पर्सनल लोन बढ़कर 52 लाख करोड़ के पार

रिजर्व बैंक ने चिंता व्यक्त की, ढाई लाख करोड़ के गोल्ड लोन भी उठे

Personal loan increased beyond Rs 52 lakh crore
Personal loan increased

मुंबई (ब्यूरो)। रिजर्व बैंक के तमाम चेतावनियों के बाद भी बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन तेजी से दिए जा रहे है। अभी जारी ताजा आंकडों में बताया गया है कि पर्सनल लोन बढकर अब 52 लाख करोड के पार हो गए है। दूसरी ओर मात्र 6 माह में ही सोना गिरवी रख कर्ज उठाने वालों ने ढाई लाख करोड के कर्ज उठा लिए है। रिजर्व बैंक ने सामान्तर बैंक चलाने वालों पर पहले ही क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कर्ज देने पर रोक लगा रखी है। दूसरी ओर ईएमआई सहित अन्य कर्ज चुकाने के लिए बड़ी तादाद में मध्यमवर्गीय परिवार लगातार कर्ज उठा रहे है। वित्त मंत्रालय ने भी इसे लेकर चिंता जाहिर की है।

रिवर्ज बैेंक ने पहले भी पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन की बढती संख्या को देखने के बाद इस पर रोक लगाने के निर्देश बैंकों को दिए थे। इसका कारण यह है कि यह सभी लोन बिना जमानत के असुरक्षित कहलाते है। इसमें से बड़ी तादाद में लोन लेने वाले डिफाल्टर हो रहे है और इनकी संख्या तेजी से बढ रही है। इन पैसों की वसूली बैकों के लिए बेहद कठिन है। रिजर्व बैंक की चेतावनी के बाद भी बैंकों द्वारा 52 लाख करोड के पर्सनल लोन दे दिए है। इस प्रकार के लोन बैंकों की अर्थव्यवस्था में कैंसर की तरह माने जाते है, क्योंकि इसमें धीरे-धीरे बडी राशि बैंकों की डूबती है।  Personal loan increased दूसरी ओर कुल 162 लाख करोड की कर्ज में बडा हिस्सा पर्सनल लोन का हो गया, जो कुल कर्ज का 32.6 प्रतिशत आंका गया है। इधर उद्योगों के लिए कर्ज उठानेवाले पीछे हट रहे है। यह भी घटकर 22 प्रतिशत पर आ गया है। इधर कृषि लोन भी 13 प्रतिशत हुए है। वही दूसरी ओर मध्यमवर्गीय परिवार अपने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज उठा रहे है और यह गोल्ड लोन के रूप में लिए जा रहे है। हर माह 36 सौ करोड का सोना गिरवी रख कर कर्ज लिया जा रहा है। माना जाता है गोल्ड लोन आम आदमी सबसे आखिरी में ही लेता है, जब कर्ज के दूसरे रास्ते बंद हो जाते है। रिपोर्ट में यह भी जानकारी सामने आई है कि बड़ी तादात में लोगों ने अपने पुराने कर्ज चुकाने के लिए ही नए कर्ज लिए है और यह गोल्ड लोन के रूप में ही उठाए जा रहे है। इधर उल्लेखनीय है कि बैंकों में सेविंग खातों की बचत पिछले 47 साल के सबसे निचले स्तर पर पर आ गई है। यह भी चिंता का विषय है।

 

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