कोरोना की तीसरी लहर के भय से कारोबारियों ने कामकाज समेटना शुरु किया, व्यापारियों की खरीददारी 80 प्रतिशत तक कम हुई…

रेस्टोरेंट उद्योग ६० प्रतिशत बंद ही हो गया ,कपड़ा बाजार में व्यापार 15 प्रतिशत ही बचा,किराना कारोबार में जमकर आवक शुरु हुई,80 करोड़ रुपए की प्रतिदिन खरीददारी कम हुई

इंदौर। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर शहर में कारोबारी सन्नाटा छाने लगा है। बड़ी तादाद में कारोबारी अपने कामकाज को कम करने में लग गये हैं। देशभर से इंदौर में माल बेचने के लिए आने वाले एजेंट ३५ प्रतिशत कम तक सामान देने की बात कर रहे हैं। इसके बाद भी इंदौर में व्यापारी सामान खरीदने को तैयार नहीं हैं। कई व्यापारियों का कहना है सामान खरीदकर कुछ नहीं हासिल आयेगा। यदि लॉकडाउन के हालात बने तो अब पूरी तरह से कमर टूट जाएगी। तीसरी लहर को लेकर व्यापारी मान रहे हैं इसका आना तय है। अत: अगले दो महीने शहर में खरीददारी पूरी तरह टूटती जा रही है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति प्रसाधन, कपड़े, सोना-चांदी, इलेक्ट्रानिक, हार्डवेयर, जूते-चप्पल, वाहनों की खरीदी दिखाई दे रहा है। बाजार में खरीददारी भी घटकर २५ प्रतिशत के लगभग हो गई है। सराफा में भारी बिकवाली के चलते व्यपारियों में घबराहट बढ़ रही है। दूसरी ओर किराना सामान की खरीददारी में अच्छी खासी वृद्धि हुई है लगभग दोगुना सामान प्रतिदिन इंदौर आने लगा है। ब्रांडेड आंटे सहित दाल-चावल की आवक बढ़ गई है। गुटखे के पाउच भी स्टाक में बढ़ाये गये हैं। शहर में सामान्य स्थिति में सौ करोड़ का कारोबार प्रतिदिन होता था जो अब घटकर २० प्रतिशत यानि २० करोड़ का ही रह गया है।
कोरोना की तीसरी लहर के आने के पहले पिछले तीन दिनों से शहर के कारोबार की नब्ज समझने के लिए किये गये अध्ययन ने शहर के हालात कारोबार को लेकर बेहद दयनीय बताये हैं। व्यापारी सामान खरीदने को अब तैयार नहीं है। दुकानों में जो सामान है उसे भी खरीददारी से कम कीमत पर देकर दुकानें खाली कराये की कोशिश कर रहे हैं। केवल किराना कारोबार में ही तेजी बनी हुई है। इसके अलावा प्रापर्टी में भी अच्छा खासा पैसा दौड़ रहा है। सियागंज के व्यापारियों का कहना है कि अब सियागंज मंडी का व्यापार लगभग टूट चुका है। ७५ प्रतिशत कारोबार दूसरे शहरों में छोटी मंडियों में जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि कोरोना काल में उधारी की प्रक्रिया लगभग समाप्त हो चुकी है ऐसे में बाहर से आने वाले व्यापारी अब माल खरीदने नहीं आ रहे हैं। इसी तरह कपड़ा बाजार के कारोबारियों का कहना है कि इंदौर में साड़ियों का भी २० करोड़ का कारोबार हर माह होता था। परंतु अब दो करोड़ का कारोबार भी नहीं हो रहा है दूसरी ओर गुजरात और महाराष्ट्र से आने वाली साड़ियां भी खरीद नहीं रहे हैं जबकि बेहद सस्ती स्थिति में एजेंट बेच रहे हैं उनका कहना है उत्पादन होने के बाद यदि लॉकडाउन हो गया तो भारी नुकसान होगा इसलिए कम कीमत पर भी देकर माल की खपत की जाए। इधर कपड़ा दुकानदार खरीददारी के लिए तैयार नहीं है। वे मान रहे हैं लाकडाउन के हालात है माल नहीं बिका तो और कर्ज से डूब जाएंगे। इलेक्ट्रानिक बाजार में केवल २५ प्रतिशत कारोबार रह गया है और वह भी आवश्यकता के अनुसार ही हो रहा है। सोना चांदी क्षेत्र में १० प्रतिशत ही कामकाज चल रहा है वह भी शादियों का सीजन था इसलिए। सबसे ज्यादा नुकसान रेस्टोरेंट कारोबार को शहर में हुआ है ६० प्रतिशत रेस्टोरेंट पूरी तरह बंद हो चुके हैं। कई जगहों पर रेस्टोरेंट के मालिक लाखों के कर्ज में उलझ गये हैं। व्यापारियों का कहना है कि दीपावली तक शहर में बहुत सारे परिवर्तन व्यापार को लेकर दिखाई देंगे। कम से कम ४० प्रतिशत कारोबारी अपने कामकाज को समेट चुके रहेंगे।
प्रापर्टी कारोबार में बूम के पीछे हूंडी का पैसा
प्रापर्टी क्षेत्र में जमकर खरीददारी को लेकर जमीनों से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि कोरोना महामारी में इस शहर के हूंडी कारोबार की कमर तोड़ कर रख दी है। २ हजार करोड़ से ज्यादा रुपया हूंडियों का डूब चुका है। अब हूंडी कारोबारियों ने कामकाज समेटते हुए अपना पैसा प्रापर्टी क्षेत्र में सुरक्षित करना प्रारंभ कर दिया है। इंदौर के ही एक हूंडी कारोबारी ने अलग अलग नामों से सौ करोड़ की प्रापर्टी ले ली है। इसी प्रकार के कुछ और छोटे कारोबारियों ने भी तीस से पचास करोड़ की प्रापर्टियाँ खरीद ली है। इसीलिए इस क्षेत्र में बूम दिखाई दे रहा है। शहर में पहले ५० प्रतिशत पैसा हूंडी कारोबार से आता था। २० प्रतिशत बैंक से लिया जाता था और २० प्रतिशत कारोबारी का होता था। हूंडी कारोबारियों ने अब बाजार को पैसा देना पूरी तरह बंद कर दिया है।
वाहनों की खरीदी पर भी पड़ा बुरा असर
वाहनों के शोरुमों पर चर्चा में बताया गया कि पेट्रोल से चलने वाली लक्जरी कारें अब बिकना पूरी तरह बंद हो गई है। यह कारें अब केवल शोरुम के लिए बोझ बन गई हैं। दूसरी ओर अन्य कारों की खरीदी पर भी असर पड़ा है। छोटी कारें अभी भी बिक रही है पर वह रफ्तार नहीं है जो पहले हुआ करती थी। किसी भी शोरुम से हर दिन अधिकतम दो से तीन कारें ही उठ पा रही हैं। जबकि इंदौर में एक दिन में २०० से अधिक कारों का कारोबार होता था।

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