गुस्ताखी माफ़- हुकुमचंद में सरकार की झांकी…उषा दीदी 1 और 3 में भरतपुरी…नगर निगम के भाग्य खुले…

हुकुमचंद में सरकार की झांकी…


गणेश उत्सव पर इस बार फिर सरकार और शहर के नागरिकों के सहयोग से परंपरा को बचाने का बीड़ा उठाने वाले मजदूर फिर मैदान में आ गए हैं। पिछले दो साल से झांकियां कोरोना काल के कारण नहीं निकल पाई थीं। इस बार कड़े संघर्ष के बाद झांकियां तैयार होना शुरू हो गई हैं। इधर सूत्र बता रहे हैं कि इस बार हुकुमचंद मिल की गाड़ी में धार्मिक झांकी के अलावा मजदूरों की झांकी भी बनाने को लेकर नेताओं पर भारी दबाव है।

इस झांकी में बताया जाएगा कि पच्चीस साल से ज्यादा समय से अपने पैसों के लिए संघर्ष कर रहे मजदूरों की क्या हालत है। कुछ मजदूर फटे कपड़ों में भी दिखाए जाएंगे। दूसरी ओर हुकुमचंद मिल की झांकी में झांकी के आगे इस बार डिब्बे में मजदूरों के परिवारों के लिए चंदा भी उगाने के लिए बड़ी तादाद में मजदूर दबाव बना रहे हैं, ताकि आने वाले पैसे से कानूनी लड़ाई को और तेजी से लड़ा जाए। मजदूरों का मानना है कि इस देश में न्याय के लिए भी अब पैसा लगता है। जो भी हो, झांकी तो जब निकलेगी, तब निकलेगी, पर कुछ लोगों की सांसें जरूर निकलने लगी है।

उषा दीदी 1 और 3 में भरतपुरी…

पवन वेग से राजनीति कर रही उषा दीदी इन दिनों वापस अपनी घर-वापसी को लेकर कवायद शुरू कर चुकी हैं। उनकी दिली इच्छा एक बार फिर क्षेत्र क्रमांक एक में आने की है। वे पिछली बार भी चुनाव में महू में यह बोल चुकी थीं कि वो यहां आना नहीं चाहती थीं, मजबूरी में यहां आई हैं। दूसरी ओर यदि एक में गणित बराबर नहीं बैठे तो फिर वे तीन नंबर क्षेत्र में प्रयास करेंगी। दोनों ही क्षेत्र उनके किए गए कार्यों और उनके द्वारा बनाए गए रिश्तों को लेकर उधार हो रहे हैं। यह सारी बातें भाजपा के ही बड़े नेता जोड़-गुणे के समीकरण के साथ बता रहे हैं। चुनाव में समय है, पर राजनीति में चौसर पहले से ही जमाना पड़ती है और भाजपा में तो कोई गारंटी ही नहीं है कि कौन-सी चौसर कहां फिट हो जाए।

नगर निगम के भाग्य खुले…

लगभग 8 वर्षों बाद नगर निगम प्रांगण के भाग्य खुले और उन्हें उन अधिकारियों के साक्षात दर्शन करने का अवसर मिला जिनके बारे में सुना जाता था। लंबे समय से अधिकारियों के यहां न आने के कारण कर्मचारियों में काम को लेकर कोई उत्साह नहीं रहा था। कई कर्मचारी इसे मरघट का सन्नाटा भी कहते है। बरसों बाद नए-नए महापौर ने अधिकारियों की बैठक नगर निगम में आहुत की। इसमें सभी अधिकारियों को अपना मुखड़ा दिखाना पड़ा। पूर्व निगम आयुक्त के बाद फिर निगम आयुक्त के बाद फिर निगम आयुक्त भी सिटी बस ऑफिस या स्मार्ट सिटी कार्यालय से ही बैठकें लेकर कामकाज निपटाती रहीं। अब देखना होगा यह परंपरा कितने समय तक बनी रहेगी।

कांग्रेस अध्यक्ष नौनिहाल…

इन दिनों बची-खुची कांग्रेस के नगर अध्यक्ष को लेकर लगातार शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। इस मामले में जीते हुए पार्षद तो शिकायत कर ही रहे हैं, हारे हुए और ज्यादा उधार हो गए हैं। कारण यह है कि न तो उन्हें संगठन ने कोई मदद की और जिनकी शिकायत की गई थी, उनका बाल बांका भी नहीं हुआ। हालांकि शिकायत जैसी भी हो, संगठन की मदद का मामला तो ऐसा है कि जब संगठन ही नहीं है तो फिर मदद कहां से करे। कांग्रेस आजकल ऐसी फिलिम हो गई है कि जिसमें मनोरंजन ही नहीं तो मनोरंजन टैक्स काहे का।
-9826667063

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