भूमाफिया: प्रशासन की सख्ती के बाद भी डायरी कारोबार तीन गुना हुआ

जेल से छूटने के बाद मद्दा का साला, भरत शाह के साथ बना रहा है डायरियां

भूमाफिया

(भूमाफिया) इंदौर। एक ओर जहां प्रशासन शहर के आसपास डायरियों पर बेचे जा रहे प्लाटों को लेकर सख्त कार्रवाई कर चुका है। इसके बाद भी पहले के बजाए अब और तीगुनी गति से डायरियों पर कारोबार शुरु हो गया है। शहर के बाहरी क्षेत्र में बन रही काई टाउनशिपों को अभी भी अनुमति नहीं मिलने के बाद शहरभर में डायरियां घूम रही हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रशासन की कार्रवाई के बाद नये सिरे से दो सौ करोड़ से अधिक की डायरियां और बाजार में बन चुकी हैं। अब डायरियां बनाने के कारोबार में जमीनों के कामकाज में जुड़े उद्योगपति तक शामिल हो गये। इधर शहर में पुरानी डायरियों को लेकर भी मामले और उलझ गये हैं। सुपर कारिडोर की एक टाउनशिप में सात साल पहले डायरियों पर बेचे गये प्लाट का कब्जा नहीं दिया जा रहा है।

जिला प्रशासन के कार्रवाई का भय एक बार फिर समाप्त हो रहा है। बड़ी तादाद में डायरियों पर प्लाट बेचने वाले दलाल फिर से कामकाज में लग गये हैं। बीस से अधिक टाउनशिप जिन्हें अनुमति नहीं है वे अपना माल डायरियों पर बेचकर ही भाव को बढ़ाने में लगे हुए हैं। शहर के एक बड़े उद्योगपति जिन्होंने सपना संगीता रोड़ और पलासियां में कई व्यवसायिक भवन बनाये हैं।

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अब वे भी डायरियों पर प्लाट बेचने का काम कर रहे हैं। कैलिफोर्निया टाउनशिप के पास बड़ी टाउनशिप के प्लाट बिना अनुमति डायरियों पर बेचे जा चुके हैं। इसके अलावा कनाड़ियां, नावदा पंथ, सिहांसा, माचल, उज्जैन रोड़ पर भी धड़धड़ डायरियों पर प्लाट कोई भी जाकर खरीद सकते है। इस समय डायरियों के बड़े कामकाज में नवनीत दर्शन पर भरत शाह के कार्यालय पर बड़ा कामकाज फिर से शुरु हो गया है।

Vikas Apartment Housing Organization 

भरत शाह डेवलपर्स से कॉलोनाइजर बने हैं और उज्जैन रोड़ पर दीपक मद्दा का साला जो जेल से छुटा है उसके साथ मिलकर हर दिन ५० से १०० डायरियों का काम खुलेखाते में कर रहे हैं। इन डायरियों पर वेे ही लोग प्लाट वापस बेच रहे हैं जिन्होंने प्रशासन की सख्त कार्रवाई के चलते बांड ओवर किया था।

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दूसरी ओर शासन के नये नियमों के चलते इनमे से कई टाउनशिप अगले कई वर्षों तक उलझी रहेंगी। जिन्होंने अनुमति मिलने में लंबी लड़ाई लड़ना होगी और जिन लोगों ने डायरियों पर प्लाट खरीदें हैं वे पुराने खरीददारों की तरह दस साल बाद भी डायरियां लेकर ही घूमते दिखेंगे।

अभी भी शहर की पंद्रह से अधिक पुरानी टाउनशिप आठ साल बाद भी डायरियों पर बेचे गये भूखंड पर रजिस्ट्री कराने के लिए तैयार नहीं है। इस मामले में जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा जिनके पास डायरियां है वे अपनी लिखा पढ़ी स्टाम्प पर करवाकर विधिवत इसे सुरक्षित लेनदेन में शामिल कर ले अन्यथा उन्हें कई वर्षों तक अपने प्लाट और पैसों के लिए संघर्ष करना होगा।

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