गुस्ताखी माफ़: मेरा टेसू अब नहीं अड़ा और ना ही मांगे अब खाने को दहीबड़ा…

भाजपाई रामबाण, मुस्लिमों को सूची से बाहर करवाओ...संध्या तक चिंता अब मुद्रा की...

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मेरा टेसू अब नहीं अड़ा और ना ही मांगे अब खाने को दहीबड़ा…

भाजपा में भले ही संगठन अब अगले साल की चुनावी तैयारियों का दावा कर रहा हो, परंतु दूसरी ओर उम्रदराज हो रहे नेताओं का भाजपा से मोह लगभग खत्म हो गया है। कहावत है मेरा टेसू नहीं अड़ा खाने को मांगे दहीबड़ा…, परन्तु दहीबड़ा आने में इतना समय निकल गया है कि अब न भाजपा में टेसू बचे और न ही दहीबड़े खाने वालों की इच्छा रही। जहां निगम-मंडलों में नियुक्तियों को लेकर नेताओं में दौड़-धूप दिखाई देती थी तो दूसरी ओर इस बार इन पदों के चाहने वालों ने खुद ही चार-छह महीने के लिए पद पर रहने से ज्यादा बेहतर बाहर रहना ही समझा है। इस मामले में भाजपा के उम्रदराज हो रहे नेता ने कहा कि भाजपा की कोई भी नीति साफ नहीं है, ऐसे में अपना जीवन दे चुके भाजपा नेता मान रहे हैं कि अब पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है और घालमेल और तालमेल के चलते भाजपा का कार्यकर्ता धीरे-धीरे अपनी ही पार्टी में दरकिनार होता जा रहा है। बेहतर होगा कि पार्टी खुद आपको दरकिनार करे, उससे पहले ही स्वयं ही इन पदों पर जाने से मना कर दें। हालत यह है कि पदों पर सुशोभित होने के लिए कोई भी तैयार नहीं हो रहा है। एक और भाजपा नेता ने कहा इस बार भाजपा बैसाखियों की सरकार के बाद कैसे सरकार बनाएगी, यह सबसे बड़ी चिंता का विषय है। BJP funny political news

भाजपाई रामबाण, मुस्लिमों को सूची से बाहर करवाओ

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इन दिनों क्षेत्र क्रमांक तीन में भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए रामबाण नुस्खा तैयार कर लिया है और इसको लेकर कार्यकर्ताओं की बैठक में बकायदा ऐलान किया जा रहा है कि क्षेत्र के छह हजार मुसलमानों के वोटों को मतदाता सूची से बाहर निकलाया जाए। इसके लिए सारे प्रयास अभी से शुरू कर दिए जाएं। अब यह तो वक्त ही बताएगा कि मतदाता सूची से कितने मुस्लिम बाहर होते हैं, पर सवाल उठ रहा है कि क्या दस साल के कार्यकाल में भी मुसलमानों का भय यथावत बना हुआ है, यानी अगर मुस्लिमों के मत कम नहीं हुए तो क्षेत्र में नए समीकरण बन सकते हैं। जो भी हो, पर भाजपा की बैठकों में कार्यकर्ता इन ऐलानों को लेकर यह भी मान रहे हैं कि अगर इतना ही मुसलमानों का भय है तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए। इस विषय पर भाजपा के एक नेता ने तंज कसते हुए कहा कि इस मामले में यदि हम तीन नंबर क्षेत्र में सफल हो गए तो इसे पायलट प्रोजेक्ट बनाकर हर विधानसभा में जहां मुस्लिमों का प्रभाव है, उनके मत वोटर लिस्ट से बाहर करवा देंगे। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। BJP funny political news

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संध्या तक चिंता अब मुद्रा की…

कहावत है जिस पानी में रहना है वहां बैर रखना ठीक नहीं है। कुछ ऐसा ही मामला क्षेत्र क्र. 4 में इन दिनों दिखाई दे रहा है। लम्बे समय से यहां सांसद और विधायक समर्थकों के बीच तलवारें खिंची रहती है। परंतु अब कुछ बदल रहा है। दो दिन पहले वार्ड 66 में कंचन गिदवानी के यहां जन्मदिन समारोह में आमंत्रित की गईं विधायक मालिनी गौड़ और उनके पुत्र एकलव्य को दिया सम्मान सांसद समर्थकों को गले नहीं उतर रहा है। कंचन सी राजनीति के चलते पार्षद ने उन्हें मंच पर भी स्थान दिया और साथ ही उनसे केक भी कटवाया। सम्मान भी दिया। इधर बात यह नहीं है कि क्या हुआ। यदि यह बात आगे बढ़ी तो दूर तलक जाएगी। यानी संध्या तक होते-होते कहीं मुद्रा भी नहीं चली जाए। का करें। चिंता तो करना ही पड़ेगी।

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