कॉलोनाइजर पर कार्रवाई के बिना कॉलोनी वैध नहीं हो सकती

अफसरों के सात साल और कॉलोनाइजर को दस साल की सजा का है प्रावधान

इंदौर। एक ओर जहां इंदौर की २०७ अवैध कॉलोनियों को वैध करने को लेकर नगर निगम में फाइले दौड़ना प्रारंभ हो गई है। इन अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए तीन विभागों की एनओसी भी मिल चुकी है। परंतु दूसरी तरफ इस मामले में एक कानूनी पैंच बताया जा रहा है। इन कॉलोनियों को वैध किए जाने के पहले कालोनाइजर पर कार्रवाई की जाना आवश्यक है। उच्च न्यायालय ने वैध होने वाली कॉलोनियों को वर्ष २०१८-१९ में एक निर्णय दिया था जिसमे राज्य सरकार द्वारा वैध की जा रही कॉलोनियों की प्रक्रिया में गड़बड़ी बताते हुए इन्हें अवैध करार दे दिया। इसी के साथ ही अवैध कॉलोनी बसने पर अफसरों को सात साल और कॉलोनाइजर को दस साल की सजा का प्रावधान है। कालोनाइजर पर कार्रवाई बिना अवैध कॉलोनियों को वैध नहीं किया जा सकता है।

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एक ओर जहां एक बार फिर अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए शासन ने आदेश जारी किए हैं। वहीं इस मामले में नगर निगम में पदस्थ कॉलोनी सेल के पूर्व अधिकारी का कहना है कि वर्ष २०१८-१९ में भी जिन अवैध कॉलोनियों को राज्य सरकार ने वैध किया था उन सभी को हाईकोर्ट ने प्रक्रिया में गड़बड़ी बताते हुए दोबारा अवैध करार दे दिया। हाईकोर्ट के अधिनियम में प्रावधान के बाद भी कार्रवाई के बिना अवैध कॉलोनी को वैध किया जाना गलत ठहराया गया है। अवैध कॉलोनियों की बसाहट पर अफसरों को सात साल की और कॉलोनाइजर को दस साल की सजा का प्रावधान मध्यप्रदेश पालिका अधिनियम १९५६ की धारा २९२ के तहत अवैध कॉलोनी बसाना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।

अवैध कॉलोनी बसाने वाले कालोनाइजर को दस साल की सजा और अर्थदंड का प्रावधान है। इसके साथ ही अवैध कॉलोनी बसने देने वाले अधिकारी पर भी सजा का प्रावधान किया गया है। शहर में ९५० से अधिक अवैध कॉलोनियां है जिनमें से २०७ अवैध कॉलोनियों को वैध करने का तोहफा देने की बात कही जा रही है। परंतु नगर निगम द्वारा कॉलोनाइजरों की अलग अलग थानों पर शिकायतें भी दर्ज कराई गई है। परंतु हर बार पुलिस ने केवल आवेदन लेकर प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया है। और एक बार फिर इन सभी कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया उच्च न्यायालय में जाकर उलझ सकती है क्योंकि इन अवैध कॉलोनियों को वैध करने से पहले कॉलोनाइजरों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध करने होंगे।

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