500 साल में यूरोप में सबसे भीषण सूखा

कई देशों में नदियां सूखी, भूमिगत जलस्तर भी खत्म, अमेरिका और चीन में भी कई जगह जल संकट

वॉशिंगटन (ए)। यूरोप और अमेरिका के बड़े हिस्से में इस बार 500 साल का सबसे भीषण सूखा पड़ा है। इसके चलते जहां नदियां सूख गई हैं वहीं पीने के पानी का भी भारी संकट पैदा हो गया है। यूरोप के जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, स्पेन में नदियों में अब पानी नहीं बह रहा है। दूसरी ओर बांधों में जलस्तर कम होने से बिजली का संकट भी खड़ा हो गया है। अमेरिका के कई राज्यों में पानी की आपूर्ति में भारी कटौती की गई है। वहीं चीन का एक भाग सूखे से चौथे साल भी प्रभावित हो रहा है। कई जगहों पर हालात इतने बदतर हो गए हैं कि नदियों में दूसरे विश्व युद्ध के अवशेष भी नजर आ रहे हैं।

पूरे यूरोप में हर तरफ सूखा ही सूखा दिखाई दे रहा है। यूरोप में तेजी से बहने वाली नदियां राइन, लायन, डेनयूब अब ठहर गई हैं। इनका जलस्तर औसत से भी काफी नीचे चला गया है। जलवायु परिवर्तन की मार का सबसे ज्यादा असर इस बार विकसित देशों में दिखाई दे रहा है, तो दूसरी ओर एशिया के देशों में कई जगह बाढ़ के हालात पैदा हो रहे हैं। यूरोप में 500 साल में इतना भीषण सूखा नहीं पड़ा है।

इंग्लैंड से लेकर फ्रांस तक इससे प्रभावित हो गए हैं। पूरे यूरोप महाद्वीप में अलर्ट मोड जारी करते हुए केवल पीने के पीनी की ही व्यवस्था की जा रही है। उत्पादन और फसलों की पैदावार पर रोक लगा दी गई है। 20 फीसदी क्षेत्रों में पानी पूरी तरह खत्म हो चुका है। दूसरी ओर सभी राज्य गर्मी की चपेट में तप रहे हैं, तो वहीं बिजली की भारी कमी से लोग त्रस्त हैं। कई देशों में भूमिगत जल पहले से ही समाप्त हो चुका है। इन देशों में हालात और बदतर हो गए हैं। वहीं अमेरिका के मैक्सिको में पानी की भारी कटौती की गई है। यहां पोलोराडो नदी में पानी का बहाव बेहद कम हो गया है और यह अमेरिका की जीवनरेखा नदी कहलाती है। माना जा रहा है सूखे के कारण इन राज्यों में अनाज का भी भारी संकट आने वाले समय में पैदा हो जाएगा।

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