महाकाल लोक: एक ओर सौगात मिले तो मालवा-निमाड़ बन सकता है बड़ा पर्यटन केन्द्र
महाकाल लोक की तर्ज पर ओंकारेश्वर कॉरिडोर की संभावना
शार्दुल राठौर
इंदौर। उज्जैन में महाकालेश्वर और खंडवा में ओंकारेश्वर देश के सबसे कम दूरी वाले दो ज्योतिर्लिंग में शामिल है। दोनों के बीच की दूरी भी करीब 200 किलोमीटर है। महाकाल लोक प्रदेश के पर्यटन नक्शे पर बड़ी सौगात से कम नहीं है, लेकिन ये सौगात और भी बड़ी हो सकती है, जब सरकार ओंकारेश्वर कॉरिडोर को विकसित करने की योजना पर काम शुरू करें। केन्द्र सरकार यदि दोनों तीर्थ स्थलों को पर्यटन के रुप में विकसित करे तो प्रदेश के लोगों को एक ओर पर्यटन स्थल की सौगात मिल सकती है। 400 करोड़ की योजना से दोनों को आपस में जोड़ा जा सकता है।
साथ ही हेलीकाप्टर की व्यवस्था भी दोनों स्थानों पर हो जाए, जिससे एक ही दिन में लोग दोनों स्थानों पर घुमकर वापस लौट जाएं। इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, अपितु रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे। उज्जैन के बाद इंदौर के नजदीक ओंकारेश्वर में महाकाल लोक की तर्ज पर विकसित करने की अपार संभवानाएं है। प्रदेश सरकार इस योजना पर काम करती है तो पर्यटन के साथ रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ जएगी। साथ में इंदौर दो ज्योतिर्लिंग को जोड़ने वाला शहर बनकर नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर सामने आएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह उम्मीद की जा रही है की महाकाल लोक के लोकार्पण के साथ वे ओंकारेश्वर कॉरिडोर को विकसित करने की योजना पर ध्यान केंद्रित करें।
देश में केवल मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है, जहां 12 ज्योतिर्लिंग में से दो ज्योतिर्लिंग प्रतिष्ठापित है। ये पवित्र स्थान विश्व पर्यटन केन्द्र के रूप में स्थापित हों, इसके लिए योजना बनाकर आगे काम किया जाए तो काशी की तरह उज्जैन-इंदौर-ओंकारेश्वर के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने के रास्ते महाकाल लोक के माध्यम से खुल सकते हैं। आने वाले दिनों में महाकाल लोक का वैभव देखने के लिए उज्जैन आने वाले पर्यटक दूसरे ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर भी जाना चाहेंगे, लेकिन इसे आसान बनाने के लिए सरकार को महाकाल लोक की तर्ज पर ओंकारेश्वर कॉरिडोर भी विकसित करना होगा और उज्जैन ओंकारेश्वर के बीच कनेक्टिविटी भी बढ़ाना होगी।
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इस योजना पर ठीक से कम किया तो काशी की तरह उज्जैन, इंदौर,ओंकारेश्वर, महेश्वर, मांडू और महू के लोगों की भी तकदीर बदलेगा। इन क्षेत्रों में तीर्थाटन और पर्यटन बढ़ेगा। इस उम्मीद में पर्यटन विभाग को इन स्थलों को मिलाने के लिए पर्यटन सर्किट बनाने पर काम शुरू करना होगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलना भी तय है।
60 हजार लोगों के पहुंचने की संभावना
महाकाल लोक विकसित होने के बाद अगले दो महीनों में उज्जैन में प्रतिदिन 60 हजार तक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। स्वाभाविक है कि इनमें से 50 प्रतिशत लोग ओंकारेश्वर, इंदौर, महेश्वर और मांडू की भी सैर करने जाएंगे। उज्जैन और ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग के साथ वहां की शिप्रा और नर्मदा नदी में स्नान, उसकी खासियत देश-विदेश तक पहुंचे तो पर्यटकों की संख्या भी बढ़ सकती है। महाकाल लोक के बाद ओंकारेश्वर कॉरिडोर विकसित होने से उज्जैन-ओंकारेश्वर के बीच पर्यटन के क्षेत्र में संभावना नजर आती है। इसके लिए दो ज्योतिर्लिंग बस, रेल और हवाई सेवा यानी हेलीकॉप्टर की सुविधा देकर एक नया धर्मिक पर्यटन क्षेत्र विकसित किया जा सकता है।
कहां से कितनी दूरी
उज्जैन से इंदौर की दूरी लगभग 55 किलोमीटर, ओंकारेश्वर 138 किमी, महेश्वर 160 किमी, मांडू 155 किमी, महू (डा. आंबेडकर नगर) 90 किमी है। इन स्थानों पर परिवहन के बेहतर विकल्प मौजूद हैं और रात में रुकने के भी पर्याप्त इंतजाम हैं। बस जरूरत है तो दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने और सुविधाएं बढ़ाने की। योजना में तीन शहरों को मिलाकर धर्मिक पर्यटन क्लस्टर पर काम करना होगा।ेे आंकड़ोंं को देखेंं तो भगवान महाकाल के दर्शन के लिए प्रतिदिन 25 से 30 हजार श्रद्धालु उज्जैन और भगवान ओंकारेश्वर के दर्शन को 10 हजार से अधिक श्रद्धालु ओंकारेश्वर पहुंचते हैं।
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