गुस्ताखी माफ़- दयालु का गौरवी शीतयुद्ध..पक्षियों का जमघट शुरू…

दयालु का गौरवी शीतयुद्ध…
इन दिनों दादा दयालु और भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव बाबू के बीच चल रहा शीतयुद्ध कई लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। कुछ लोग इस युद्ध के चलते फुटबाल की तरह खेल रहे है। इसके कई उदाहरण सामने आ रहे है। पिछले दिनों नगरोदय अभियान के तहत गौरीनगर चौराहे पर शहीद ज्ञानसिंह परमार की प्रतिमा के लोकार्पण में जहां शहर के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा पहुंचे थे तो उनके साथ गौरव बाबू भी यहां खड़े थे। इस बड़े आयोजन में लगभग होर्डिंग पर सभी के चेहरे थे। गौरव बाबू का नाम भी नहीं था। क्या बोल सकते है। इसी प्रकार पिछले दिनों तीन ईमली चौराहे पर हुई कथा में भी उन्हें जाना पड़ा। वहां पर भी उनका एक भी फोटू नहीं लगा था। बड़े नेता कह रहे है वैसे भी दादा और भिया की रियासत में सियासत नहीं चलती। आबरू लेकर जाओ या बेआबरू होकर जाओ जाना तो पड़ता है।


पक्षियों का जमघट शुरू…
भाजपा कार्यालय पर चुनावी हलचल शुरू हो गई है। लंबे समय से यहां पर कौए उड़ रहे थे अब उन्होंने उड़ना बंद कर दिया। अलग-अलग क्षेत्रों के विलुप्त प्रजाति के पक्षी भी यहां अब डेरा जमाने लगे है। कार्यालय पर कामकाज तेजी से चल रहा है। मोर्चा नेताओं को बैठाकर समितियों का गठन किया जा रहा है। अब यहां पर भी एक और पेंच है कि अल्पसंख्यक और युवा मोर्चा में नामों को घोषित होना है, परंतु युवा मोर्चा के लिए दादा दयालु ने नाम नहीं दिए है इसके चलते मधु वर्मा द्वारा लाई गई सौगात मुसीबत में पड़ी हुई है। वे अपने मधु के बाद भी नाम नहीं ला पा रहे है। एक ओर बात जो खास है कि जिनके नाम समितियों और संगठनों में आ जाएंगे वे निकाय चुनाव से मैदान में हट जाएंगे। अब जिन्हें हटाना है उन्हें चुन-चुन कर संगठनों में बैठाया जा रहा है।
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