गुस्ताखी माफ़: बस यूं ही…पंडित की राऊ से चुनावी तैयारी…विनय बाबू के चेहरे से हवाइयां उड़ी…

बस यूं ही…


एक सफल राजनेता को हर कदम पर सफलता पाने के लिए पहले चरण में असीम, नायाब, अनंत और शाश्वत साथ लगता है। धीरे-धीरे उसके पैर राजनीति की जमीन पर जमने लग जाते हैं। ऐसा राजनेता चाहता है वह शहर और समाज में राजनीति करते हुए भी साख बनाने में सफल हो जाए। इसके लिए उसे मानसिक रूप से कंचन रहना होता है।

यह कोई आसान काम नहीं है, वरना सुबह से कार्यकर्ताओं और आम लोगों की बात सुनते-सुनते संझा तक कई फैसले अकेले लेना पड़ते हैं। संझा तक आते-आते कई बार फैसलों में गलतियां भी होती रहती हैं, पर इसके बाद भी राजनीति में जमीन मजबूत रखना अपने से आगे रहे नेताओं के बीच आसान नहीं होता, पर निश्चित रूप से कार्यकर्ताओं के लिए भी आपको मुद्रा की जरूरत पड़ ही जाती है। हर नेता चाहता है कि वह कार्यकर्ताओं को तेजी से जोड़े, पर यह बिना मुद्रा के संभव नहीं है। यह बात अलग है कि दूसरी ओर महापौर उम्मीदवार की चार खोखे मुद्रा लग गई, पर परिणाम सामने नहीं आया। शहर में इन दिनों नारी सम्मान की इस राजनीति की चर्चा भोपाल से लेकर दिल्ली तक जमकर हो रही है। होना भी चाहिए। राजनेता की अपनी एक भावना भी होती है। अब यह मत पूछ लेना, यह कौन है। थोड़ी मेहनत खुद भी किया करो यार… हालांकि इस पूरे लिखे-पढ़े से राजनीति का कोई लेना-देना नहीं है।

पंडित की राऊ से चुनावी तैयारी…


युवा मोर्चा की कार्यकारिणी में पेलवान ने अपनी ओर से उपाध्यक्ष पद के लिए अजिताभ शर्मा का नाम दिया था। अजिताभ शर्मा भाजपा से कम, पेलवान से ज्यादा जुड़े रहे हैं। इधर युवा मोर्चा अध्यक्ष सौगात मिश्रा ने यह बता दिया कि मेरे सामने ऐलवान-पेलवान की कोई हैसियत नहीं है और यह भाजपा है। पहले कार्यकर्ताओं को जगह मिलेगी, फिर जो घर जमाई बनकर रोटी खा रहे हैं, उन्हें मिलेगी। हुआ भी यही, मिश्रा पंडित ने अजिताभ शर्मा को इंटरनेट मीडिया सहप्रभारी बना दिया। अब पेलवान के पास खंबा नोचने के अलावा कुछ नहीं बचा था। इधर अजिताभ शर्मा को भी दोनों ही हैसियत पता लग गई। उन्होंने भी पद से इस्तीफा देकर इस अध्याय को समाप्त कर दिया। भाजपा को समझने वाले जानते हैं कि यहां किसी को भी खड़ा करके दो मिनट में ‘ठकÓ कर दिया जाता है।

विनय बाबू के चेहरे से हवाइयां उड़ी…

शहर कांग्रेस की हालत अब किसी भी कार्यकर्ता से छुपी नहीं है। कार्यकर्ताओं का मोह संगठन के नेताओं के प्रति इस कदर कम हो चुका है कि बड़े नेताओं के आगमन पर भी बैठक में पदाधिकारी तक नहीं आते है। दूसरी ओर सोशल मीडिया पर बाकलीवाल की मुक्ति को लेकर भी खबरें आने के बाद कई नेताओं ने किनारा करना शुरू कर दिया है। कभी एक गाड़ी से भोपाल तक सफर करने वाले संजय शुक्ला और विशाल पटेल भी अब उनसे दूरी बना चुके है।

राऊ के विधायक जीतू पटवारी से उनकी पटरी लंबे समय से नहीं बैठ रही है। वे समय-समय पर बाकीलवाल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते है। कल जब गांधी भवन में मोर्चा संगठनों, ब्लाक अध्यक्षों और मंडल अध्यक्षों की बैठक में प्रभारी संगठन मंत्री ने नगर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल की लू उतार दी और साथ ही कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि जब आपके बुलावे पर ही लोग बैठक में नहीं आ रहे है तो मुझे सबके पते दे दो मैं उनके निवास पर जाकर दर्शन कर आता हूं। इसके बाद विनय बाबू के चेहरे पर हवाइयां तो उड़ीं, पर वहां मौजूद लोगों को मजा आ गया।

-9826667063

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