घोटाले बताने वाली सीएजी का अंतत: गला दबा दिया

पिछले आठ सालों में केग की रिपोर्ट घटकर अब 14 ही रह गई

नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारत की राजनीति में पिछली सरकारों के कई घोटालों को उजागर करने वाली संस्था भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक का मुंह नई सरकार ने पूरी तरह बंद कर दिया है। 2014 तक जहां सीएजी केंद्रीय मंत्रालय के विभागों से संबंधित 55 रिपोर्ट जारी करता था, अब वह मात्र 14 रिपोर्ट ही जारी कर रहा है। जिन विभागों की रिपोर्ट जारी हो रही है, वह सामान्य विभाग हैं।

एक अंग्रेजी दैनिक द्वारा दायर की गई आरटीआई का जवाब देते हुए सरकार ने माना है कि सीएजी की रिपोर्ट अब घटकर मात्र चौदह रह गई है, जबकि मोदी के रहते संसद में यूपीए सरकार से लगभग 75 प्रतिशत रिपोर्ट कम पेश हुई और वह भी लीपापोती के साथ में। अंग्रेजी दैनिक के अनुसार भ्रष्टाचार का सबसे ताजा उदाहरण केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी का 25 जुलाई को सदन में दिया गया उत्तर है, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में कोयले का उत्पादन 31 प्रतिशत बढ़ा है और कोई कमी कोयले की नहीं है। दूसरी ओर सरकार कोल इंडिया लिमिटेड से तीन हजार रुपए टन कोयला खरीद रही है तो दूसरी ओर अडानी की कोयला खदानों से तीस से चालीस हजार रुपए प्रति टन कोयला आयात कर रही है।

दस गुना ज्यादा रेट पर कोयला आयात करने के लिए राज्यों पर भी भारी दबाव बनाकर इसका बोझ देशभर के करोड़ों उपभोक्ताओं पर डालने की तैयारी शुरू हो गई है।

अब वे महंगी बिजली खरीदेंगे। दूसरी ओर 2010 में जब स्पेक्ट्रम की नीलामी मनमोहनसिंह के कार्यकाल में की गई थी तो सीएजी के विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस नीलामी से 1.73 लाख करोड़ रुपए मिलने चाहिए थे, जो नहीं मिले। दूसरी ओर अब 5-जी की नीलामी में सरकार ने खुद 4.3 लाख करोड़ रुपए मिलने का दावा किया था, परंतु मात्र डेढ़ लाख करोड़ रुपए ही सरकार को मिले हैं। अब कोई भी जांच एजेंसी यह बताने को तैयार नहीं है कि इस नुकसान का जवाबदार कौन है।

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