घर में रखा सोना मजबूरी में जा रहा है बाजारों में

महामारी में पड़ी आर्थिक मार ने हजारों परिवारों को संकट में खड़ा किया

इंदौर (धमेन्द्रसिंह चौहान)।
लॉक डाउन की मजबूरी और हॉलमार्क के डर से लोग अपना पूराना सोना निकाल कर बेच रहे हैं। कोविड-19 महामारी के चलते दो सालों से लॉकडाउन के कारण आर्थिक मंदी झेल रहे लोग घरों में रखा सोना बेचने को मजबूर हो रहे हैं। सोना बेचने का एक कारण आर्थिक मंदी की मजबूरी बताई जा रही हैं तो वहीं दूसरा हालमार्क का डर भी उन्हें भ्रमित कर रहा है। हालांकि पुराना सोना बाजार में बिक नहीं रहा है सोना खरीदने वाले मूल कीमत से २० प्रतिशत तक कम पैसे दे रहे हैं। मजबूरी में ही लोग अपना सोना कम कीमत पर देने को तैयार हो रहे हैं।
इन दिनों छोटा व बड़ा सराफा में सोना-चांदी के जेवरात बेचने व गिरवी रखने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण जहां आर्थिक मंदी बताई जा रही हैं वहीं कुछ लोगों में हालमार्क नियम का डर भी सताने लगा है। जिसके चलते लोग अपना पूराना सोना बेचने को मजबूर हो रहे हैं। जिसके चलते इन दिनों बाजारों में खरीददारों से ज्यादा बेचने वालों की भीड़ ज्यादा होती है। इंदौर चांदी सोना जवाहरात व्यापारी एसोसिएशन के बंसत सोनी ने बताया कि महामारी के कारण आर्थिक मंदी के दौर से जुझ रहे लोगों में इस बार सोना खरीदने की बजाय बेचने वाले ज्यादा आ रहे है। दोपहर प्रतिनिधि ने सराफा में जब कुछ लोगों से चर्चा की तो पता चला कोवीड 19 के कारण परिवार के सदस्यों की बीमारी में जमा पूंजी खर्च खत्म हो जाने पर घर में रखे कुछ पुश्तेनी पूराने जेवर बेच कर इलाज के दौरान हुए कर्ज की अदायगी करने के लिए सोना बेचना अब मजबूरी बन गया है। महामारी के दौरान घर के मुखिया की नौकरी भी चली गई जिससे घर में किसी भी प्रकार की आवक खत्म सी हो चली है। वहीं सरकार द्वारा नया हालमार्क का कानून भी मध्यमवर्गीय परिवार की समझ से परे हैं। इन्हें यह भी डर हैं कि इस कानून के आने से कहीं घर में रखे हमारे सोने की कीमत कम न हो जाए।
अप्रैल माह में कोरोना के चलते उनके पति की नौकरी चली गई, पति दिन रात-डिप्रेशन में रहने लगे कुछ दिनों बाद वह पॉजेटिव हो गए। इलाज के दौरान सारी जमा पूंजी खर्च हो गई। पति जैसे-तैसे ठीक हो गए पर घर के खर्च चलाने हेतू पूराने जेवर बेचना मजबूरी हो गई।
-आरती शर्मा, तुलसीनगर
हमारे परिवार पर कोरोना का कहर इस प्रकार टूटा की घर के दो सदस्यों की मौत तक हो गई, अंतिम संस्कार के समय रिश्तेदारों से कर्ज लेना पड़ा जिसे चुकाने के लिए घर के जेवर बेचने को मजबूर हो गए। घर के मुखिया के चले जाने के बाद घर चलाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरे उपर आ गई, जिसके चलते ऐसा निर्णय लेना पड़ रहा है।
– भावना पाटीदार, खजराना
कोविड के कारण मेरी नौकरी चली गई। बच्चों की पड़ाई जारी रखने के लिए खून-पसीने की कमाई से खरीदा गया सोना बेचने पड़ रहा है। स्कूल बंद होने के बावजूद स्कूल वाले फीस लेने पर अडे हुए हैं। फिस नहीं देने पर बच्चों का रिजल्ट तक देने को तैयार नहीं स्कूल के संचालकों से जब फिस को किश्तों में करवाने की बात कही तो उनका कहना हैं कि हम कोई सामान नहीं बेचते जो किश्तों में पैसे ले। ऐसे में मजबूरी वश ऐसा करना पड़ रहा है।
-राजेन्द्र सोलंकी
घर में रखे सोने की ज्वेलरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा…
सोने की हॉलमार्किंग का नियम लागू होने के बाद से कई लोगों के मन में यह सवाल है कि जो सोना बरसों से उनके घर पर रखा है, उसका क्या होगा और उसकी बिक्री कैसे होगी, इस पर सराफा के बसंत सोनी ने बताया कि सोने की हालमार्किंग नियम के लागू होने से घर में रखे सोने के आभूषणों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लोग अपने घर में सोना आसानी से रख सकते हैं। यानी इससे पुराने सोने की बिक्री करने पर भी कोई असर नहीं होगा। आप पहले की ही तरह उसे सराफा व्यापारी के यहां बेच सकते हैं। यह नियम सराफा व्यापारियों के लिए है। वे बिना हालमार्क के सोना नहीं बेच पाएंगे।
इंदौर चांदी सोना जवाहरात व्यापारी एसोसिएशन के अनुसार
20 कैरेट का जो नियम आया है इससे व्यापारी काफी खुश है। वही वह लोग भी निश्चित रहे हाल मार्किंग के नियम के लागू होने से घर मे रखे सोने की आभूषणों पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा। जिससे लोग अपने घर मे पुराना सोना आसानी से रख सकते है। लोग पहले की तरह पुराना सोना किसी भी व्यापारी के पास बेच सकते है। यह नियम सिर्फ सराफा व्यापारियों के लिए है व्यापारी बिना हाल मॉर्क के सोना नही बेच सकते।
बसंत सोनी,
चांदी सोना जवाहरात
व्यापारी

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