Omkareshwar Corridor: प्रदेश में भाजपा की सत्ता वापसी का रास्ता शिव मॉडल

निमाड़ में पैठ बढ़ाने के लिए ओंकारेश्वर कॉरिडोर की योजना बनेगी

Omkareshwar Corridor

शार्दुल राठौर

इंदौर। भव्य महाकाल कॉरिडोर प्रोजेक्ट की ब्रांडिंग के बाद सरकार ओंकारेश्वर प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने जा रही है। सरकार के विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि प्रदेश की भाजपा सरकार उज्जैन के बाद अब ओंकारेश्वर पर फोकस करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महाकाल लोक की तर्ज पर ओंकारेश्वर कॉरिडोर तैयार करने के लिए पूर्व में तैयार की गई योजना में बदलाव कर सकते हैं।

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ओंकारेश्वर के मंधाता पर्वत पर 108 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की मूर्ति के निर्मण से जुड़े प्रोजेक्ट पर विरोध के चलते ओंकारेश्वर कॉरिडोर की नई योजना तैयार की जा सकती है। भाजपा को इस बार अपनी चुनावी नैया पार लगाने के लिए राम के श्रीराम के बजाए शिव से ज्यादा उम्मीदें हैं। मध्य प्रदेश में अगले साल विधनसभा चुनाव होना है। मालवा को महाकाल लोक की सौगात मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान दे चुके हैं। अब अगला प्रोजेक्ट निमाड़ में ओंकारेश्वर को लेकर रहेगा।

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दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान फरवरी 2017 में ओंकारेश्वर में तीन संकल्प लिए थे। इनमे से एक संकल्प था मंधाता पर्वत पर 108 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की मूर्ति का निर्माण करवाना था। इसका निर्माण 2023 तक पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन पर्यावरणविद और साधु-संतों के विरोध से यह प्रोजेक्ट अब धीमा पड़ गए हैं।Omkareshwar corridor  विवादों के चलते ही मुख्यमंत्री ने महाकाल लोक के उद्घाटन में एक बार भी ओंकारेश्वर का जिक्र नहीं किया, लेकिन सरकार से जुड़े सूत्र बताते हैं की ओंकारेश्वर कॉरिडोर की योजना पर फिर से समीक्षा कर सरकार नया प्रस्ताव लाएगी, जिसमें मंधाता पर्वत पर 108 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की मूर्ति के निर्माण की योजना में बदलाव किए बगैर नई योजना तैयार की जाएगी। 

पांचवीं बार सत्ता में आने की कोशिश

उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भाजपा को जबरदस्त रिस्पांस मिला था। भाजपा इसे भुनाकर दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने में सफल रही। उत्तराखंड में केदारनाथ सहित चारधाम परियोजना की धूम देशभर में नजर आ रही है। इसी तर्ज पर सरकार और सत्ता संगठन के नेता महाकाल कॉरिडोर की भव्यता को जन-जन तक पहुंचाने कर जनता के बीच अपनी पैठ बढ़ाना कहते हैं। भाजपा को इस बार अपनी चुनावी नैया पार लगाने के लिए राम के श्रीराम के बजाए शिव से ज्यादा उम्मीदें है। यही कारण है कि महाकाल कॉरिडोर प्रोजेक्ट की ब्रांडिंग पूरे प्रदेश में जोरशोर से की गई है। प्रदेश की भाजपा सरकार उज्जैन के बाद अब ओंकारेश्वर पर फोकस करेगी। दीपावली बाद इस पर फैसला लिया जा सकता है। 

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65 हजार बूथों से मिला शिव का फीडबेक

भाजपा को 65 हजार बूथों के डिजिटलाइेशन के दौरान जो डाटा और फीडबैक मिला है, उससे सत्ता और संगठन को कई चुनावी टिप्स मिल गए हैं। इस रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि 8 से 10 माह के दौरान राज्य के शिव मंदिरों में सुबह-शाम भक्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या महिला भक्तों की देखी जा रही है। यही कारण है कि भव्य महाकाल कॉरिडोर परियोजना का धूमधाम से प्रचार किया गया है। अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर शिलान्यास के बाद भाजपा को यूपी के शिव मॉडल की ताकत का अहसास हो गया है। इसलिए सत्ता और संगठन को यूपी का यह शिव मॉडल ज्यादा रास आ रहा है।

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केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने भी दिए संकेत

महाकाल लोक के बाद मध्यप्रदेश के अन्य तीर्थ स्थलों का भी जीर्णोद्धार होने की संभावना है। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने इंदौर आवास के दौरान मंगलवार को इसके संकेत दिए हैं की महाकाल मंदिर के बाद ओंकारेश्वर मंदिर का भी जीर्णोद्धार हो सकता है। इसे लेकर प्रहलाद पटेल का कहना है कि बस थोड़ा इंतजार करिए। उज्जैन में दिवाली से पहले का आनंद लें और आस्था के सैलाब को उमड़ने दें। अगला नंबर जाहिर तौर पर मध्य प्रदेश के दूसरे ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर का ही होगा।

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