शिव रेसीडेंसी : एसडीएम को दो प्लाट दिए और बिना विकास 120 एकड़ जमीन मुक्त करवा ली

गरीबों के प्लाट व जमीन के साथ बंधक प्लाट भी बेच खाए, डायरी वालों के साथ रजिस्ट्री करवाने भटक रहे हैं, अब नई टाउनशिप

शिव रेसीडेंसी

इंदौर। एक ओर जहां जिला प्रशासन लगातार जमीनों के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों का गला कस रहा है तो दूसरी ओर अभी भी कई बड़े दिग्गज प्रशासन की नजर से अपने आपको बचाए हुए हैं। खंडवा रोड पर स्थित शिव रेसीडेंसी के नाम से 120 एकड़ जमीन पर बनाई गई टाउनशिप की डायरियां और रजिस्ट्रियां दोनों ही बाजार में घूम रही है। दूसरी ओर इस टाउनशिप का विकास करने वाले हरमिंदरसिंह पिता दौलतराम छाबड़ा किसी को भी न प्लाट दे रहे हैं और ना ही यहां पर विकास किया गया है।

केवल एक रोड बनाकर सारी रजिस्ट्रियां कई दी गई है। इस टाउनशिप में एक ओर बड़ा घोटाला कुछ इस प्रकार किया गया है कि तात्कालिन एसडीएम ने विकास के लिए गिरवी रखे गए भूखंडों को बिना पूर्णता प्रमाणपत्र के मुक्त कर दिया था और इसी के साथ ईडब्लूएस और एलआईजी के लिए बंधक रखी जमीन भी अन्य को बेच दी गई है। ग्राम उमरीखेड़ी में सर्वे नं. 34,37,39,41,4ा2,33 पर 48.2 हेक्टेयर में यह टाउनशिप बनाई गई है। 120 एकड़ में खंडवा रोड पर बनाई गई टाउनशिप का नाम शिव रेसीडेंसी रखा गया है।

यह जमीन हरमिंदरसिंह पिता दौलतराम छाबड़ा ने जौहर अली, समीना बाई जुलेखा, शब्बीर हुसैन, फातमा वगैरह से खरीदी थी। उन्हें भी पूरा भुगतान नहीं दिया गया है। हरमिंदरसिंह छाबड़ा ने 24-8-2006 को इस टाउनशिप का नक्शा शिव रेसीडेंसी के नाम से पास करवाया था। इसके लिए विकास की अनुमति 18 अक्टूबर 2007 को मिली थी और इस टाउनशिप का विकास तीन साल में किया जाना था। परंतु पंद्रह साल बाद भी यहां न रोड बनी न बिजली और खेतों में ही विकास बताकर रजिस्ट्रियां करवा दी गई।

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इस दौरान इंदौर में पदस्थ तात्कालिन एसडीएम ने खुद तीन प्लाट की रजिस्ट्री करवाने के बाद विकास अनुमति के लिए बंधक रखे गए भूखंडों को बिना पूर्णता प्रमाण पत्र के जारी कर दिया। प्रशासन के पास गिरवी रखे गए यह प्लाट फ्री होते ही छाबड़ा ने बाजार में बेच दिए। वहीं दूसरी ओर कमजोर वर्ग के प्लाट भी जो विकास अनुमति के समय अनुबंध के आधार पर बनाये जाने थे वह भी जमीन छाबड़ा द्वारा बेच दी गई और इसकी रजिस्ट्री भी कर दी गई।
अब वापस यहां पर पुराने लोगों को भूखंड रजिस्ट्री के बाद भी न देते हुए नई रजिस्ट्रयां और बेचने का काम शुरू हो गया।

वहीं दूसरी ओर डायरियों पर जिन लोगों ने पैसे दे रखे हैं उन्हें अभी तक क्षेत्रीय विधायक के नाम पर धमकाया जा रहा है। खुद छाबड़ा अपने फोन से विधायक से बात करवाकर प्लाट होल्डरों को धमका रहे हैं। अनुविभागीय अधिकारी ने मई 2010 में इस टाउनशिप का कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया है। जबकि विकास अनुमति में 25 प्रतिशत भूखंड गिरवी रखने के बाद विकास का पूरा माडल हो जाने के बाद भूखंडों को छोड़ा जाता है।

यदि टाउनशिप का विकास नहीं हुआ है तो इन भूखंडों को बेचकर विकास किया जाता है। 128 प्लाट बेचकर हरमिंदरसिंह छाबड़ा करोड़ों रुपए कमा चुके हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री के यहां शिकायत लगाई गई है। वहीं टाउनशिप के प्लाट होल्डर इस मामले में कलेक्टर को भी शिकायत दे चुके हैं।

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