संपादकीय: गर्व करिए आप इस स्वच्छ शहर के नागरिक है…धन्यवाद

अं तत: आज एक बार फिर शहर के नागरिकों और नगर निगम के सफाई कर्मचारियों सहित उन तमाम अधिकारियों के प्रयास को सफलता मिली और इंदौर ने स्वच्छता का छठवीं बार तमगा हासिल कर लिया। आप गर्व करिए इस शहर के नागरिक हैं। निश्चित रूप से पिछले छह सालों में इस तमगे को हासिल करने के लिए किए गए प्रयास आसान नहीं थे। प्रारंभिक स्थिति में जब घरों के बाहर कचरा फेंकने की परम्परा रही थी तो उस वक्त इस शहर के लोगों का स्वभाव बदलने और घर-घर से कचरा उठाने को लेकर किए गए प्रयास ने सफाई कर्मियों को भी लोगों से दो-दो हाथ करने पड़े। कई जगह चालान भी बने पर अंतत: इस शहर स्वभाव को बदलने का श्रेय तात्कालीन महापौर मालिनी गौड़ और तात्कालीन निगम आयुक्त मनीष सिंह को जाता है। सख्त स्वभाव और स्वच्छता को लेकर उनके सख्त कार्रवाई के खौफ के चलते स्थिति यह थी कि वे भले ही रात 3 बजे से नहीं घूमते हों पर उनका भय सड़कों पर दिखता था। सख्ती के बाद विनम्रता का समय भी शुरू हुआ और डाली गई आदतों को आगे बढ़ाया तात्कालीन निगम आयुक्त आशीष सिंह उसके बाद प्रतिभा पाल से लेकर यह आदत परम्परा में बदल गई और आज शहर की स्वच्छता को देखने अन्य देशों के लोग भी आ रहे हैं। देवी अहिल्या की यह नगरी पहले सांस्कृतिक नगरी के रूप में जानी जाती थी, अब स्वच्छता की नगरी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है। गीला और सूखा कचरा उठाने के बाद फिर 5 प्रकार का कचरा भी अलग-अलग रखना यह लोगों के स्वभाव में आ गया है। शहर के युवा अब सड़कों पर कचरा फेंकते नहीं दिखते। वे डस्टबिन को तलाशते हैं। निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए आपके और नगर निगम के कर्मचारी, अधिकारियों के प्रयास में स्वस्थ शहर भी देने का प्रयास किया है। आज शहर कई बीमारियों से मुक्त है। तो आइए हम सब मिलकर इस मशाल को इमानदारी से जलाए रखें। जो लोग कचरा सड़कों पर फेंक रहे हैं उन्हें समझाने का प्रयास करें और खुद भी जागरुक रहें। एक बार फिर स्वच्छता के इस तमगे के मिलने पर शहर के तमाम नागरिकों व अधिकारियों-कर्मचारियों को दैनिक दोपहर की ओर से बधाई।

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