सरकार और रिजर्व बैंक के तमाम प्रयास के बाद भी महंगाई काबू में आने की हालत नहीं बन पा रही है। अगस्त में खुदरा महंगाई के आंकड़े बता रहे हैं कि आने वाले समय में महंगाई की मार और ज्यादा पड़ेगी।
सबसे ज्यादा खाद्य महंगाई का असर आम आदमी पर बना रहेगा। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र से भी त्यौहारी सीजन होने के बाद भी इस बार खरीदी ज्यादा होने के हालात नहीं है क्योंकि ग्रामीणों की सौ रुपए की कमाई में से 53 रुपए खाने पर ही खर्च हो रहे हैं।
आने वाले समय में थोक महंगाई 12.41 प्रतिशत को पार करने के हालात बनने के बाद खाने की थाली और महंगी होना तय है। तो दूसरी ओर रिजर्व बैंक इसी महीने एक बार फिर कर्ज महंगे करने जा रही है। जिसका असर आम आदमी द्वारा भरी जा रही किस्तों पर दिखाई देगा।
लगातार रिजर्व बैंक के महंगाई को काबू में करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि के बाद भी महंगाई कम नहीं हो रही है बल्कि खाद्य महंगाई याने खाने के सामानों की महंगाई और ज्यादा बढ़ गई है और इसके चलते इसका असर आम आदमी की खरीद पर दिखाई दे रहा है।
महंगाई अपने तीस माह के उच्चतम स्तर पर बनी हुई है। अगस्त में फुटकर महंगाई में एक बार फिर आने वाले समय में त्यौहारों के समय महंगाई की मार के संकेत दे दिये हैं। गेहूं, आटा, चावल और दाल में अब लगातार महंगाई बढ़ती रहेगी तो दूसरी ओर दूध और सब्जी में महंगाई दर दहाई के आंकड़े को पार कर गई है। दूसरे तीमाही में त्यौहारी मौसम में महंगाई का असर हर व्यक्ति पर दिखाई दे रहा है।
खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई की मार के साथ फसलों पर पड़ी मार के बाद इस बार मांग निकलने की संभावना बेहद कम रहेगी। गांव में महंगाई शहर से ज्यादा बनी हुई है। शहर में जहां मध्यम श्रेणी सौ रुपए में से 43 रुपए खाने की थाली पर खर्च कर रहा है तो गांव में 53 रुपए खर्च हो रहे हैं।
ऐसे में आने वाले समय में महंगाई का असर आम आदमी की जेब पर और ज्यादा पड़ेगा। त्यौहारों में सबसे ज्यादा मारक उन सामानों पर दिखाई देगी जो अतिरिक्त पैसों से खरीदे जाते हैं। इसमे कपड़े, सोने, चांदी, जूते, चप्पल, श्रृंगार के सामान साथ दोपहिया वाहन की खरीदी भी कम होगी।
त्यौहारों के समय महंगाई के कारण आम लोग पहुंच परेशान होते रहे। आगामी दिनों में भी महंगाई की मार इसी तरह पढ़ती रहेगी।