गुस्ताखी माफ-तुम करो केरेक्टर ढीला हम करे तो रासलीला…खूंटे का अनुभव…अब क्षेत्रीय संगठन मंत्री…

 

तुम करो केरेक्टर ढीला हम करे तो रासलीला…
कोरोना गाइड लाइन को लेकर भोपाल में बैठे आला उदल अफसर हर दिन इंदौर में सख्ती से कार्रवाई का संदेश भेजते रहते हैं। यहां तक कि सौ लोगों के वैवाहिक कार्यक्रम के लिए भी जिलाधीशजी को सूची देना पड़ती है। कहीं 101 हो जाएंगे तो शादी अच्छी-खासी बर्बादी में तब्दील करवा दी गई। भय के कारण लोग बेचारे 50 लोगों में ही विवाह करवा रहे हैं। दूसरी ओर इंदौर के एक बड़े बिल्डर यानी मेहता परिवार में हुए वैवाहिक कार्यक्रम, जो बायपास पर होटल शेरेटन में आयोजित था, इस समारोह में एक हजार लोगों के भव्य समारोह में कोरोना गाइड लाइन के मुखिया आकाश त्रिपाठी और संजय दुबे साहब सहित कई आला उदल रबड़ी और मीठे का आनंद कोरोना महामारी को अपनी कांख में दबाकर ले रहे थे और कुछ से वे गले मिल रहे थे और कुछ उन्हें देखकर गले पड़ रहे थे। रुतबा ऐसा था, जैसे हनुमान ने अपनी कांख में शनि को दबा रखा हो। वैसे भी नियम-कानून उनके लिए होते हैं, जिन्हें इनका डर होता है। जो कानून को जेब में लेकर घूमते हैं, उन्हें किस बात का डर। फोकट में मुख्यमंत्री गाइड लाइन का ज्ञान देते रहते हैं। सोशल मीडिया पर आला उदलों के फोटो भी चल रहे हैं।
खूंटे का अनुभव…
भाजपा में खूंटे तोड़कर भागे नेताओं ने स्वयं को स्थापित करने के लिए बड़े पापड़ बेले हैं। फिर भी वे अंतत: स्थापित नहीं हो पाए। उमाशशि शर्मा महापौर बनीं, उन्हें आर.के. स्टूडियो ने जगह देकर कद, पद सब दिलाया, परंतु बाद में उन्हें नगर निगम के पीपल के झाड़ तले उन्हें जो ज्ञान मिला तो फिर वे खूंटा ही उखाड़ ले गईं और अभी तक उन्हें फिर नया खूंटा नहीं मिला। यही स्थिति भाजपा के नगर अध्यक्ष रहे कैलाश शर्मा की रही। वे भी रमेश मेंदोला और अरविंद मेनन के माध्यम से अध्यक्ष बने और बाद में लाल-लाल आंखें उन्हें ही दिखाने लगे। प्रधानमंत्री मोदीजी की तरह चीन को लाल-लाल आंखें नहीं दिखाईं, सही में दिखाईं। अब वे आगे क्या करना है, इसके चिंतन और चिंता में व्यस्त हैं। खूंटा उखाड़कर भागने वालों की संख्या भाजपा में ज्यादा लंबी नहीं है, परंतु जो खूंटा छोड़कर घूम रहे हैं, वे स्थापित नहीं हो पाएं। इसीलिए भाजपा में खूंटा छोड़कर नहीं जाना चाहिए। यह ज्ञान इन दिनों लंबे समय से एक ही खूंटे पर बंधे हुए उस नेता ने दिए, जिसे अभी तक कुछ मिला नहीं है, पर भविष्य में संभावना के आधार पर रुके हुए हैं।
अब क्षेत्रीय संगठन मंत्री…
अंतत: भाजपा से जिला स्तरीय संगठन मंत्रियों की व्यवस्था समाप्त हो गई। जिला स्तर पर काम कर रहे तमाम संगठन मंत्री अब पदमुक्त हो गए हैं। भाजपा में उनकी सेवाएं नहीं रहेंगी। इंदौर संभाग में पहले से ही जिला संगठन मंत्री के पद नहीं थे, इसलिए यहां प्रभाव दिखाई नहीं दिया। हालांकि यह प्रक्रिया हांडी के चावल जांचने के लिए अपनाई गई है। इसी के साथ ही अगले सप्ताह तक संभागीय संगठन मंत्रियों के साथ संगठन महामंत्री भी मुक्त हो रहे हैं। सात दिन पहले ही संगठन मंत्रियों के पद समाप्त किए जाने की सूचना दी थी। नई प्रक्रिया में अब भाजपा में क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाए जाएंगे, यानी मालवा-निमाड़ के लिए अलग और महाकौशल के लिए अलग। इनके आपस में तबादले भी किए जा सकेंगे। यह प्रक्रिया इसलिए अपनाई गई है कि भाजपा में संगठन मंत्री पहले केवल समन्वयक होते थे, परंतु अब सभी जगह से एक ही शिकायत है कि संगठन मंत्रियों के गुट भी अलग से दिखाई देने लगे हैं और सुहास भगत ने तो सभी नियमों को शिथिल कर स्वयं ही ग्यारह जिलों के नगर अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी। इसका मतलब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अधिकार में हस्तक्षेप था तो वे भी कोई चने-भूंगड़े खाने के लिए नहीं बैठे हैं।
-9826667063

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