारा दिये गये मार्गदर्शन और संस्कार आज भी अखबार में पूरी तरह कायम है। हम यह मानते हैं कि पत्रकारिता का अब कोई मिशन नहीं है। आजादी के समय जो पत्रकारिता देश को आजाद कराने के लिए मिशन के रूप में जानी जाती थी, उसके बाद अगले दौर में आपातकाल के दौरान भी इसी पत्रकारिता ने देश को आपातकाल की खामियों से अवगत भी कराया था और इसीलिए पत्रकारिता का सम्मान भी उस वक्त बरकरार रहा। धीरे-धीरे पत्रकारिता के सिद्धांत बदलने लगे और जिनका काम खबरें देना था वे अपने हित के लिए खबरे बनाने लगे। परंतु हमने इस पूरी व्यवस्था के बीच भी पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों को कायम रखा। पिछले दिनों चुनावों के दौरान भी हमने अखबार के माध्यम से राजनैतिक खबरें दी पर अपने हित के लिए राजनीति नहीं की और यह सब आपकेप्यार और स्नेह के कारण ही संभव हो सका। हम उनके भी आभारी हैं, जिन्होंने इस महायज्ञ में कहीं न कहीं से विचारों के साथ हमसे जुड़कर आहूति दी और पत्रकारिता की मशाल को बुझने नहीं दिया। एक बार फिर हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि दैनिक दोपहर इस शहर के जनहित के मुद्दों के साथ ही हमेशा आपके लिए खड़ा रहेगा। आने वाले समय में अब अखबार के कलेवर में और भी सुधार का प्रयास आपके सहयोग से जारी रहेगा। आप सभी के प्यार और स्नेह का आभार….

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