गुस्ताखी माफ़: क्या कहें, ना खुदा न मिले …. या फिर न घर के ना घाट के… चाल मिल गई….

क्या कहें, ना खुदा न मिले …. या फिर न घर के ना घाट के…

kamlesh khandelwal indore

(kamlesh khandelwal indore) इन दिनों भाजपा और कांग्रेस दोनों की संस्कृति एक जैसी दिखाई देने लगी है। दोनों को ही एक दूसरे के घर से भागी हुई या निकाली हुई को लुभाने की ऐसी होड़ चल रही है कि भाजपा के कई दिग्गज कांग्रेस की प्रेमिकाओं के चल रहे गठबंधन को तोड़ने की फिराक में लगे रहते हैं। दोनों के जमुरे भी अब लगभग सुरत शकल से एक जैसे दिखाई देने लगे हैं। कांग्रेस से भाजपा मेंगये नेता जो पहले कांग्रेस के लिए गली गली डमरु बजाते थे अब उन्होंने पार्टी का ही डमरु बजा दिया। अच्छी खासी कांग्रेस सड़क पर आ गई। सदमे के इलाज के लिए पैसे भी नहीं बचे।

भाजपा तो सत्ता में है तो ऐसे कई घाटे झेल लेती है। परंतु इन सबके बीच कुछ ऐसे भी नेता है जिनके बारे में अब कहा जा रहा है कि उन्हें इधर से उधर कूदने के चक्कर में न खुदा ही मिला ना मिसाले सनम… न इधर के रहे न उधर के रहे। भैया अब ऐसी नांव में हिचकोले ले रहे है जो न कांग्रेस की तरफ जा पा रही है और ना भाजपा की तरफ।

क्षेत्र क्रक्रमांक १ में लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति कर रहे कमलेश बाबू विचित्र दुविधा में फंस गये है उनके आदर्श किसी जमाने में दादा दयालु हुआ करते थे। उन्हें की तर्ज पर उन्होंने अपना सामराज्य स्थापित करने का प्रयास क्षेत्र क्रक्रमांक १ में किया था। परंतु दाल सही तरीके से पक नहीं पाई और इस बीच रायता अलग ढुल गया। संजू बाबू यहां से कांग्रेस के खेवनहार बन गये।

कमलेश बाबू के पास अब कोई दूसरा रास्ता इस क्षेत्र में नहीं बचा है। इस बीच लंबे समय से क्षेत्र क्रक्रमांक १ में किरपालु की जड़ों में दही डालने का काम उन्हीं के नेतृत्व में चल रहा था। इस बार ठीक महापौर चुनाव के पहले उन्होंने भी ज्योति बाबू को अपना आदर्श मानते हुए भाजपा के दामन में लटकने का पुरजोर $प्रयास किया था।

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परंतु क्षेत्र क्रक्रमांक १ के समीकरण में उन्हें जगह नहीं मिल पाई तमाम प्रयास के बाद भी दादा दयालु उन्हें क्षेत्र क्रक्रमांक १ में भाजपाई गृह प्रवेश नहीं करवा पाया। इधर संजू बाबू के कांग्रेसी पार्षद उम्मीदवार एक के बाद एक धड़ाधड़ शहीद होते गये और किरपालु अपने दम पर १२ पार्षदों को जिता लाये। अब कमलेश बाबू की हालत यह हो गई है कि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि वे इन दिनों कौन सी पार्टी में है। kamlesh khandelwal indore

भाजपा कह रही है हमारे यहां उन्हें अभी शामिल नहीं किया गया है। इधर कांग्रेस कह रही है वे भाजपा में जा चुके है जो भी हो बड़े खिलाड़ियों की लड़ाई में कमलेश बाबू kamlesh khandelwal indore का जीवन अब राजनैतिक रुप से हवन हो गया। अब उनके पास सिवाये दूसरों का रायता फैलाने के अलावा कोई काम नहीं बचा हुआ है।

चाल मिल गई….

इन दिनों शहर में राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा को लेकर फुर्सत में बैठे कांग्रेसी नेता ऐसे व्यस्त हो गये हैं जैसे राहुल गांधी उन्हीं के इशारे पर यहां की पदयात्रा करेंगे। राहुल गांधी के पदयात्रा मार्ग का भी हर बार दौरा किया जा रहा है। ऐसा लग रहा है अभी तक राहुल गांधी का मार्ग तय नहीं है। दूसरी ओर इस मामले में दिल्ली में बैठे नेताओं का कहना है कि सारा मार्ग पहले से ही तय किया जा चुका है।

मार्ग के तय किये जाने में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह की अहम भूमिका रही है। इस मार्ग में कोई परिवर्तन नहीं होना है परंतु इंदौर के नेताओं ने पूरे मार्ग पर तीन से चार बार दौरा कर लिया है और जो दौरा कर रहे हैं उनकी हालत यह है कि न तो नगर निगम चुनाव में वे अपने उम्मीदवार जिता पाये।

दूसरी ओर २०० लोगों को भी लाने का कहा जायेगा तो बगले झांकने लगेंगे। वैसे भी यात्रा के मध्यप्रदेश पहुंचने के पहले ही हर क्षेत्र के लिए संगठन स्तर पर दिल्ली से ही नेता पहुंचेंगे जिनके नेतृत्व में स्थानीय नेताओं को चलना होगा। अब देखना होगा राहुल गांधी की यात्रा से पहले संगठन खड़ा हो पाता है या एक दूसरे को दोषारोपण में ही लगा रहेगा।। 

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