गुस्ताखी माफ़-18 साल का नया उतापा… पत्तल के पते नहीं….

18 साल का नया उतापा…
कल मोदी सरकार की कैबिनेट में महिलाओं के विवाह की कानूनी आयु 18 से 21 वर्ष किए जाने का प्रस्ताव पारित हो गया है। अब लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद यह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से कानून के रूप में लागू हो जाएगा। इधर इस नए कानून के चक्कर में शहर के कई विवाह उलझते दिखाई दे रहे है। जहां पर भी लड़की की उम्र 18 साल के ऊपर है वहां पर परिजन वकीलों से राय लेते दिखाई दे रहे है। मलमास के बाद जब शादी समारोह शुरू होंगे तो सामूहिक विवाह में भी कई लड़कियों की उम्र 18 साल के पार ही दर्ज की गई है। ऐसे में अब मोदी सरकार के कामकाज के तरीके को लेकर माना जा रहा है कि एक माह के अंदर ही यह कानून राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से लागू हो जाएगा। यानि सैकड़ों ऐसी शादियां अब अगले तीन सालों के लिए उलझ जाएंगी जहां लड़की की उम्र 18 साल है। इस मामले में शादी के लिए तानाबाना बना रहे एक दूल्हे ने कहा कि एक तो वैसे ही लड़कियां मिल नहीं रही हैं दूसरी तरफ जो मिली है उसे भी अब तीन साल तक अवेरना पड़ेगा।
पत्तल के पते नहीं….
सूत न कपास की हालत में कांग्रेस का कामकाज इन दिनों चल रहा है। पंचायत चुनाव में तैयारियों को लेकर अभी तक उच्चतम न्यायालय पर नजरें टिकाए नेता बैठे हुए थे। अब उच्च न्यायालय पर नजरें टिकाने को बैठे रहेंगे। चुनावी मैदान को लेकर कही कोई तैयारी नहीं दिखाई देती है। इधर अभी नगरीय निकाय के चुनाव को लेकर सरकार ने कोई तानाबाना बुना ही नहीं है तो दूसरी तरफ कांग्रेस इंदौर में उम्मीदवारों को लेकर सर्वे भी करवा चुकी है। यह सर्वे एक-दो दिन में अपनी रिपोर्ट कमलनाथ को सौंप देगा। वैसे भी आजकल कांग्रेस सर्वे के आधार पर ही मैदान पकड़ती है। अब सवाल उठ रहा है कि जिनके नाम पर फैसला हो भी जाए और चुनाव आते तक वे दूसरे दल में कूद जाएंगें तो फिर क्या होगा। इधर सूत्र कह रहे है कि नगरीय निकाय के चुनाव की अगले साल अक्टूबर तक कोई संभावना नहीं है। संगठन नाम की कोई चीज है नहीं और सूत न कपास और जुलाहो में लट्ठमलट्ठा की तैयारी चल रही है। इसी का नाम कांग्रेस है।
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