भारत पर कर्ज का लंका कांड शुरू

आईएमएफ ने कर्ज के आंकड़े के साथ सरकार और बैंकों की सांठगांठ को खतरनाक बताया

वाशिंगटन/नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारत पर अब कर्ज की रकम अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचने के साथ ही कर्ज अब जीडीपी का 100 प्रतिशत के लगभग होने जा रहा है। केन्द्र सरकार, राज्य सरकार ओर सरकारी कंपनियों ने 175 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले रखा है।

केन्द्र सरकार इस साल 11 लाख करोड़ का नया कर्ज फिर लेने जा रही है। दूसरी ओर अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी अप्रेल में जारी रिपोर्ट में फिर कहा है कि भारत का कर्ज अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसी के साथ आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में विशेष रूप से यह भी लिखा है कि सरकार ओर बैंकों के बीच हुई सांठ-गांठ से बैंकों का कर्ज 30 प्रतिशत तक पहुंच गया है। देश पर कर्ज की सीमा अधिकतम जीडीपी के 60 प्रतिशत तक होनी चाहिए। वहीं रूपए की गिरती कीमत ने भी कच्चे तेल ओर कोयले के आयात में आग लगा दी है।

भारत पर आईएमएफ ने कर्ज को लेकर दो रिपोर्ट जारी की थी, पहली रिपोर्ट 15 अक्टूबर को उस वक्त जारी की थी। जब श्रीलंका में कर्ज के संकट पर संकेत मिलने लगे थे। यह भी दिख रहा था कि अब श्रीलंका कर्ज के जाल में फंसने जा रहा है उसी दौरान भारत के कर्ज को लेकर भी रिपोर्ट जारी की। जिसमें आईएमएफ ने चेताया था कि भारत पर कर्ज अब जीडीपी के 100 प्रतिशत पहुंचने जा रहा है ओर यह खतरे की घंटी है।

इसके बाद रिजर्व बैंक ने दिल्ली में खतरे की घंटी बजाई और इसी के बाद रूपया टूटना शुरू हुआ और शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों ने 4 लाख करोड़ रूपए से ज्यादा निकाल लिए। दूसरी ओर अगली रिपोर्ट आईएमएफ ने अप्रैल 20-22 में ग्लोबल फायनेंशियल के आधार पर जारी की। उस दौरान श्रीलंका में तबाही ओर रूस युक्रेन युद्ध ओर कच्चा तेल चरम पर था।

आइएमएफ ने विदेशी कर्ज के साथ अपनी रिपोर्ट में सरकारी बैंकों ओर सरकार के बीच हुए सांठगांठ को उजागर करते हुए लिखा की भारत की अर्थ व्यवस्था इस सांठगांठ के कारण खतरनाक स्तर पर कर्ज के जाल में फंस रही है। बैंकों पर दबाव बनाकर सरकार 30 प्रतिशत तक कर्ज उठा चुकी है। केन्द्र ओर राज्य द्वारा उठाए कर्ज जीडीपी के 91 प्रतिशत हो गए है, ओर सरकारी कंपनियों के कर्ज को जोड़ ले तो यह 100 प्रतिशत के पार हो चुका है। जो किसी भी देश के लिए घोर आर्थिक संकट के संकेत है।

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