महंगाई और बेरोजगारी के चलते ढाई करोड़ लोगों ने अपनी बीमा पॉलिसियां समय से पहले भुना ली

घर चलाने के लिए भारी नुकसान के बाद लिया फैसला, 16 बीमा कंपनियों ने आंकड़े जारी किए

 

नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश में महंगाई और बेरोजगारी का असर अब दिखाई देने लगा है। पहली बार बीमा कराने वाले आर्थिक तंगी के चलते बीमा कराने से पीछे हट रहे हैं तो दूसरी ओर पिछले एक साल में दो करोड़ तीस लाख बीमा पॉलिसी लोगों ने सरेंडर कर दी। इनमें से बड़ी तादाद में बीमा पॉलिसी धारकों ने अपनी पॉलिसी परिपक्व होने से पहले ही घाटा उठाते हुए भुना ली। सर्वे बता रहा है कि लगभग सभी ने माना कि भीषण आर्थिक संकट और महंगाई के चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है। दूसरी ओर भविष्यनिधि कार्यालय का भी कहना है कि उनके यहां से तीन गुना तक सदस्य अपनी राशि निकाल चुके हैं।

inflation and unemployment
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देश की चौबीस में से सोलह बीमा कंपनियों ने अपने आंकड़े जारी करते हुए इसे बड़ा झटका बताया है कि देश में बीमा कराने को लेकर बड़ी तादाद में लोग पीछे हट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लंबी अवधि के लिए ली गई बीमा पॉलिसी के धारकों ने अब अपनी पॉलिसी सरेंडर करते हुए समय से पहले ही राशि निकाल ली है।

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हालांकि इसमें भारी नुकसान भी उठाना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि एलआईसी, मैक्स, आईसीआईसीआई, आलियांस, कोटक महिन्द्रा, एचडीएफसी, टोक्यो लाइफ सहित सोलह बीमा कंपनियों ने अपने आंकड़े देते हुए यह बताया है कि पॉलिसी धारक को पॉलिसी परिपक्व (मैच्योर) होने पर जहां बासठ हजार 552 रुपए मिलने थे, वह अब तिरयालीस हजार तीन सौ छह रुपए ही प्राप्त हो रहे हैं। दूसरी ओर बड़ी तादाद में ऐसे लोग भी हैं, जिनको बीमा कराए हुए तीन साल से कम समय हुआ था और उन्होंने अपनी प्रीमियम भरना बंद कर दी।ऐसे लोगों का पैसा बीमा कंपनी वापस नहीं देती है।

संख्या भी लाखों में पहुंच रही

इनकी संख्या भी लाखों में पहुंच रही है। दूसरी ओर इस मामले में बीमा धारकों का कहना है कि कोविड काल के बाद रोजगार नहीं मिलने और नौकरी जाने के कारण अब प्रीमियम भरना असंभव हो गया है और इसी कारण नुकसान उठाने के बाद भी समय अवधि से पहले ही पालिसी का भुगतान ले रहे हैं। लाखों लोग घोर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। कई लोग जिनका पीएफ में पैसा जमा था, वे भी नौकरी जाने के बाद अपनी राशि भविष्यनिधि से निकालकर खाता खाली कर रहे हैं। दूसरी ओर भविष्यनिधि कार्यालय के अनुसार लगभग 50 लाख खाते ऐसे हैं जो कोरोनाकॉल के बाद वापस शुरू नहीं हो पाए। यानी नई नौकरियां इन्हें नहीं मिली हैं।

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