गुस्ताखी माफ़-वानखेड़े भी इंदौर के पिच पर उतरे…वरिष्ठ संघी का दावा कई दिग्गज निपटेंगे…वरिष्ठ संघी का दावा कई दिग्गज निपटेंगे…
वानखेड़े भी इंदौर के पिच पर उतरे…
लंबे समय से कांग्रेस में हरिजन नेताओं की जमीन कमजोर होती जा रही है। तुलसी सिलावट कांग्रेस का पल्लू छोड़कर भाजपा के दुपट्टे में लटक गए तो वहीं सज्जन वर्मा इंदौर के होते हुए भी इंदौर में केवल दाने डालने की राजनीति में व्यस्त रहते हैं। गाहे-बगाहे दो-तीन बॉल फेंककर वापस भोपाल पहुंच जाते हैं। वैसे भी उनका किला सोनकच्छ में है और वहां कोई राजनीति होने नहीं देते, पर यहां हर क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप बरकरार रखे हुए हैं। सार यह है कि अब इंदौर में हरिजन नेताओं की कमी के बीच पिछले दिनों आगर-मालवा से विधायक बने विपिन वानखेड़े ने धूमधड़ाके के साथ अपना जन्मदिन मनाया। बड़ी तादाद में कांग्रेस के नेता भी उन्हें बधाई देने पहुंचे। इन दिनों उनके सलाहकार कांग्रेस के नेता लेखराज नरवले के पुत्र नीतेश नरवले बने हुए हैं और वे ही उनके घरभले भी बन गए हैं, यानी अब उनकी नजर आगर-मालवा के साथ सांवेर पर भी टिक गई है। वैसे भी कांग्रेस की तरफ से सांवेर का कोई घनी-घोरी बचा नहीं है और जो बचे हैं, वे खुद ही घनीघोरी हो गए हैं। देखना पड़ेगा, आगे विपिन वानखेड़े हरिजन नेता के रूप में अपनी जमीन बना पाते हैं या कांग्रेस की राजनीति के चलते उन्हें वापस अपना बोरिया बिस्तर लेकर आगर-मालवा में ही अपनी खोली बनाना होगी।
वरिष्ठ संघी का दावा कई दिग्गज निपटेंगे…
संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पिछले दिनों अनौपचारिक बातचीत में यह दावा किया कि भाजपा अस्सी से ज्यादा नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी शुरू कर चुके हैं। इंदौर में ही केवल एक ही उम्मीदवार ऐसा हो सकता है, जिनका टिकट बरकरार रहे, यानी बाकी सभी उम्मीदवार बाहर का रास्ता देखने जा रहे हैं। आने वाले समय में भाजपा की राजनीति में संघ का बड़ा हस्तक्षेप दिखाई देने लगेगा। कई नियुक्तियां संघ के प्रभाव में पहले से ही दिखाई दे रही हैं। अब यह और भी रफ्तार पकड़ेगी, वहीं उम्रदराज नेता अब भाजपा की राजनीति से बाहर होना तय है। विरोध के बाद भी अब युवाओं को आगे लाने की तैयारी की जा रही है। परिवारवाद को पूरी तरह दरकिनार होता हुआ भी देखा जाएगा। जो भी हो, भाजपा अब नई टीम के सहारे ही चुनावी तैयारियां में उतरती हुई दिखाई देगी। यह सूचना उनके लिए कष्टदायी हो सकती है जो खुद ही या तो मैदान में उतरना चाहते है और गड़बड़ होने पर अपने पुत्रों को उतारने की तैयारी कर रहे है।
ज्योति बाबू की कुंडली सक्रिय हुई…
पिछले दिनों जैन संत द्वारा ज्योति बाबू को अगला मुख्यमंत्री बताए जाने के बाद इंदौर के ज्योतिषियों ने दोनों नेताओं की जन्मकुंडली खंगालना शुरू कर दी है। माना जाता है कि जैन संत कभी भी बिना किसी आधार के इस प्रकार का आशीर्वाद नहीं देते हैं। इधर सिंधिया समर्थकों ने भी ज्योति बाबू की कुंडली शिवराज के साथ बड़े ज्योतिषियों के यहां पहुंचा दी है। ज्योतिष यह देख रहे हैं कि क्या दिसंबर तक मुख्यमंत्री के ग्रहों में कोई परिवर्तन हो रहा है या फिर ज्योति बाबू की कुंडली में नए ग्रह जगह बना रहे हैं। अब यह तो समय ही बताएगा, हालांकि भाजपा की बड़ी जमात यह मान रही है कि दस मार्च के बाद ही भाजपा के ग्रहों में पांच राज्यों के परिणाम आने के बाद यदि राहू-केतु-शनि की नजरें गड़बड़ाईं तो फिर बात नहीं बनेगी, वरना कई परिवर्तन तो होना तय दिखाई दे रहे हैं।
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