indore dawa bazar: फर्जी नक्शे पर डेढ़ लाख वर्गफीट अवैध निर्माण आज भी खड़ा

दिग्विजय के कार्यकाल में टूटने से बचाया था उन्होंने, 22 साल हो गये निगम ने कुछ नहीं किया

dawa bazar indore

indore dawa bazar

इंदौर।

इंदौर शहर के सबसे बड़े अवैध निर्माण दवा बाजार का मूल नक्शा वर्ष २००५ में ही नगर निगम से गायब हो चुका था। डेढ़ लाख वर्गफुट से ज्यादा अवैध निर्माण को तोड़े जाने को लेकर उच्च न्यायालय भी आदेश कर चुका है। २००१ में दवा बाजार के खिलाफ हाईकोर्ट में लगी एक याचिका के संदर्भ में इसे तोड़ने के आदेश दिये गये थे। यह मामला तात्कालिन न्यायामूर्ति आर.डी. व्यास और शंभुसिंह की डबल बेंच ने सुनाया गया था। सुनवाई के दौरान ही बाजार में न्याय को लेकर ूबड़े लेनदेन की खबरें फैलने के कारण तात्कालिन न्यायामूर्ति शंभुसिंह ने बेंच ही छोड़ दी थी।

बहुचर्चित दवा बाजार की फाइल से मूल नक्शा पिछले बीस वर्षों से नदारत है। कोर्ट ने इसके अवैध निर्माण को तोड़ने के आदेश दे रखे हैं। इस दवा बाजार के तलघर में सरकारी भूमि पर भी कब्जा कर सामने से निकल रही सड़क के नीचे तक दुकानें बनाकर बेची गई है। साथ ही ऊपर की दो मंजिला पूरी तरह अवैध बनी हुई है। दवा बाजार पर जब तोड़ने की कार्रवाई के लिए नगर निगम ने उच्च न्यायालय में केवीएट दायर की थी ताकि अवैध निर्माण को स्टे ना मिल सके तब पाया गया था कि दवा बाजार का मूल नक्शा ही गायब है और फर्जी नक्शे से इतना विशाल भवन तन गया। उस वक्त १२ वें अपर जिला न्यायाधीश मनोहर ममतानी ने दवा बाजार प्रकरण में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था।

पहली बार इस अवैध निर्माण को लेकर नगर निगम के दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने का फैसला सुनाते हुए उनसे क्षतिपूर्ति राशि के रुप में तीन लाख रुपए वसूली करने के लिए कहा गया था। वर्ष १९८८ में तात्कालिन भवन अधिकारी आर.के. सिंह कुशवाह ने इस दवा बाजार पर जी प्लस थ्री का नक्शा पास किया था। इसमे कहीं पर भी बेसमेंट निर्माण की अनुमति नहीं थी। लेकिन अवैध कामकाजों केट बादशाह योगेंद्र बाबा यानी योगेंद्र जैन ने सारे कायदे कानून को जेब में रखकर यहां पांच मंजिला से ज्यादा थोक में अवैध निर्माण कर लिया था।

इसके साथ ही दवा बाजार का पार्किंग भी दुकानें बनाकर बेचा गया और तलघर का निर्माण कर सरकारी जमीन पर फर्जी नक्शे के आधार पर निर्माण कर लिया। यह पूरी बिल्डिंग फर्जी नक्शे के आधार पर भी आज भी बनी हुई है। नगर निगम के एक अधिकारी ने माना की दवा बाजार में आज भी डेढ़ लाख स्के.फीट से अधिक अवैध निर्माण है जिसकी आज बाजार कीमत सौ करोड़ रुपए से ऊपर बैठती है।

Also Read – शिव कोठी और दवा बाजार प्रदेश के सबसे बड़े अवैध निर्माण

तात्कालिन नगर निगम के अभिभाषक जाहिद खान ने सबसे पहले इस फर्जी नक्शे की गड़बड़ी को पकड़ा था। इस नक्शे पर वास्तुविद अचल चौधरी और जमीन मालिक किबे के हस्ताक्षर भी नहीं पाये गये थे। इस भवन के अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए जब नगर निगम ने अपनी पूरी तैयारी कर ली तब इस दवा बाजार के अवैध निर्माता योगेंद्र बाबा ने अपने रिश्तों का उपयोग करते हुए तात्कालिन मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह का उपयोग किया।

दिग्विजयसिंह ने यहां पहुंचे बुलडोजर की कार्रवाई पर विशेष रुची दिखाते हुए फाइल पर प्रमुख सचिव के लिए लिखा था प्लीज लुक दिस मैटर नतीजे में तात्कालिन प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन और आवास यूके सामल ने कार्रवाई रुकवा दी थी।

Also Read – dawa bazar indore: 20 हजार वाहनों की पार्किंग पर दुकाने बनाकर नक्शे के विपरित बेची

इस मामले में पिछले समय तात्कालिन निगमायुक्त पी.नरहरि ने भी केवीएट दायर करने के लिए कहा था। परंतु यह मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। उल्लेखनीय है कि दवा बाजार राज टावर के कर्ताधर्ता दिग्विजयसिंह के कार्यकाल में इंदौर के ताकतवर भूमाफिया के रुप में जाने जाते थे। वही योगेंद्र बाबा ने एक बार फिर अधूरी जानकारी के आधार पर एबी रोड़ पर ध्वस्त राज टावर की जगह नया नक्शा पास करवा लिया है। अभी भी पुराने राज टावर की बुकिंग के लाखों रुपए समझौता कर दिये जा रहे हैं। १२ लोगों को यहां दुकानें आवंटन किए जाने को लेकर भी समझौता किया है।

indore dawa bazar

You might also like