गुस्ताखी माफ़: हित और आनंद के बीच निशांत…ज्योतिबाबू के मजबूत कंधे…गौरव की आस…

हित और आनंद के बीच निशांत…

भाजपा की राजनीति में इतनी उठापटक इसके पहले कभी नहीं हुई जिन्हें दावेदारी से दूर माना जाता था वे भी आजकल दावेदारों में शामिल हो गये हैं। क्षेत्र क्रमांक 1 के कई दावेदार यानी सुर्दशन गुप्ता से लेकर गोपाल गोयल की तैयारियां धरी रही गई हैं। इधर चौकाने वाले उम्मीदवारों में डॉ. निशांत खरे का मामला भी सामने आ सकता है। फेहरिस्त लंबी है इस बार दावेदार और ताकतवर नेता दोनों ही यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि होगा क्या? एक नंबर की दावेदारी में दावेदारों की श्रृंखला के कारण भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी हो गई थी तो दूसरी ओर दो नंबर में तो कोई झांकना भी नहीं चाहता। पर यहां पर भी कुछ गड़बड़ दिखने लगी है। ले देकर गाड़ी दो और तीन के बीच उलझ गई है। आकाश बाबू ने पत्र लिखकर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है। इस क्षेत्र के अलावा क्षेत्र क्रमांक 5 में पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन की सहमति से उम्मीदवारी तय होने के आसार है। चार नंबर में जोड़ गुणे भले ही चल रहे हो पर यहां भी उम्मीदवारी को लेकर कोई आशंका नहीं है सारा झगड़ा क्षेत्र क्रमांक पांच और महू पर ही आ गया है। पिछले दिनों संगठन के ताकतवर नेता हितानंद शर्मा ने अपनी ओर से डॉ. निशांत खरे की दावेदारी को मजबूत कर दिया है। वे इन दिनों महू या फिर क्षेत्र क्रमांक 5 में उनकी दावेदारी को लेकर पूरी ताकत लगा चुके हैं। माना जा रहा है कि किसी एक जगह वे अपनी ताकत से उम्मीदवारी ले आएंगे। अब यह भी जान लीजिए की ये वहीं हितानंद है जिन्होंने दिग्गजों के महापौर दावेदारी को दरकिनार करते हुए पुष्यमित्र भार्गव को इंदौर में उम्मीदवारी दिला दी थी। जबकि कतार में कई दिग्गज भोपाल से दिल्ली तक लगे हुए थे। उस दौरान महापौर के लिए मुख्यमंत्री ने भी डॉ. निशांत खरे का नाम आगे बढ़ाया था परंतु एक साथ विरोध के चलते हितानंद शर्मा ने गली में चार रन निकाल लिए और फिल्डिंग में खड़े दिग्गज खड़े ही रह गये। इस बार फिर यह तय दिख रहा है कि निशांत खरे शहर के सभी उम्मीदवारों में दावेदारी में सबसे ज्यादा मजबूत है। हालांकि अभी पूरी भाजपा एबीवीपी के पुराने झंडा बरदारों के झंडे तले ही चल रही है।

ज्योतिबाबू के मजबूत कंधे…

भाजपा से कांग्रेस और कांग्रेस से भाजपा में कूदाकादी के बीच इन दिनों भरोसा नहीं हो रहा है कि समर में कौन से कंधे काम आएंगे। जिन कंधों पर कांग्रेस टिकी थी, वे ऐसे भरभराए कि अभी तक कांग्रेस इस सदमें से बाहर नहीं आ पाई है। भाजपा के लिए संकट यह हो रहा है कि पुराने कंधे की कदर नहीं हो पा रही और नए कंधे वापस बिदक रहे हैं। एक-दो कंधों के भरोसे अब भाजपा में रहना संभव नहीं है। भाजपा को पहले से ही मजबूत कंधों की जरूरत थी और वे मौजूद थे, फिर मजबूर कंधों ने भी और सहारा लगा दिया। हालांकि पहले दिन से ही इन कंधों को लेकर कोई उत्साह नहीं रहा है। इधर, जो कभी कांग्रेस के लिए अभूतपूर्व हुआ करते थे, वे भूतपूर्व हो गए। राजनीति में यदि आपके साथ कार्यकर्ता पूरी ताकत से खड़ा है तो वह कंधे से कंधा मिलाकर पार्टी को खड़ा कर देता है और यदि कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जाए तो फिर किसी की जरूरत नहीं होती, कार्यकर्ता खुद ही कंधा लगाकर सही जगह पर छोड़ आते हैं। सवाल उठ रहा है कि पुराने अनुभव नए नेता क्यों नहीं ले रहे हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योति बाबू के साथ बड़ी तादाद में वे कंधे भी आ गए, जो व्यक्ति की राजनीति के साथ जुड़े थे। धीरे-धीरे अब इन कंधों को यह समझ में आ गया कि यहां उनके कंधे का कोई सम्मान नहीं है और वे धीरे-धीरे वापस अपने पुराने स्थान पर पहुंचने लगे हैं। इस मामले में भाजपा के एक चिंतनशील नेता ने बताया कि भाजपा किसी को भी अपने यहां से जाने के समय ऐसा कर देती है कि वे जब भी जाएं, केवल अपने कपड़े ही ले जा पाएं। कांग्रेस में विश्वास के साथ हुए खेल के बाद भाजपा इतनी सतर्क हो गई है कि इस चुनाव के बाद ज्योति बाबू के 99 प्रतिशत सिपहसालार पार्टी में अपनी क्षमता खो चुके रहेंगे, ताकि भविष्य में वे केवल भाजपा के भरोसे ही भाजपा में राजनीति करें। इधर कूदाकादी के चलते उनके कुछ और समर्थक भी भले ही कूदाकादी न करें, पर अब वे भी शंका के दायरे में आ गए हैं।

गौरव की आस…

कई विधानसभा में अभी भी उम्मीदवारों का फैसला तो दो सूची आने के बाद भी नहीं हो रहा है। परंतु कलदार प_ों ने सूचना देना शुरु कर दी है। क्षेत्र क्रमांक 3 में पिछले तीन दिनों से भाजपा के नगर अध्यक्ष गौरव रणदीवे को लेकर रणनीति का ऐलान कर रहे हैं। यहां से अभी बल्लेबाज विधायक आकाश विजयवर्गीय ही इस क्षेत्र में प्रबल दावेदार माना जा रहे थे और उन्होंने क्षेत्र क्रमांक 3 में विकास कार्यों की गंगा जमकर बहाई है। आकाश बाबू ने अब क्षेत्र से हाथ जोड़ लिए हैं। अब यह भी संभव नहीं है कि मारे पठान और फूले पिंजारा जो भी हो ऐसा लग रहा है कि रणदीवे लड़ना तो चाहते है पर वे मान रहे हैं कि पांच नंबर में उनकी दाल नहीं गल पायेगी यहां के दावेदार उनसे कई गुना ज्यादा मजबूत है। ऐसे में एक ही दांव हो सकता है कि बिल्ली के भाग से चीका टूट जाए और उनकी लाटरी लग जाए पर इसकी संभावना कम ही है दूसरी ओर उनके सिर पर जिनका हाथ था यानी सुहास भगत वे इन दिनों आराम कर रहे हैं और उनकी दावेदारी को कौन ताकत देगा यह देखना होगा।

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