गुस्ताखी माफ़: संजू बाबू अब किसके बूंदे बैठेंगे, देखना होगा…तीन के नए सिकंदर और पंडितों पर राहू की दशा…

कांग्रेस नेता की रामप्यारी निकली चुनावी मैदान में...

संजू बाबू अब किसके बूंदे बैठेंगे, देखना होगा…

इन दिनों कांग्रेस से भाजपा में कूदा-कादी महोत्सव में कई नेता शामिल होकर अपना भविष्य बनाने के लिए लग गये हैं। दो दिन पहले क्षेत्र क्रमांक 1 के पूर्व विधायक संजू बाबू अपने हारे हुए एक ओर साथी विशाल पटेल के साथ भाजपा में आठ हजार लोगों को लेकर अपना झंडा ऊंचा करने में जुट गये हैं। इधर भाजपाई कह रहे हैं कि आठ हजार लोग यदि साथ में थे तो फिर इतनी बुरी हार कैसे हो गई? दूसरी ओर अब कांग्रेस और भाजपा नेताओं में ज्यादा फर्क नहीं दिख रहा है। दोनों सत्ता पाने के लिए किसी के भी गले मिल सकते हैं और गाली सुनने और गाली बकने वालों के गले भी पड़ सकते हैं। जो पहले कांग्रेस के लिए डमरु बजा रहे थे बाद में कांग्रेस का ही डमरु बजाने में लग गये। भाजपा सत्ता में थी इसलिए लाभ का राजनीति अब सबसे आगे दिखने लगी है। हालांकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। इन दिनों तो भाजपा हो या कांग्रेस दोनों में ही एक दूसरे के घर से भागी या निकाली हुई को अपने यहां लाने की होड़ मची हुई है। अब नई आचार संहिता के अंतर्गत जो भाजपा के घर में आए वह सीता और जो भाजपा के घर से निकल जाए वो सुर्पनखा हो गई। इस बीच हर दूसरे दिन यह तय नहीं हो पा रहा है कि जो कल सुर्पनखा थी वह सीता कब हो गई और सीता कब सुर्पनखा की तरह दिखाई देने लगी। संजू बाबू भाजपा के उस समंदर में अपना भविष्य तलाशने के लिए कांग्रेस के कपड़े उतार रहे हैं जिन्हें यह भी जरूर समझना होगा कि उनके पहले उन्हीं से त्रस्त होकर भाजपा में गये कांग्रेसी नेता अभी भी चौथे या पांचवे नंबर की जमात में ही खड़े दिखाई दे रहे हैं। रहा प्रश्न उनका तो उन्हें कई मोर्चों से लडऩा होगा सबसे बड़ा मोर्चा तो उनके घर में ही होना तय है जहां क्षेत्र क्रमांक तीन से इस बार गोलू पंडित विधायक बनकर लंबे समय भाजपा की राजनीति कर अपने आप को स्थापित कर पायें हैं। यह भी संभव नहीं है भाजपा में की एक ही परिवार में रेवड़ी बंट जाए ऐसे में उन्हें लंबा इंतजार करना होगा। ऐसा भी नहीं है कि भाजपा में केवल एक ही टिकट मांगने वाले नेता अपना टिकट ले आएं इसका उदाहरण ज्योतिबाबू भी है जो 16 लोगों को साथ लाये थे और चार भी नहीं बचे हैं। एक दो बारिश के बाद वे केवल भाजपा में ही राजनीति कर पायेंगे। ऐसे में सुरेश पचौरी कितना दम मार पायेंगे यह तो समय बतायेगा पर जो भी हो संजू बाबू को कैलाश विजयवर्गीय के बाद सुदर्शन गुप्ता टीनू जैन, दिनेश शुक्ला फिर कमलेश खंडेलवाल और उसके बाद फिर अपना नंबर लगाना होगा। हां. उन्हें तीन नंबर में ही अपनी राजनीति जमानी होगी, क्योंकि भिया एक मेें पहली प्राथमिकता आकाश बाबू को ही देंगे। संजू बाबू के करीबी दावा कर रहे है कि उनका विधानसभा टिकट पूरी तरह पक्का है। अब वह भले ही एक से हो या तीन से। दिल्ली से गुजरात तक पूरी लॉबी सक्रिय हो गई है इधर विशाल पटेल का तो भगवान मालिक है भाजपा और कांग्रेस में बड़ा फर्क है।यहां जिसे पत्थर समझकर ध्यान नहीं दिया जाता वह बाद में भेरु निकलता है और जिसे भेरु समझकर पूजा जाता है वह कब पत्थर हो जाता है यह भी पता नहीं चलता है। इसकी जानकारी भाजपा के नगर अध्यक्ष गौरव बाबू से भी ली जा सकती है।

तीन के नए सिकंदर और पंडितों पर राहू की दशा…

खबर जरा पुरानी हो रही है पर खबर तो बन गई है। क्षेत्र क्रमांक तीन में आने वाले नौलखा के बालाजी मंदिर में हनुमान जयंती के दिन भारी भीड़ के बीच कूछ ऐेसाटेसू अड़ा की पंडितों को भी पसीना आ गया वह बात अलग है कि बाद में एक पंडित को उठाकर सारी पंडिताई समझाई गई इस बीच मंदिर के पंडितों ने हनुमान जी से हाथ जोड़ लिए मामला जब आगे बढ़ा तो विधायक जी को हस्तक्षेप कर मामले को सुलटाना पड़ा। बताया जा रहा है कि बाणगंगा परिवार से लावलश्कर के साथ यहां परिवार की महिला सदस्य भाभीजी पहुंची और उन्होंने भारी भीड़ के बीच गर्भगृह में जाकर पूजा करने की जिद की। मामला इतना बिगड़ गया कि पंडि़तों ने भी भीड़ देखते हुए हाथ जोड़ लिए। इसके बाद पठ्ठों ने यहां के पंडित को ही उठा लिया गया और बाणगंगा ले जा कर समझाया गया कि नये सिस्टम में हम यहां के सिकंदर हो गये हैं इसके बाद जब पूरे मामले की जानकारी अन्य पंडितों को लगी तो उन्होंने पूजा पाठ समटे लिया और हनुमान जी से भी हाथ जोड़ लिए। बाद में इस मामले में विधायक जी ने खुद हस्तक्षेप कर इसका समापन सौहार्दपूर्ण वातावरण में किया। funny political news mp, congress, bjp

कांग्रेस नेता की रामप्यारी निकली चुनावी मैदान में…

मिल क्षेत्र के कांग्रेस के एक ताकतवर नेता ने कांग्रेस पर संकट आने के बाद अपनी रामप्यारी को मैदान में उतार दिया है। वैसे वे अभी तक की राजनीति में दूसरो के ऐरावत का ही उपयोग करते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में जहां वित्तिय संकट झेल रही कांग्रेस के प्रचार मे इसकी झलक दिख रही है। कांग्रेस के इस बुरे दौर मे कांग्रेस नेताओं को अपनी जेब और संसाधन दोनों ही लगाने पड़ रहे है। मिल क्षेत्र के कांग्रेसी दादा जो शहर के किसी भी राजनैतिक और सामाजिक आयोजन मे शिरकत करते थे तो अन्य नेताओं के वाहन (ऐरावत) में उनकी सवारी रहती थी। बहुत कम सौभाग्यशाली लोग होंगे जिन्होंने उनकी राम प्यारी पर उन्हें सवारी करते हुए देखा होगा। हाल ही मे उन्हें नेता प्रतिपक्ष द्वारा महू विधानसभा की जवाबदारी दिए जाने के बाद विधानसभा के दौरे के लिए अपनी रामप्यारी मे नजऱ आए कभी कभार शहर के भ्रमण पर निकलने वाली उनकी रामप्यारी इस चुनाव मे महू शहर और ग्रामीण की गलियों दौड़ रही है। शहर के राजनितिक हलको मे चर्चा जोरो पर है कि दादा वहां से सोचना शुरु करते है जहां से सज्जन भाई सोचना बंद कर देते हैं। अब यदि उन्होंने अपनी राम प्यारी को मैदान में उतारने के साथ खुद भी महू में पटा बनेठी घूमाने का निर्णय लिया है तो तय है कि उन्होंने आंख बंद करके चिडिय़ा की आंख पर निशाना लगा दिया है।

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