अंकारा। तुर्की ने भारत और अमेरिका के खिलाफ साइबर-सेना बनाने में पाकिस्तान की मदद की, इसका खुलासा नार्डिक मॉनिटर ने अपनी रिपोर्ट में किया है। तुर्की ने गोपनीय तरीके से द्विपक्षीय समझौते के तहत एक साइबर सेना स्थापित करने में पाकिस्तान की मदद की, जिसका इस्तेमाल घरेलू राजनीतिक लक्ष्यों के लिए किया गया था और अमेरिका और भारत पर हमला करने के लिए किया गया था।इसे पाकिस्तानी शासकों के खिलाफ की गई आलोचना को कम करने का निर्देश भी दिया गया था।
नार्डिक मॉनिटर ने कहा कि तुर्की ने जनमत तैयार करने के लिए, दक्षिण पूर्व एशिया में मुसलमानों के विचारों को प्रभावित करने, अमेरिका और भारत पर हमला करने और पाकिस्तानी शासकों के खिलाफ की गई आलोचना को कम करने के लिए एक साइबर-सेना स्थापित करने में पाकिस्तान की मदद की। नार्डिक मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में तुर्की के गृह मंत्री सुलेमान सोयलू के साथ बैठक के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान, जो साथ ही गृह मंत्री का पद संभाल रहे थे, ने इस योजना पर बात की थी। इस योजना से परिचित सूत्रों के हवाले से नॉर्डिक मॉनिटर ने बताया कि इस गुप्त योजना को साइबर अपराध के खिलाफ सहयोग को लेकर किए गए द्विपक्षीय समझौते के तहत छुपाया गया था, जबकि वास्तव में यह अमेरिका, भारत और अन्य विदेशी शक्तियों द्वारा साइबर अपराध के खिलाफ अपनाए गए कथित प्रभावित संचालन के खिलाफ था।