इंदौर। शहर में अब तक के सबसे लंबे कहे जा रहे एबी रोड फ्लायओवर या एलिवेटेड रोड के निर्माण को मंजूरी मिलने के बाद उपयोगिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एक्सपर्ट की टीम इस ब्रिज से ट्रैफिक की समस्या 10 प्रतिशत भी हल नहीं होने का दावा कर रही है। एक्सपर्ट का मानना है की बीआरटीएस जैसा ही यह प्रोजेक्ट भी प्रयोगधर्मिता की भेंट चढ़ेगा। आपत्तियों के बाद एक्सपर्ट के सुझाव पर सर्वे कराकर फिर से लोक निर्माण विभाग ने इस ब्रिज के निर्माण को हरीझंडी दी है, जिस पर एक्सपर्ट ने सवाल उठाए हैं। सोमवार को केंद्रीय परिवहन मंत्री ब्रिज का शिलान्यास किया जा सकता है, जिसे लेकर एक्सपर्ट की आपत्ति सामने आई है।
केंद्रीय मंत्री के आने से पहले सबसे लंबे ब्रिज विवादों में उलझ गए हंै। फ्लाईओवर को लेकर एक्सपर्ट्स ने आपत्ति में दावा किया है कि इसके निर्माण की मांग किसी ने नहीं की। इसके बदले पलासिया चौराहा, शिवाजी प्रतिमा, विजय नगर चौराहा, नौलखा चौराहा पर पुलों की मांग रही है। खास बात यह है कि इस एलिवेटेड रोड के लिए कभी टेंडर के पहले कोई सर्वे नहीं किया, जिसमें उपयोगिता बताई गई हो। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के अनुसार उन्होंने कोई सर्वे नहीं किया। केवल ऊपरी आदेश पर टेंडर बुलए हैं। आपत्ति आने के बाद योजना पर बात शुरू हुई तो कुछ बदलाव की मांग भी उठी, जिससे काम शुरू नहीं हो पाया। बदलाव के लिए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई। खानापूर्ति करने के लिए निजी एजेंसी से सर्वे के बाद फ्लायओवर को हरीझंडी दे दी। 16 मीटर चौड़े फ्लायओवर की दो लेन सामान्य ट्रैफिक और दो बीआरटीएस के लिए रखी गई है।
बिना प्लानिंग एलिवेटेड ब्रिज की मंजूरी
टेंडर होने के बाद उपयोगिता नहीं होने की बात तत्कालीन मंत्री के ध्यान में लाई गई थी। अधिकारियों ने ग्रेटर कैलाश रोड, गीता भवन रोड और शिवाजी प्रतिमा पर एक-एक भुजा बगैर किसी सर्वे के उतार दी। टेंडर में एबी रोड पर पानी, ड्रेनेज, टेलीफोन, बिजली, बीआरटीएस की लाइन, स्टेशन, मेट्रो लाइन का समावेश और उससे संबंधित खर्च शामिल नहीं हैं। इंजीनियर अतुल सेठ का कहना है कि सांसद के चुनाव के समय नितिन गडकरी शहर में थे, उन्हें ट्रैफिक समस्या बताई गई तो उन्होंने सुझाव मांगे। सुझाव के रूप में इस एलिवेटेड रोड को मंजूरी दे दी थी। राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। सज्जन सिंह वर्मा ने गडकरी से सड़क के लिए फंड मंजूर करा लिया और श्रेय लेने के चक्कर में बिना प्लानिंग टेंडर करा दिए। पीडब्ल्यूडी ने काम भी शुरू कर दिया। आपत्तियों के बाद इसे मंजूरी दी गई है।
टेंडर निकलने के बाद दिखावे का सर्वे
ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए 2019 में फ्लायओवर की प्लानिंग पर शुरुआत हुई थी। सांसद के निवेदन पर नितिन गडकरी ने मंजूरी दी थी। साढ़े छह किमी लंबे फ्लायओवर के लिए 350 करोड़ रु. स्वीकृत हुए थे। आपत्तियों के बाद विशेषज्ञ प्रोफेसर ओपी भाटिया, पूर्व चीफ इंजीनियर सतीश गर्ग, प्रो. वंदना तारे, पूर्व सिटी इंजीनियर एसके बायस और पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों की बैठक बुलाई। इसमें उपयोगिता को जानने के लिए सर्वे करने को कहा गया। विभाग ने 15 दिन में सर्वे का वादा भी किया।
एक महीने में सर्वे किया।
सर्वे करने वाली कंपनी का नाम नहीं
इस रिपोर्ट में केवल विभिन्न चौराहों के कुछ आंकड़ों की जानकारी थी। इसमें कोई आधुनिक, वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया था। न ही कोई तथ्यात्मक आधार था। जिस कंपनी से सर्वे कराया, उसका नाम भी नहीं था। जानकारी पर मालूम हुआ कि उस कंपनी को कोई अनुभव नहीं था और जैसा विभाग ने कहा, उसने वैसा करके विभाग को दे दिया। एक्सपर्ट की पैनल ने बताया कि मास्टर प्लान में एलिवेटेड रोड की आवश्यकता नहीं बताई गई है। एलिवेटेड रोड पुल बनाने में 2 साल का समय दिया है, मगर कम से कम 4 साल लगेंगे।
एलिवेटेड रोड पर जाएगा
वास्तविक रूप से उपलब्ध ट्रेफिक का अध्ययन करने पर एलआईजी और नौलखा चौराहा के बीच जितना ट्रैफिक है, इसमें तीन भुजा-ग्रेटर कैलाश रोड, गीता भवन और शिवाजी प्रतिमा को मिला लें तो भी 10 प्रतिशत से कम ट्रैफिक होगा जो इस एलिवेटेड रोड पर जाएगा, बाकी नीचे ही रहेगा। नीचे रोड की चौड़ाई पहले से कम हो जाएगी। शिवाजी से एलआईजी तक यात्रा के लिए जगह कम हो जाएगी। पलासिया चौराहा, शिवाजी जंक्शन, एलआईजी चौराहे पर समस्या विकराल हो जाएगी।
यह सुझाव दिए थे एक्सपर्ट्स की पैनल ने
एक्सपर्ट बताते हैं कि योजना को रोककर पूरा अध्ययन करवाना चाहिए, जिसमें आने वाले सारे चौराहों,भुजाओं के ट्रैफिक का अध्ययन किया जाए। फिर आकलन किया जाए कि क्या उपयोगी होगा। एक्सपर्ट के मुताबिक वर्तमान में जहां ज्यादा ट्रैफिक कंजक्शन होता है, उसमें पलासिया, शिवाजी वाटिका, नेमावर चौराहे चौराहा और विजयनगर है। अगर पूर्व प्लान के अनुसार पलासिया पर ग्रेड सेपरेटर बनाया जाता है, जिसकी लागत 70 करोड़ आएगी। शिवाजी प्रतिमा, नेमावर चौराहे और विजयनगर पर पुल बनाने पर 50 करोड़ खर्च आएगा।