20 कालोनाइजरों को कल बुलाया, शिविर लगाकर प्लाट बंटेंगे

वैध कालोनियों के त्रस्त प्लाट होल्डरों के लिए प्रशासन ने कमर कसी

Called 20 colonizers tomorrow
Called 20 colonizers tomorrow

इंदौर। वैध कालोनियों के त्रस्त प्लाट होल्डरों के लिए प्रशासन ने अब कमर कसना शुरू कर दिया है। इससे पीड़ितों को न्याय की आस जागी है। शहर में कालोनाइजरों व गृह निर्माण समितियों के पीड़ितों का आंकड़ा हजारों में है। प्लाट, फ्लैट के लिए क्रेता वर्षों से ठोकरे खा रहे हैं, लेकिन उन्हें अपना हक नहीं मिल पा रहा है। पिनेकल ड्रीम्स में ही हजार से ज्यादा मामले उलझे पड़े हैं। ये पीड़ित न्याय की आस में प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं। इसे देखते हुए कलेक्टर इलैया राजा ने पीड़ितों को न्याय दिलाने कठोर कदम उठाना शुरू कर दिया है। अवैध कालोनियों पर कार्रवाई के बाद अब उन वैध कालोनियों की सुध लेना शुरू कर दी है। इसी क्रम में कल जनसुनवाई में 20 कालोनाइजरों को बुलाया है। इन्हें पीड़ितों के समक्ष खड़ा कर प्लाट, फ्लैट दिलाए जाएंगे। इसी माह पीड़ितों के लिए शिविर भी लगाए जाएंगे। Called 20 colonizers tomorrow

तत्कालीन कलेक्टर मनीषसिंह ने मुहिम चलाकर गृह निर्माण समितियों के कर्ताधर्ताओं पर कार्रवाई की थी। कई कर्ताधर्ताओं को जेल की सलाखों के पीछे भी धकेला था तो कुछ कर्ताधर्ताओं ने प्लाट-फ्लैट देना शुरू कर दिए थे। कुछ दिन यह मुहिम चली, जिससे पीड़ितों को अपना हक मिलने लगा। इसके बावजूद कुछ कालोनाइजर ऐसे भी कार्रवाई से बचे रहे, जिन पर प्रशासन शिकंजा नहीं कस सका। इन कालोनाइजरों ने प्लाट होल्डरों को धोखे में रखा। कालोनाइजरों को जनप्रतिनिधियों के संरक्षण होने से वे पीड़ितों पर दबाव बनाते रहे। नए कलेक्टर के समक्ष जब पीड़ित पहुंचे तो उन्होंने कार्रवाई करना शुरू किया। पिछले दिनों चार से अधिक क्षेत्रों में मुहिम चलाकर अवैध कालोनियों पर बुलडोजर चला दिया। अब वे वैध कालोनी काटने वाले कालोनाइजरों पर कार्रवाई करने की तैयारी में जुट गए हैं। आने वाले दिनों में कई कालोनाइजरों को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है।

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सजा का प्रावधान भी

कालोनी निर्माण करने वाला कोईर् भी व्यक्ति अवैध रुप से प्लाट बेचता है तो उसे जेल नहीं भेजा जाता है। यदि जेल भेजा भी गया तो 2-4 दिनों में जेल से रिहा हो जाता है। क्योंकि, अवैध कालोनी के विरुद्ध दर्ज प्रकरण में थाने से ही जमानत हो जाती है। वैध निर्माण करने वाला व्यक्ति लाखों रुपए में जमीन खरीदता है। इसी दौरान पैसे के दम पर वह शासकीय कर्मचारी भी अपने पक्ष में कर लेता है। यही कर्मचारी उसे परेशानी आने पर बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं।

ये है विकसित करने के प्रावधान

ग्राम पंचायतों में कालोनियोंं के विकास के लिए कालोनी का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य है। उल्लेखनीय है कि एक्ट की धारा 16 के तहत कालोनाइजर उसकी कालोनी के कुल भूखंड या भवनों का कुल संख्या 25 प्रतिशत कलेक्टर के पास बंधक रखेगा। यह बंधक विलेख कालोनाइजर को स्वयं के व्यय पर रजिस्टर्ड कराना होगा। एक्ट की धारा 19 में कालोनी के आंतरिक वि कास कार्य पूर्ण करने के लिए कालावधि भी निर्धारित की है। यदि तब भी विकास कार्य पूर्ण नहीं होता है तो एक्ट की धारा 16 के तहत बंधक रखे गए भूखंड या भवनों का मुहरबंद प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा उन्हें विक्रय किया जा सकेगा।

सक्षम अधिकारी विकास कार्य कराए

नगरीय क्षेत्र में नियम 1998 के नियम 12 में प्रावधान है कि कालोनाइजर द्वारा विकसित किए जाने वाले भूखंडों या भवनों या फ्लैट्स में से 25 प्रतिशत की संख्या में भूखंड या मकान या फ्लैट्स संबंधित नगर पालिका/ नगर निगम के पास बंधक रखना होगा। एक्ट के नियम 13 में प्रावधान है कि यदि निर्धारित समय अवधि में विकास कार्य पूर्ण नहीं होता है तो सक्षम अधिकारी कालोनी के विकास का कार्य अपने हाथ में लेकर विकास कार्य पूर्ण कराएंगे।

सरकारी महकमे की अनदेखी

कहीं भी कालोनी विकसित होने, विकास कार्य लंबित रहने, प्लाटधारकों को प्लाट नहीं मिलने के दोषी सरकारी महकमा भी रहता है। सरकारी महकमा लायसेंस और अनुमति देकर अपन े कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। यदि कालोनाइजर डेवल्पमेंट नहीं करता है तो सरकार का दायित्व है कि वह उसे पूरा कराए। इस बाबद प्रशासन अनुमतियां देते समय नियमों का पालन कराना भी सुनिश्चित करे, तभी कालोनाइजरों की धोखाधड़ी रोकी जा सकती है।

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