Tandoor ban in indore: 11 माह पुराने प्रतिबंध की निगम और पुलिस प्रशासन ही उड़ा रहा धज्जियां

ठंडी पड़ी तंदूर के खिलाफ निगम की मुहिम

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tandoor ban in indore इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)।

शहर के एयर क्वालिटी इंडेक्स को बेहतर करने के लिए कलेक्टर ने 11 महा पहले संबंधित विभागों को निर्देश देते हुए तंदूर पर प्रतिबंध लगाया था। 11 माह बीतने के बाद भी कलेक्टर के आदेशों का पालन नही किया जा रहा है। इतना ही नही पिछले दिनों हुए नगर निगम व पुलिस विभाग के आयोजनो में भी तंदूर का उपयोग खूब किया गया। इस पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी ध्यान नही दिया। ऐसे में शादी समारोह में तंदूर के उपयोग पर कैसे रोक लग पाएगी कहना मुश्किल हो रहा है।

पांच बार स्वच्छता में नंबर वन आने के बाद से ही जिला प्रशासन इंदौर की एयर क्वालिटी इंडेक्स को बेहतर करने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए कलेक्टर ने संबंधित विभागों को निर्देश भी दिए थे। मगर इन दिशा निर्देशों पर न तो नगर निगम अमल कर रहा है और न ही पुलिस विभाग। ऐसे में शहर के लोगों को नियमो का पाठ कैसे पढ़ाया जा सकता है।

दैनिक दोपहर ने इस मामले में जब नगर निगम के मुख्य स्वास्थ अधिकारी अखिलेश उपाध्याय से बात की तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया कि प्रतिबंध लगने के बाद कोई बड़ी कार्रवाई नही की गई। पिछले दिनों हुए नगर नगर निगम की नई परिषद के पहले सम्मेलन में भी मेहमानों के लिए तंदूर की रोटी परोसी गई थी। इतना ही नही दिवाली पर्व पर सीनियर सिटीजनों को पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने अपने हाथों से तंदूर पर रोटी बनाकर खिलाई। हालांकि यह दोनों आयोजन एक परंपरा के दौरान किया गया था।

फिर भी नियमो का पालन यहां नही किया गया। ज्ञात हो कि शहर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इंदौर में संचालित उद्योगों में लकड़ी का इस्तेमाल पिछले साल दिसंबर में ही बंद कर दिया था। जिसके तहत शहर के 168 छोटे और बड़े उद्योगों में बॉयलर को सीएनजी में तब्दील कराने के सख्त दिशा निर्देश भी दिए गए थे।

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वहीं प्रदूषण नियंत्रण मंडल की टीमों को भी हर उस जगह पर निरीक्षण करने के निर्देश थे जहां पर लकड़ी व कोयला जलाकर भोजन बनाया जाता है। इसके लिए प्रदूषण विभाग ने अलग-अलग विभागों के साथ मिल कर संयुक्त प्रयास भी शुरू कर दिए थे। मगर समय बितने के बाद यह मुहिम ठंडी पड़ती चली गई। नतीजतन अब नगर निगम व पुलिस विभाग भी इन आदेशों का मख़ौल उड़ाता देखा जाने लगा है। ऐसे में न तो होटलों में उपयोग होने वाले तंदूर सीएनजी से चलाए जा रहे है और न ही ईंट-भट्टी और दाल मिल से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लग पा रहा है।

जाने अनजाने में हुआ नियमो का उल्लंघन

जिले में हर साल की तरह इस बार भी सीनियर सिटीजन के लिए पुलिस पंचायत की तरफ से दीपावली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में पुलिस का अब तक का सबसे अलग अंदाज देखने को मिला, जहां पुलिस कमिश्नर द्वारा वृद्धजनों के लिए प्रतिबंधित तंदूर पर रोटी बनाते हुए नजर आए। वहीं वृद्धजनों के साथ फुलझड़ी जलाकर दीपोत्सव मनाया गया। इस दौरान अधिकारियों को यह आभास नही हुआ कि इनसे जाने अनजाने में नियम विरुद्ध कार्य हो रहा है। tandoor ban in indore

क्या है पुलिस पंचायत

दरअसल इंदौर पुलिस द्वारा हर साल सीनियर सिटीजन के लिए पुलिस पंचायत की तरफ से दीपावली मिलन समारोह का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में उन वृद्धजनों को आमंत्रित किया जाता है, जो अपने परिवार से दूर होने के कारण दीपावली पर अपने आप को अकेला महसूस करते है।

सामान्य रोटी की अपेक्षा तंदूर की रोटी में कैलोरीज ज्यादा

तंदूर की रोटी में 110 से 150 तक फायदेमंद होती है, इसमे कार्बोहायड्रेट और कैलोरीज का सबसे ज्यादा प्रतिशत होता है। वहीं बता दे तंदूर रोटियां मैदा से बनाई जाती हैं मैदे के लगातार सेवन से कई बीमारियां हो जाती हैं। तंदूर की रोटी में प्रोटीन 10.3 प्रतिशत डिग्री सेल्सियस से 11.5 डिग्री सेल्सियस का प्रतिशत तक है, 1.2 और 1.6 प्रतिशत के बीच नमक जोड़ा जाता है, और रोटी 330 से 450 तक के तापमान में पकती है। यह खाने में भी स्वसिस्ट होती है। यही कारण है कि आम हो या खास लोगो को तंदूर की रोटी खूब भाती है।

तंदूर पर प्रतिबंध क्यों

तंदूरों में लकड़ी या चारकोल को जलाकर गर्मी उत्पन्न की जाती है जो तंदूर में ही धीमी गति से जलती है। गर्मी को तंदूर में ऑक्सीजन की मात्रा द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जिससे वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति में पहुंच जाता है। यही कारण है कि जिला प्रशासन तंदूर पर प्रतिबंध लगा चुके है। tandoor ban in indore

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