सितंबर से मुफ्त अनाज योजना बंद करने की तैयारी

देश में अनाज का स्टॉक पांच साल के न्यूनतम स्तर पर, चावल की फसल भी पिछड़ी

नई दिल्ली (ब्यूरो)।

सरकार महंगाई के मोर्चे पर लगातार काम कर रही है। इसके बाद भी अब अनाज की महंगाई पीछे हटने को तैयार नहीं है। एक ओर जहां गेहूं और चावल का स्टॉक 2008 के बाद न्यूनतम स्तर पर आ गया है, जिसके चलते देश में गेहूं की किल्लत शुरू हो गई है तो वहीं अब आटे के भाव अगले एक माह मेें 20 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं। दूसरी ओर चावल की फसल भी कम होने का आंकड़ा आने के बाद सरकार सितंबर माह के बाद देश भर में बांटे जा रहे मुफ्त अनाज से हाथ खींचने की तैयारी कर चुकी है। सरकार के इस कदम के बाद बाजार में खाद्य महंगाई में फिर आग लगेगी। दूसरी ओर दालों का उत्पादन भी पिछड़ गया है।

सरकार के पास पुल में गेहूं और चावल का स्टॉक पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आने के बाद अब सरकार कई कदम उठाने की तैयारी कर रही है। दूसरी ओर देश के कई राज्यों में गेहूं की किल्लत शुरू होने के बाद आटा मिलों में गेहूं की मांग तेजी से बढ़ी है। आटे के भाव 40 रुपए तक पहुंच रहे हैं। दूसरी और गेहूं भी देश की मंडियों में 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक चला गया है। इसके पीछे मुख्य कारण सरकार द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान गेहूं का तेजी से निर्यात करना भी है।

अब गेहूं महंगी कीमत पर आयात करना होगा। चावल का उत्पादन भी इस बार 18 लाख हेक्टेयर में कम हो गया है, इसलिए सरकार सितंबर के बाद 80 करोड़ लोगों को मुफ्त दे रही अनाज योजना से हाथ खींचने की तैयारी कर चुकी है। यह योजना अब जारी रखना सरकार के लिए संभव नहीं होगा। सरकार के इस कदम के बाद बाजार में अनाज की खरीदी बढ़ने से और महंगाई बढ़ेगी। दूसरी ओर देश में उड़द और अरहर की दाल की कीमतें भी 18 प्रतिशत तक बढ़ गई है क्योंकि इस बार दाल का उत्पादन भी 5 लाख हेक्टेयर घट गया है। दूसरी ओर दालों का निर्यात देश से पांच गुना और बढ़ गया है। अब दालों का आयात भी सरकार को करना होगा।

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