गुस्ताखी माफ़: भाजपा में घुटन के साथ टूटन का दौर भी शुरु…स्वामी उत्तम हो डिजाइन बढ़िया डलेगी…

भाजपा में घुटन के साथ टूटन का दौर भी शुरु…

BJP FUNNY NEWS
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भाजपा में घुटन और टूटन का दौर अब तेजी से शुरु हो गया है। भाजपा को सत्ता का मोह अब भारी पड़ रहा है। अब भाजपा में कोई भी ऐसा व्यक्तित्व नहीं रह गया है, जो मेहमानों के साथ मेजबानों को भी संभाल सके। कुंबा बढ़ाने के चक्कर में अब परिवार के लोगों से भी अब हाथ धोना पड़ रहा है। जहां शिखर पर विराजित रहे भाजपा के आधार स्तम्भ कहे जाने वाले भी अब भाजपा से टूट रहे है, तो नींव के पत्थर भी दरक रहे है। यह कोई सामान्य घटना नहीं है। जहां भाजपा का शेष नेतृत्व यह समझने को तैयार नहीं है कि सत्ता के लालच में भाजपा में शामिल हो रहे नेताओं के कारण भाजपा की मूल विचार धारा और कार्यकर्ताओं को सम्मान जो कार्यकर्ता के लिए सबसे ऊपर था, वह खत्म हो गया है। आश्चर्य की बात यह भी है कि पिछले दिनों इंदौर विमानतल पर भाजपा के ही वरिष्ठ नेता और प्रदेश में 320 उम्मीद्वारों के भाग्य का फैसला करने वाले नेता कृष्णमुरारी मोघे को अपना ही घर तबाह करके भाजपा में आए, ज्योतिरादित्य सिंधिया यह समझा रहे है कि उन्हें वरिष्ठ होकर इस प्रकार के बयान नहीं देना चाहिए।

इससे पता लगता है कि भाजपा में अब कार्यकर्ता की दुर्दशा कैसी हो रही है। इधर, कांग्रेस को बर्बाद कर भाजपा की सरकार बनाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए कार्यकर्ताओं को अब घुटन के बाद वापस कांग्रेस का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है। इस मामले में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता नेता कहा कि सिंधिया के साथ भाजपा में आए तमाम कार्यकर्ता सिंधिया समर्थक थे। वे भाजपा के लिए मस्से से ज्यादा कुछ नहीं है। उनके आने और जाने से भाजपा को कोई अंतर नहीं पड़ रहा है। पर यह बात जरूर है कि भंवरसिंह शेखावत से लेकर दिनेश मल्हार तक का भाजपा में घुटन के बाद टूटन होना कितना दुखदायी है।

भाजपा छोड़ने में इन्हें भी बहुत दुख हो रहा होगा और उन्होंने एक बड़ा निर्णय अपने सम्मान को बचाने के लिए लिया है। हालांकि अब जिस प्रकार की राजनीति भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में शुरु कर दी है, उसी राजनीति के शिकार कार्यकर्ता अब होने लगेंगे। अभी तो पहली लिस्ट ही बिना किसी राय शुमारी के थोपी गई है, ऐसी ही अगर एक लिस्ट और आ गई, तो भाजपा में भूचाल संभाले नहीं संभलेगा और इसी विद्रोह की आशंका के चलते जनआर्शीवाद यात्रा को सुरक्षित रखने के लिए भाजपा ने अपनी दूसरी सूची अंतिम रुप देने के बाद भी थोपी नहीं है, क्योंकि उन्हें आर्शीवाद से ज्यादा आक्रोश का भय दिखने लगा था।

स्वामी उत्तम हो डिजाइन बढ़िया डलेगी…

इन दिनों शहर में चुनावी बयार बहना शुरू हो गई है। दोनों ही दलों में अब संभावनाओं के आधार पर प्रयास प्रारंभ हो चुके हैं। हालांकि कई दिग्गज अभी भी जोड़-जुगाड़ पर ही भरोसा रखते हैं। इसके चलते दोनों ही दलों में आने और जाने के क्रम के कारण दल से दलदल तक हो गई है। इस राजनीति में अब दोनों ही दल धंसे हुए दिखाई दे रहे हैं। किसी भी दल के विचार से तो अब जुड़ने का मतलब नहीं रह गया है। दोनों ही दलों में दोनों ही विचारधाराएं मिलने लगी हैं। आपाधापी में नेताओं को यह ध्यान भी रखना पड़ रहा है कि भाजपा का बायोडाटा कांग्रेस में और कांग्रेस का बायोडाटा भाजपा में नहीं चिपक जाए। दूसरी ओर इन दिनों शहर में कथा करने वाले संत-महात्माओं की भी अनुशंसा लग रही है। जो नेता भाजपा में भगत की भक्ति से स्थान पा गए थे, वे भी अब इस मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं और फिर स्वामी उत्तम हो तो मार्ग अपने आप मिल जाता है तो दो दावेदार इस समय स्वामीजी के भरोसे ही गाड़ी उत्तम तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। इस मामले में उनकी मदद करने वालों में वह भी शामिल हैं, जिनके पास नेताओं के गले से लेकर जेब तक की डिजाइन मौजूद है और उनकी मदद से मंजिल तक पहुंचा जा सकता है, क्योंकि डिजाइनर का काम भी तो यही होता है कि आपके हिसाब से डिजाइन डालें। अब वक्त बताएगा कि स्वामी की आराधना उत्तम रही या डिजाइनें सही काम कर गईं।

-9826667063

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