इंदौर की शराब दुकानें बिना बैंक ग्यारंटी चल रही पिछले माह ठेकेदारों को हुआ 23 करोड़ का घाटा

शराब ठेकेदारी...गंदा है पर धंधा है...

इंदौर। दो दिन पूर्व अहाते के विवाद में हुई गोलीबारी के बाद अब नई परतें खुल रही हैं। वहीं दूसरी ओर पिछले माह शराब ठेकेदारों को 23 करोड़ का घाटा हुआ है। वहीं पिछले साल भी 9 करोड़ का घाटा कंपनी में दिखाया गया था। इधर इस साल में शराब की दुकानें नहीं चला पाने के कारण 53 करोड़ की रायल्टी पहले से ही जब्त पड़ी हुई है और सबसे बड़ी बात यह है कि इंदौर में शराब की सभी दुकानें आबकारी विभाग की सांठगांठ से अभी तक बिना बैंक ग्यारंटी दिये चल रही है। बैंक ग्यारंटी को लेकर बैंक ने अभी तक किसी भी प्रकार का पत्र नहीं दिया है। आबकारी नियम के अनुसार बिना बैंक ग्यारंटी एक दिन भी शराब ठेकेदार दुकान नहीं चला सकते हैं। इधर ताजा घटनाक्रम में पुलिस ने आज ए.के. सिंह और पिंटू भाटिया को भी अर्जुन ठाकुर पर गोली चलाने के मामले में मुलजिम बना लिया है। कल अर्जुन ठाकुर ने बयान में अपराधी बनाने की मांग की थी।
दो दिन पूर्व चिंटू ठाकुर द्वारा आहतों के विवाद में अर्जुन ठाकुर को बैठक के दौरान चिंटू ठाकुर और हेमंत ठाकुर नेगोली चलाकर घायल कर दिया था। अब यह मामला बड़े विवाद की तरफ जा रहा है। वहीं इस साल के शराब के ठेको को लेकर अभी तक किसी भी ग्रुप ने आबकारी विभाग को बैंक ग्यारंटी नहीं दी है। सारे ठेके बिना बैंक ग्यारंटी के चल रहे हैं जबकि नियमानुसार एक दिन भी ठेका बिना बैंक ग्यारंटी नहीं चलाया जा सकता। बताया जा रहा है कि पिछली बार के ठेकों का हिसाब भी अभी तक तय नहीं हो पाने के कारण इस बार की पाती भी तय नहीं हो पा रही है।

इधर दूसरी ओर पिछले महीने में ही ठेके लेने वाली कंपनी को २३ करोड़ का घाटा होने के बाद अब नये विवाद की तैयारी शुरु हो गई है। इस बार के ठेके झांसी के रमेशचंद्र राय समूह ने ग्रुप बनाकर लिये हैं। वहीं दूसरी ओर पिछली बार के ठेकों में पूरी दादागिरी के साथ काम करने वाले संतोष रघुवंशी की पाती भी तय नहीं हो पाई है जबकि उनके पास नगीन नगर, चंदन नगर, ५१ नंबर, मानपुर, महू और बस स्टैंड की दुकानें है। ऐसे में अब ठेकेदारों में ही नये विवाद शुरु होने जा रहे हैं। शराब के कारोबारी मान रहे हैं कि यदि विवाद बड़ा तो एक बार फिर पिछले साल के ठेकेदारों को ही इंदौर के ठेके जा सकते हैं। इसमे उज्जैन से सत्यनारायण जायसवाल, रायपुर से पप्पू भाटिया, सिहोर से अखिलेश राय, इंदौर से मोनू भाटिया शामिल थे। पुराने ठेकेदारों की शर्त यह भी है कि शराब ठेकों में गुंडों को कोई स्थान नहीं होगा। हालांकि अभी इस मामले में बातचीत आगे नहीं बढी है। इधर पुलिस ने भी आहतों के संचालकों की जानकारी अपने स्तर पर लेना प्रारंभ कर दी है। प्राथमिक स्थिति में ही जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार शहर के ९ माने हुए गुंडे जिन पर कई मुकदमें दर्ज हैं वे इन अहातों से अच्छीखासी रकम उठा रहे हैं।

गांधीनगर अहाते के कब्जे में मारपीट
बताया जा रहा है कि शहर के सारे आहते एक ही व्यक्ति के अधीन किये जाने को लेकर ए.के.सिंह ने तैयारी की थी और उसी के तहत वे गांधीनगर आहते पर कब्जा लेने पहुंचे थे जहां पर बाबू और रवि मौजूद थे जिन्हें कब्जे के दौरान बेरहमी से पीटा था इसमे अभी भी एक गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है जिसकी कोई रिपोर्ट नहीं हुई है। इसी के बाद यह विवाद और बढ़ गया था। इस मारपीट के पीछे अर्जुन ठाकुर के लोग बताये जा रहे थे।
अर्जुन ठाकुर नेपुलिस को बयान दिया
अर्जुन ठाकुर ने पुलिस को दिये गये लिखित बयान में कहा कि उसे सुनियोजित षडयंत्र के तहत ए.के.सिंह और पिंटू भाटिया ने एकमत होकर बातचीत के लिए विजयनगर स्थित सिंडिकेट ऑफिस पर बुलाया और जब वे दोपहर में वहां पहुंचे तो ए.के.सिंह और पिंटू भाटिया बंदूक लेकर आये और उनके साथ अन्य लोग भी थे। इस दौरान चिंटू ठाकुर और हेमु ठाकुर ने मुझ पर गोलियां चलाई। एक गोली मोहित आहूजा के पैर के पास से निकली जबकि एक गोली मुझे लगी।

कौन है ए.के.सिंह
शराब कारोबार में ए.के.सिंह इंदौर में बड़ा नाम है। ए.के.सिंह के दिल्ली में एक केंद्रीय मंत्री से बेहद मजबूत रिश्ते हैं। ए.के.सिंह को इंदौर के भाजपा नेता और मंत्री के करीबी भी होने का दावा किया जा रहा है। ए.के.सिंह की गिरफ्तारी इतनी आसान नहीं होगी क्योंकि इस मामले में अब भाजपा के भी कई दिग्गज बचाव के लिए सामने आये हैं। दूसरी ओर अर्जुन ठाकुर मिल क्षेत्र में अखाड़ा चलाने वाले नागेंद्रसिंह और विरेंद्रसिंह परिवार के सदस्य है और वे भी अपनी मजबूत पकड़ के लिए पहचाने जाते हैं।
सतीश भाऊ का लेनादेना नहीं
ठेकों के विवाद से जुड़े एक प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि सतीश भाऊ सिंडिकेट ऑफिस पर केवल पिंटू छाबड़ा से मिलने पहुंचे थे उनका इस शराब विवाद और कारोबार से कोई लेनादेना नहीं था। परंतु अचानक हुई गोलीबारी में वे भी उलझ गये।
अवैध अहातों को लेकर खेल
शहर के आधे से ज्यादा अहाते बिना आबकारी की अनुमति के चल रहे हैं। इन अहातों में हर दिन तीस हजार रुपए तक की आय होती है। इसका बड़ा हिस्सा आबकारी अधिकारियों के पास भी जाता है और इसीलिए बिना लाइसेंस फीस लिए यह आहते शहर में चल रहे हैं।

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