देश में नहीं होगी सरकारी भर्तियां, बैंक में भी अब संविदा नियुक्ति को लेकर रिजर्व बैंक ने स्वीकृति दी
सरकार के भी विभागों में पांच साल से हो रही है संविदा भर्ती, सेना में भी शुरू
नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश में अब जहां 50 प्रतिशत युवा नौकरी के लिए तैयार हो चुके हैं, वहीं अब सरकार और बैंक अपने यहां स्थायी रोजगार पूरी तरह समाप्त करने की तैयारी कर चुकी है। पिछले दिनों सेना में पांच साल की नियुक्ति अग्निवीर के बाद अब बैंकों में भी संविदा पर कर्मचारी दूसरी कंपनी के माध्यम से रखे जाएंगे।
आरबीआई ने इसके लिए अलग से ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेज शुरू करने की अनुमति दे दी है, यानी अब देश में सरकारी नौकरी दूर की कौड़ी हो जाएगा। विभागं में भी अधिकतम दो से तीन साल ही कार्य कर सकेंगे। उल्लेखनीय है कि सरकार ने ही लोकसभा में स्वयं यह जानकारी दी थी कि 2014 से 2022 तक 22 करोड़ से ज्यादा युवाओं ने नौकरी के लिए आवेदन दिए थे। इसमें से केवल सात लाख 22 हजार को ही नौकरी दी गई है।
सरकार अपने खर्चे कम करने और सरकारी विभागों में संविदा पर नियुक्ति कर नियमित कर्मचारियों की तरह मिलने वाली सुविधाओं से मुक्त होने की तैयारी कर चुकी है।
अब भविष्य में विभागों और बैंकों में अनुबंध के आधार पर नियुक्ति होगी। पिछले दिनों देश की सबसे बड़ी बैंक एसबीआई ने रिजर्व बैंक से अनुमति ली है कि अब वह अपने यहां नियमित कर्मचारी भर्ती न करते हुए इसके लिए बैंक आपरेशनल सपोर्ट सर्विसेज शुरू करेगा। इसमें युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें बैंकों में पदस्थ किया जाएगा और वे अस्थायी रूप से अनुबंध के आधार पर ही नौकरी करेंगे।
बैंक उनकी कभी भी सेवाएं समाप्त कर सकती है। इससे एसबीआई को उन्हें सभी लाभ नहीं देने होंगे। इससे बैंक अपने यहां सैलरी पर खर्च हो रहे 45.7 प्रतिशत राशि को कम करेगी।
इसी के साथ अन्य बैंकों में भी इसी प्रकार से अब कर्मचारियों को पदस्थ करने के लिए रिजर्व बैंक से अनुमति लेना प्रारंभ कर दी है। दूसरी ओर आठ सालों में सरकारी विभाग में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के स्थान पर भी अनुबंधित कर्मचारी ही नियुक्त किए जा रहे हैं और इनकी संख्या दो करोड़ के लगभग पहुंच चुकी है।
उद्योग आए, रोजगार कम हुए
देश में नए श्रम कानून लागू होने के बाद अब 300 कर्मचारियों तक उद्योगों में बिना किसी सूचना के सेवा समाप्त किए जाने के लागू होने के साथ ही एनएसएसओ के ताजा सर्वे बता रहे हैं कि देश में उद्योग 85 प्रतिशत बढ़े, परंतु रोजगार के अवसर और कम हो गए।