गुस्ताखी माफ-इतिश्री निगमों अध्याय पुन: समाप्तम….

इतिश्री निगमों अध्याय पुन: समाप्तम….
राजनीति में लंबी पारी यदि खेलना हो तो ये हुनर मामाजी से जरूर सीख लेना चाहिए। जी इसलिए कि जिस तरीके से वे गलियों में रन निकालते हैं, उससे बाउंड्री मारने वाले खिलाड़ी तमाम कोशिश के बाद भी खाली हाथ ही रह जाते हैं। जब तक वे बीस रन के लिए चौके-छक्के मारने की जुगत में रहते है तब तक मामा गलियों में दौड़-दौड़कर रन पूरे कर लेते हैं। मामला है निगम-मंडलों में नियुक्ति का। क्रिकेट के शौकीन और खिलाड़ी ज्योति बाबू इन दिनों निगमों में अपने दूतों की नियुक्ति को लेकर जिस तरीके से दिल्ली में चौके-छक्के के प्रयास में अच्छी गेंद का इंतजार करते रहे और उस दौरान शिवराज भोपाल से बैठकर ही टल्ले मार-मारकर एक-एक रन लेते रहे। गलियों में ही एक-एक रन लेकर उन्होंने सात-आठ निगम-मंडल पूरे कर दिए। इधर, ज्योति बाबू छक्के के इंतजार में अच्छी गेंद का इंतजार ही करते रहे। सूत्र कह रहे हैं दिल्ली से सारी जमावट के बाद ज्योति बाबू को यह लग गया था कि अब जलेबी, इमरती नहीं बनेगी। अब सीधे भोजन बंटेगा। इसके लिए उन्होंने दिल्ली में लगभग सहमति भी दिल्ली में ले ली थी। फरमान भी जारी करवा लिया था। इधर, शिवराजसिंह चौहान ने एक दिन के लिए दिल्ली जाकर नियुक्तियों को लेकर ऐसा रायता फैलाया कि अब यह अध्याय दिसंबर तक के लिए समाप्त हो गया है। वैसे भी गणेश विसर्जन के बाद श्राद्ध लग जाएंगे और नियुक्तियों के लिए श्राद्ध नहीं, श्रद्धा लगेगी, जिसकी गुंजाइश नहीं है। दिल्ली में मामाजी ने यह बताया कि इस समय प्रदेश की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। हर महीने कर्ज लेने पड़ रहे हैं, ऐसे में निगमों में की गई नियुक्तियों का भारी बोझ और बढ़ जाएगा। इस पर हर माह 1 करोड़ रुपए से ज्यादा के खर्च होंगे, ऐसे में नियुक्तियां कर भी दी तो भाजपा में ही समर्पित कार्यकर्ताओं को संभालना मुश्किल होगा, क्योंकि उन्होंने अपना जीवन भाजपा को समर्पित किया है। बेहतर होगा, अभी इसे रोक दिया जाए। फिर क्या था… अमित शाह के यहां से चली कारतूस दनदनाती हुई जे.पी. नड्डा के द्वार से होती हुई सुहास भगत तक पहुंची और इतिश्री रेवा खंडे निगमोध्याय समाप्त हो गए। अब जनवरी में फिर कोई नई चौसर जमाएंगे।
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