गुस्ताखी माफ़-जमीनी नेता अब जमीन पर दिखाई देंगे, अपनों ने ही आग लगाई…जलवा पूजन बंद…हिसाब चुकता

जमीनी नेता अब जमीन पर दिखाई देंगे

गुस्ताखी माफ़
गुस्ताखी माफ़

इन दिनों भाजपा के जीते और हारे नेताओं के मन में अगले विधानसभा चुनाव को लेकर भले ही लड्डू फूट रहे हों, रात को विधायक होने के सपने आ रहे हों, पर इस बार जो समीकरण संगठन स्तर पर बन गए हैं, वह बता रहे हैं कि इंदौर की राजनीति में नकार दिए गए तमाम भाजपा नेता तो उम्मीदवारी के सपने देखना बंद ही कर दें। जीतने वालों को भी इस बार नए सिरे से पापड़ बेलना होंगे।

 

नगरीय निकाय चुनाव में इंदौर के तमाम नेताओं की रायशुमारी को दरकिनार करते हुए महापौर के लिए किए गए उम्मीदवार के चयन के परिणाम मिलने के बाद अब संगठन ने यह मान लिया है कि कार्यकर्ताओं और नेताओं की उन्हें जरूरत नहीं है। मतदाता ही सीधा पार्टी के साथ जुड़ गया है। ऐसे में कई नए उम्मीदवारों ने भी अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की बलाइयां लेना शुरू कर दी हैं।

भगत के भक्तों की तो पहले से ही लाटरी लगी हुई थी तो नगर अध्यक्ष गौरव बाबू ने क्षेत्र क्रमांक तीन, पांच और राऊ में चूना डालने की तैयारी शुरू कर दी है, वे महापौर चुनाव जिताने का तमगा ले चुक हैं तो प्राधिकरण के राजा जयपालसिंह की नजरें चार नंबर और देपालपुर पर टिक गई हैं। वे शहर में ब्रिज के निर्माण कर अपनी अलग पहचान खड़ी कर रहे हैं। वे दोनों विधानसभा एक ही नजर से देख रहे हैं तो वहीं सावन सोनकर, भगत के विशेष लाड़ले हैं। वे सांवेर या महेश्वर से ही उम्मीदवारी तय मान रहे हैं। इसके अलावा नए चेहरों में एक नंबर में टीनू जैन ने भी अपनी जमीन तैयार करना शुरू कर दी है। इधर नए महापौर ने भी विधानसभा 1 में चूना डालना शुरू कर दिया है तो दूसरी ओर राऊ विधानसभा के लिए इस बार आठ महाराष्ट्रीयन वार्डों में मिली बढ़त ने ताई को मजबूत कर दिया है तो इस बार मिलिंद महाजन यहां से दावेदारी कर सकते हैं। अब यह वक्त बताएगा कि उम्मीदवारों के चयन का पैमाना भाजपा में कैसा रहेगा।

अपनों ने ही आग लगाई…

कांग्रेस में कोई निर्णय होने से पहले ही नेता ही आपस में इस कदर रायता फैलवा देते हैं कि उसे सबोरना बड़ा कठिन हो जाता है। जोड़-जुगाड़ और सेटिंग के साथ ही आगे बढ़े विनय बाकलीवाल की तर्ज पर ही अरविंद बागड़ी ने नगर अध्यक्ष के लिए दो विधायकों को साधने के बाद अनाथ कांग्रेस में नाथ को साध लिया था। लगभग नारियल फोड़ने की स्थिति बन ही गई थी, परंतु विघ्न संतोषी नेताओं ने अरविंद बागड़ी के नाम का रायता ऐसा फैलाया कि अब यह नियुक्ति खटाई में पड़ गई। विनय बाकलीवाल भी यही चाहते थे कि रायता फैल जाए। अब नए सिरे से नई घोड़ी, नया दाम फिर शुरू होना है, पर अब राष्ट्रीय चुनाव के चलते गाड़ी ठंडे बस्ते में चली गई है।

जलवा पूजन बंद…

भाजपा के कद्दावर नेता और एमआईसी के पूर्व सदस्य चुनाव हारने के बाद इस कदर सदमे में चले गए हैं कि वे इन दिनों घर से बाहर ही नहीं निकल रहे हैं। बहुत आवश्यक होने पर ही अपना मुखड़ा दिखा रहे हैं। हालांकि नए माहौल में उन्हें वापस कामकाज में लगाने के लिए भाजपा के बड़े नेता भी उनके घर दीया जलाकर आए हैं, पर इसके बाद भी परिणाम बेहतर नहीं मिल रहे हैं।

हिसाब चुकता

क्षेत्र क्रमांक तीन में भाजपा के एक कद्दावर नेता के तीन कार्यकर्ता नगर निगम में मस्टरकर्मी के रूप में कार्यरत थे। नगरीय निकाय चुनाव में उनके द्वारा भाजपा के लिए किए गए कार्य भाजपा के नेताओं को हजम नहीं हो रहे थे, खासकर विधायकजी के कान तक सारी सूचनाएं उनके हरिराम पहुंचा रहे थे। अब चुनाव निपटते ही सबसे पहले नेताजी ने भाजपा नेता के तीनों मस्टरकर्मियों को नगर निगम से बाहर का रास्ता दिखा दिया, यानी युद्ध कहीं हुआ और परिणाम कहीं और देखने को मिले।

 

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