भाजपा : चाल चरित्र चेहरा बदलने से नेताओं में घबराहट

बिना किसी रायशुमारी के हो रहे निर्णयों ने प्रदेश के नेताओं को पंगू बनाया

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इंदौर। भारतीय जनता पार्टी की कार्यप्रणाली अब संगठन के दूसरे और तीसरे क्रम के नेताओं को हजम नहीं हो रही है। रुको और देखों की स्थिति में नेता और कार्यकर्ता दोनों ही इंतजार कर रहे हैं। मध्यप्रदेश की ३९ सीटों पर भाजपा द्वारा उम्मीदवारों का ऐलान किए जाने के बाद अब संगठन के नेता यह मानने लगे हैं कि आने वाले समय में रायशुमारी से लेकर जो पहले उम्मीदवारों को लेकर प्रक्रिया होती थी वह अब केवल दिखावे के लिए ही होगी। दूसरी ओर मध्यप्रदेश का संगठन और मध्यप्रदेश के नेता किसी भी निर्णय को लेने में सक्षम नहीं रहे। सारे फैसले दिल्ली से ही होंगे। हर सीट पर उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और गुजरात से आये विधायक सीधे दिल्ली में ही हर दिन फीडबेक दे रहे हैं। ऐसे में कोई भी धाकड़ नेता अपनी दावेदारी को लेकर निश्चिंत नहीं है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि ३९ सीटों पर घोषित किए गये उम्मीदवारों के बारे में खुद प्रदेश अध्यक्ष तक को दो घंटे पहले तक कोई जानकारी नहीं थी इस नये चरित्र में अब भाजपा की प्रदेश की ताकतवर चुनाव समिति अब पंगू हो गई है। इसका बड़ा नुकसान भाजपा को होगा।

मध्यप्रदेश में भाजपा इस बार नये तेवर और कलेवर में देखी जा रही है। चाल, चरित्र, चेहरा सब बदल गया है। अभी तक भाजपा में उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया जीती और हारी सीटों पर क्रमवार होती थी। इसमे कार्यकर्ताओं का जुड़ाव भी होता था। प्रारंभिक स्थिति में संभागीय कमेटी में नाम जाते थे और इसमे संभागीय कमेटी इन नामों में छटाई कर इन्हें प्रदेश स्तरीय कोर कमेटी चुनाव समिति को भेजती थी। समिति 320 सीटों पर विचार विमर्श के बाद नामों को दिल्ली भेजती थी। चुनाव समिति इतनी ताकतवर होती थी कि दिल्ली में भी किसी को किसी बड़े नेता से खास को प्रत्याशी बनाना होता था तो भी वह इसी समिति को अपने नाम दे देता था और कहा जाता था कि स्थिति देखकर निर्णय ले। इसी प्रकार का वाक्या अटलबिहारी वाजपेयी की भतीजी के लिए भी रहा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के साथ अटलजी ने अपने नाम देकर कहा था कि संगठन तय कर लें। अब भाजपा के चेहरा भी बदल गया है। bjp political news mp

प्रदेश स्तर पर दो और तीन नामों के पैनल बनाये जाते थे और इन्हें फिर दिल्ली भेजा जाता था अंतिम स्वीकृति संगठन के नेता और मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी करते थे परंतु पहली बार हारी हुई सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों के नाम घोषित होने की प्रक्रिया को लेकर भाजपा के ही संगठन के पुराने दिग्गज नहीं समझ पाये और इसी के चलते कई जगहों पर उम्मीदवार भी बदल जाएंगे। जिनके नामों का ऐलान किया गया है उन्हें अभी कोई बी फार्म नहीं दिया जाएगा। इधर अब विधानसभा क्षेत्रों में अलग अलग दावेदारों में भी भ्रम हो गया है कि क्या रायशुमारी जैसी कोई प्रक्रिया होगी क्योंकि तीन राज्यों के आये हुए विधायक ही सीधा राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह को फीडबेक दे रहे हैं। हर दिन के किये गये कार्य का पूरा ब्यौरा शाम को देना पड़ रहा है।

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ऐसे में अब यही रायशुमारी अंतिम होगी अब जिन्हें दावेदारी से अलग करना है उन्हें बता दिया जाएगा आपका फीडबेक ठीक नहीं है। नई प्रक्रिया के कारण अब दावेदारों में भी भ्रम रहेगा क्योंकि कई जगहों पर विधायक और संगठन नेताओं के बीच बड़ी खींचतान रही है। नये समीकरण में अब प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री भी नये दावेदारों के लिए किसी भी प्रकार का फीडबेक देने की स्थिति में नहीं रहेंगे। इंदौर में गुजरात के विधायक हर दिन का फीडबैक सीधे अमितशाह को दे रहे है। इधर 39 उम्मीदवारों की सूची की भनक तक प्रदेश के संगठन नेताओं नहीं थी। खुद प्रदेश अध्यक्ष सूची के एक घंटे पहले घर खाना खाने जा रहे थे, परन्तु आधे रास्ते ही वापस लौटना पड़ा और सूची को लेकर ऐलान किया गय। इससे यह तय हो गया है कि प्रदेश के संगठन के किसी नेता की कोई हैसियत नहीं रही है। सारे फैसले दिल्ली से ही होने है। अब सबसे दिक्कत यह होगी कि दिल्ली बैठे नेता किस फीडबैक पर अंतिम फैसला लेंगे। नेताओं की खींचतान और दरकिनार होने से कार्यकर्ता बुरी तरह भ्रमित हो गए है। हालांकि इस बार भाजपा उम्मीदवारों की सूची आचार संहिता लगने के साथ ही जारी हो जाएगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि इन सब प्रयास के बाद भी सबसे ज्यादा जीतकर आने वाले विधायकों में शिवराजसिंह चौहान समर्थक ही ज्यादा रहेंगे।

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