सयाजी: 10 साल से कार्रवाई नहीं

प्राधिकरण में नए अध्यक्ष आते ही खुल जाती है लीज उल्लंघन की फाइल

शार्दुल राठौर
इंदौर। पिछले 10 वर्षों से जारी सयाजी होटल और इंदौर विकास प्राधिकरण के बीच लीज निरस्ती की जंग प्राधिकरण की कुर्सी पर कोई भी नया अध्यक्ष काबिज होने के बाद शुरू हो जाती है। वर्तमान प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने फिर सयाजी के जींद को बाहर निकाला है। प्राधिकरण बोर्ड ने एक बार फिर से सयाजी होटल की लीज निरस्ती की फाइल खोलने का फैसला लिया है, इसके लिए नए सिरे से जांच कमेटी बना दी गई है।
इंदौर विकास प्राधिकरण ने 19 जून 1994 को होटल के लिए जमीन आवंटित की थी, लेकिन होटल के अलावा वहां अलग से बिल्डिंग बना दी गई। इतना ही नहीं बिल्डिंग में दुकानें बनाकर उन्हें बेच भी दिया गया। इसकी शिकायत जब इंदौर विकास प्राधिकरण तक पहुंची तो लीज निरस्ती का नोटिस जारी कर दिया गया। प्राधिकरण ने पहला नोटिस 23 अगस्त 2011 को जारी किया था, लेकिन सयाजी प्रबंधन ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। बाद में प्राधिकरण के अध्यक्ष बदलते गए और लीज निरस्ती की प्रक्रिया पर सयाजी प्रबंधन ने कोर्ट का रुख अपनाया, लेकिन इस बीच बार-बार प्राधिकरण ने सयाजी होटल प्रबंधन को नोटिस देने के अलावा कोई ठोस कार्रवाई के लिए कदम नहीं उठाया। प्राधिकरण ने एक बार लोक परिसर बेदखली अधिनियम के तहत कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने प्राधिकरण के अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी गई थी। यहां प्राधिकरण की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि शहर में मनी सेंटर और नेहरू स्टेडियम की 50 से ज्यादा दुकानें जिस प्रक्रिया के तहत तोड़ी गई क्या सयाजी होटल पर उस प्रक्रिया के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती है।

जमीन को लेकर क्या रहेगा रुख
प्राधिकरण बोर्ड ने इस मसले पर एक बार फिर प्राधिकरण, प्रशासन, नगर निगम, मप्र ग्राम निवेश और पीडब्लूडी के अफसरों की एक कमेटी बनाकर नए सिरे से सयाजी लीज निरस्ती की फाइल खोली है। अब देखना ये होगा कि प्राधिकरण जमीन अपने कब्जे में लेने का फैसला लेता है या कम्पाउंडिंग शुल्क के प्रवधान से अवैध कब्जे को हरीझंडी देने का फार्मूला निकाला जाएगा।

35 दुकानें है विवाद का कारण
सयाजी प्रबंधन ने होटल निर्माण के कुछ दिनों बाद होटल के आगे प्लॉट पर दुकान का निर्माण कर अलग-अलग हिस्सों में इन्हें 35 व्यक्तियों को बेच दिया था। इस संबंध में इंदौर विकास प्राधिकरण को पहले भी कई बार शिकायत मिली थी। लीज डीड शर्तों का खुला उल्लंघन है। बेसमेंट में 10, ग्राउंड फ्लोर पर 11 दुकानें और पहली मंजिल पर हॉल सहित कई दुकानें हैं। कुल कंस्ट्रक्शन अनुमति के विपरीत 615 वर्गमीटर है तथा एमआर-10 की पार्किंग में भी शर्तों का उल्लंघन की बात सामने आई है। मप्र ग्राम निवेश के व्ययन नियम 1975 के सेक्शन 29 का भी उल्लंघन बताया जा रहा है।

प्राधिकरण के पास यह अधिकार
सयाजी प्रबंधन को विजय नगर चौराहे के पास एमआर-10 पर 27 हजार 852 वर्ग मीटर (करीब 3 लाख वर्ग फीट) जमीन 19 जून 1994 को दी गई थी। लीज डीड की शर्त क्रमांक 4 के मुताबिक प्लॉट का उपयोग केवल होटल के लिए तय किया जाना था। शर्त में यह भी उल्लेख है कि इस उपयोग को बदला नहीं जाएगा, न ही प्लॉट के टुकड़े किए जाएंगे। लीज की शर्त 19 के मुताबिक यदि शर्तों का उल्लंघन होता है तो प्राधिकरण अपने प्लॉट वापस ले सकता है। इस स्थिति में प्राधिकरण को तीन महीने का समय देना होगा। इसके बाद प्राधिकरण यहां हुए निर्माण को भी हटा सकेगा। इतना ही नहीं शर्त क्रमांक 22 के मुताबिक, प्राधिकरण होटल प्रबंधन द्वारा जमा की गई लीज प्रीमियम भी जब्त कर सकेगा।

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