मुंबई (ब्यूरो)। देश के सामने अब कर्ज का एक बड़ा पहाड़ खड़ा हो गया है। इस कर्ज को चुकाने में कई पीढ़ियां लग जाएंगी। 31 मार्च 2024 को भारत पर कर्ज बढ़कर 185 लाख करोड़ रुपए पहुंच जाएगा। इस साल भी सरकार कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए 18 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का प्रावधान कर चुकी है। 12 लाख करोड़ रुपए इस साल कर्ज का ब्याज भी भरना है। 65 सालों में देश पर 2014 के पहले 55 लाख करोड़ का कर्ज था। इसमें से विदेशी कर्ज मात्र 1 लाख 82 हजार करोड़ रुपए ही था। 54 लाख करोड़ रुपए घरेलू कर्ज से लिए गए थे। अभी देश पर 155 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका है।
रिजर्व बैंक और सरकार के मिले-जुले कार्यक्रम के चलते देश अब आने वाले 2 सालों में 35 लाख करोड़ हर साल कर्ज में डूबेगा। यानी 2025 तक भारत पर 255 लाख करोड़ का कर्ज हो जाएगा। आरबीआई की साईड पर हर साल उठाए जा रहे कर्ज का ब्यौरा मौजूद है। 2014 में सरकार ने आरबीआई से पौने 3 लाख करोड़ का डिविडेंट भी लिया था और 2014 में नया कर्ज 5 लाख 32 हजार करोड़ रुपए उठाया गया, जो 2021 तक बढ़ते-बढ़ते 18 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया। indian economy news
2022-23 में यह 19 लाख करोड़ रुपए के कर्ज की लिमिट भी पार कर गया था। यानी अब आने वाले समय में भारत की कुल आय यदि 100 रुपए है तो 50 रुपए कर्ज के भुगतान में देने होंगे। रिजर्व बैंक के अनुसार ही 2023 तक मोदी सरकार 100 लाख करोड़ का कर्ज उठा चुकी है।
2024 से अब हर साल 35-35 लाख करोड़ का कर्ज और भारत पर बढ़ेगा। 2024 में ही 12 लाख करोड़ ब्याज भी सरकार को भरना है। इस बार भी सरकार के लिए बांड जारी कर देश में ही आम लोगों से कर्ज लेने की कोशिश भी शुरू हो गई है। इस साल सरकार के कर्ज कार्यक्रम में 8.8 लाख करोड रुपए बांड जारी एकत्र करने का कार्यक्रम है। इसके लिए सरकार ने आम आदमी को भी बांड खरीदने की सुविधा पहली बार जारी की है। जिसमें 10 हजार रुपए से लेकर 5 करोड तक के बांड 3 साल की अवधि से लेकर 40 साल की अवधि तक के लिए जारी किए जा रहे हैं। पिछले दिनों आरबीआई द्वारा ब्याज दरें नहीं बढाए जाने के कारण भी बांड बाजार मेें सरकारी बांड नहीं खरीदे गए थे।