दवा बाजार: बीस साल बाद भी अवैध निर्माण को लेकर केवीएट दायर नहीं की!

अवैध निर्माण नहीं रोकने पर निगम अधिकारियों पर तीन लाख दंड लगाया था

Dawa Bazar Indore
Dawa Bazar Indore

इंदौर। शहर के छोटे अवैध निर्माण तोड़ने को लेकर नगर निगम हर दिन अपनी कार्रवाई को अंजाम दे रहा है तो दूसरी ओर २००१ में दवा बाजार को तोड़ने को लेकर हुए अदालती निर्णय के बाद आखिर कौन सी ताकत नगर निगम को इसे तोड़ने से रोक रही है।

तात्कालिन निगमायुक्त पी. नरहरि के कार्यकाल में भी इसे तोड़ने को लेकर केवीएट दायर की जा रही थी जो बाद में किसी दबाव के चलते दायर नहीं हो सकी। दवा बाजार के अवैध निर्माण में उच्च न्यायालय द्वारा पहली बार दोषी निगम अधिकारियों को भी दंड दिया गया था जिन्होंने अवैध निर्माण होने पर रोकने की कार्रवाई नहीं की थी। उनसे क्षतिपूर्ति के रुप में वसूली करने के लिए आदेश दिये गये थे।

नगर निगम के सूत्र बता रहे हैं कि दवा बाजार की फाइलें नगर निगम में मिलना संभव नहीं है। इसकी फाइलें जला दी गई हैं। इसलिए इसके दस्तावेज मिलना अब संभव नहीं है। दूसरी ओर इस डेढ़ लाख वर्गफीट के अवैध निर्माण का नक्शा इसके बिल्डरों के पास में भी नहीं है।

उच्च न्यायालय में भी इस अवैध निर्माण की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अवैध निर्माण अगर है तो नगर निगम को ही कार्रवाई करना चाहिए और इसके लिए नगर निगम सक्षम है।

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तीन साल तक न्यायालय में चले प्रकरण के बाद इस दवा बाजार की ऊपर की दो मंजिलों को पूरी तरह अवैध करार दिया गया है।

नगर निगम के जनकार्य विभाग के पूर्व कर्मचारी का कहना है कि दवा बाजार के बिल्डर योगेंद्र जैन बाबा के शहर में ऐसे कई अवैध निर्माण खड़े हुए हैं जिन्हें समय समय पर राजनीतिक संरक्षण मिलता रहता है। और इसलिए अभी तक नगर निगम ने इस डेढ़ लाख वर्ग फीट के अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए कोई केवीएट दायर नहीं की।

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