गुस्ताखी माफ़: दु:खी और त्यागे कांग्रेसियों की सुनवाई शुरू…

न तुम हो यार आलू, न हम है यार गोभी...न सूत मिला न कपास...

दु:खी और त्यागे कांग्रेसियों की सुनवाई शुरू…

गुस्ताखी माफ़: दु:खी और त्यागे कांग्रेसियों की सुनवाई शुरू...

इन दिनों इंदौर में कांग्रेस के नगर और ग्रामीण अध्यक्ष पर मेहरबान और पहलवान वाला समीकरण बिगड़ रहा है। इसके चलते लंबे समय से गरीब कांग्रेसी जो दुआएं मांग रहे थे, उसके पूरी होने की संभावना अब बनने लगी है। राजनीति में हमेशा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शिव से ज्यादा नांदिये का ध्यान रखना पड़ता है। शिव को तो बहुत बार पता ही नहीं लगता कि नांदिये ने ही कई काम निपटा दिए हैं। ऐसे में इंदौर के दोनों कांग्रेस अध्यक्षों पर भोपाल के नंदियों की लगातार मेहरबानी बनी हुई थी, परंतु अब नंदिये खुद ही कुछ मामलों में नजर से उतर गए हैं या यूं कहें कि उन पर नजर लग गई है। ऐसे में कांग्रेस के घर बैठे नेता, जो लंबे समय से दुआएं कर रहे थे, उनकी दुआएं कुबूल होने के हालात बन गए हैं। अब देखना यह है कि ऊंट कब करवट बदलता है, ताकि कुछ नया हो सके।

न तुम हो यार आलू, न हम है यार गोभी…

जिला प्रशासन द्वारा जनसुनवाई समिति में दो नाम जोड़े गए हैं। यह नाम न तो संगठन से आए हैं और न ही भाजपा के किसी नेता द्वारा दिए गए हैं। बताया जा रहा है ग्रामसभाओं में मिलने वाली शिकायतों के निराकरण के लिए जिला प्रशासन ने एक कमेटी का गठन किया है, जिसमें जिला पंचायत सीईओ अध्यक्ष हैं। इस समिति में कांग्रेस के रामसिंह पारिया और हरिओम पंवार शामिल हैं। पंवार कांग्रेस नेता हैं और वे जनपद चुनाव में कांग्रेस को जादूगरी दिखा चुके हैं, वहीं रामसिंह पारिया कांग्रेस के ताकतवर नेता के रूप में जाने जाते हैं और वे पिछले चुनाव में दो बूथ पर जीतू पटवारी के तारणहार भी बने हैं। आजकल भाजपा और कांग्रेस की राजनीति में इतना घालमेल हो गया है कि समझ में नहीं आ रहा है कि चट्टे आ रहे हैं कि बट्टे जा रहे हैं। जो भी हो, दोनों ही दल इस समय देश को बनाने में लगे हैं तो फिर चाहे इधर कुलांचे भरो या फिर उधर भरो। न तुम हो यार आलू… न हम हैं यार गोभी, तुम भी हो यार धोबी और हम भी यार धोबी।

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न सूत मिला न कपास…

गुस्ताखी माफ़: दु:खी और त्यागे कांग्रेसियों की सुनवाई शुरू...

नगर निगम में इन दिनों एमआईसी के सदस्यों को नगर निगम की कार्यप्रणाली रास नहीं आ रही है। पिछले दिनों एक ने तो एमआईसी से मुक्त होने का प्रस्ताव भी रख दिया था। एमआईसी के सदस्य ही कह रहे हैं कि उनके पास कोई काम नहीं है। न ही उनकों विभागों की फाइलें तक देखने को मिल रही हैं। फैसले कब हो रहे हैं, यह भी पता नहीं लग रहा है। एमआईसी सदस्य दबी जुबान से भी पूरी व्यवस्था पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं। दूसरी ओर महापौर के पास भी सुनवाई और बेहतर विकल्प मौजूद नहीं है। सब इंतजार कर रहे हैं कि एक ओर मतदाता सूची का पुनरीक्षण होने के कारण तबादलों पर रोक लग चुकी है, दूसरा गुजरात चुनाव के कारण भी अब कुछ होना नहीं है। भारतीय परंपरा में हरछठ मैया की पूजा में कथा के अंत में कहा जाता है- माई, जैसे उनके दिन फिरे, वैसे ही हमारे दिन भी फिरवा देना। देखना होगा, दिन कब फिरेंगे।
-9826667063

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